जंग के मैदान में दुश्मनों को हराने वाले सिपाही अब जिंदगी से जंग हार गए हैं. सच तो यह है कि  इराक और अफगानिस्तान वॉर में तैनात सोल्जर्स की जिंदगी अब तनाव, दुख और निराशा की कहानी बनती जा रही है. जेमी मैकमुलेन इन्हीं सोल्जर्स का उदाहरण बन गया है. कनैडियन कैप्टन जेमी ने 17 जून को आत्महत्या कर ली है.

वह बदल चुका था

‘कनाडा फोर्स का एक बहादुर कैप्टन जेमी पांच साल के बाद जब अफगानिस्तान से अपने देश वापस आया तो हमें अहसास हुआ कि वो हमारा जेमी नहीं था. वह एक नया जेमी था जो हंसना भूल चुका था,’ यह कहते हुए कैप्टन जेमी मैकमुलेन के डैड डैरेल मैकमुलेन की आंखों में आंसू आ जाते हैं. कनैडियन आर्मी का बहादुर कैप्टन जेमी जून के पहले हफ्ते में जब अफगानिस्तान से लौट कर आया तो उसकी जिंदगी बदल चुकी थी. वो अपनी इस बदली हुई जिंदगी में खुद को तलाशने की कोशिश कर रहा था, लेकिन एक दिन खुद जिंदगी से हार गया. 17 जून को उसने अपने घर के गैराज में फांसी लगा ली.

‘Jamie never came home’

जेमी के डैड डैरेल के मुताबिक जेमी की ख्वाहिश हमेशा से एक सोल्जर बनने की थी. वो स्कूल के दिनों से ही टैंक और यूनिफॉर्म के बारे में बातें करता था. जेमी की डेडबॉडी को उसकी वाइफ मेगन और उसके डैड ने जब गैराज में पाया तो उन्हें यकीन नहीं हुआ कि भला वो ऐसा कैसे कर सकता था? बाद में उन्हें जेमी की डायरी मिली और उसने जेमी के भीतर चल रहे उस अंतद्र्वद को बताया जिसकी कल्पना डैरेल ने कभी नहीं की थी. डैरेल बताते हैं कि पांच सालों बाद जेमी जब अपने घर लौट कर आया तभी उन्हें और उसकी मां को यह महसूस हो गया था कि यह उनका बेटा जेमी नहीं बल्कि कोई और है. वो सारा दिन चुपचाप रहता और जब उसे हंसाने की कोशिश की जाती तो हल्की मुस्कुराहट के बाद वो फिर शांत हो जाता. डैरेल उसकी डायरी के एक पेज पढऩे के बाद बताते हैं कि वो अपने साथियों के मारे जाने के बाद से काफी तनाव और दुख में था. वो इस बारे में किसी के साथ कोई बात भी नहीं करना चाहता था.

जिंदगी से हार गया था जेमी

डैरेल को इस बात पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो पा रहा है कि उनका बेटा जिंदगी से हार जाएगा. एक दिन चर्च से आने के बाद जेमी ने अपनी डायरी में लिखा था, ‘मैं अब इस जिंदगी का हिस्सा नहीं रहना चाहता जहां अपने सामने हर पल किसी का खून बहता हुआ देखना पड़े. मैं हार की तरफ बढ़ता जा रहा हूं और मुझे लग रहा है कि मैं अब जिंदगी की बाजी को हार चुका हूं.’ जेमी कभी फोन पर बात नहीं करता था और न ही घर में अपनी फेवरिट डिश बनाने की रिक्वेस्ट करता. उसकी मां यह याद करते उदास हो जाती हैं कि कभी उनके बेटे को उनके हाथ का बना एप्पल पैनकेक पसंद आता था. जेमी को पड़ोस के बच्चे ड्यूड कहते थे. जब उससे उसके फेवरिट स्पोट्स बेसबॉल को खेलने की रिक्वेस्ट करते तो वह न कह देता था.

 

कमजोर पड़ गए बहादुर सिपाही

यह कहानी सिर्फ जैमी की नहीं है, बल्कि सिर्फ कनाडा में ही जैमी के अलावा 12 अन्य सोल्जर्स ने सुसाइड कर लिया. दरअसल, कई वर्षों तक जंग लडऩे वाले इन सोल्जर्स में अब जीने की इच्छा ही खत्म हो चुकी थी. डैरेल कहते हैं कि वो अपने बेटे की मौत को इस तरह बेकार नहीं होने देंगे. वो एक मुहिम चलाएंगे जिसके तहत ऐसे सभी सोल्जर्स की काउंसलिंग करने की कोशिश होगी जो जिंदगी की जंग हार चुके हैं. डैरेल नहीं चाहते कि फिर कोई डैरेल अपने बेटे जेमी को जिंदगी से इस तरह हारते हुए देखे.

अब कोई नहीं करता इंतजार

कुछ ऐसा ही हाल यूएस आर्मी में कैप्टन माइकल और जॉनी स्टीवेंसन का है. जल्द ही अफगानिस्तान से यूएस आर्मी की वापसी शुरू हो जाएगी. माइकल और जॉनी उस दिन का इंतजार ही नहीं कर रहे हैं. जॉनी का कहना है कि अब घर में कोई उनका इंतजार नहीं कर रहा है. उनकी पत्नी ने उन्हें डिवोर्स दे दिया है और वो उनके चार साल के बेटे को लेकर चली गई है. वहीं माइकल कहते हैं कि उन्हें नहीं मालूम कि अफगानिस्तान से जाने के बाद अमेरिका में उनकी जिंदगी कैसी होगी.

 

International News inextlive from World News Desk