'भगवान' का साथ
बचपन का हर पल गुदगुदाता है, उम्र के साथ बढ़ते कद का हर अनुभव सिखाता है। सचिन तेंदुलकर की जिंदगी में भी ये दो पल आए। मेरठ के दो लोगों को सचिन के खास मौकों पर उनका साथी बनने का मौका मिला है। एक ने उनके साथ बचपन को जिया, तो एक उनके करियर के आखिरी लम्हों उनका साथी बनकर खड़ा है। कौन हैं ये दो शख्स, कैसे बने ये सचिन के साथी। कैसे बने ये सचिन की लाइफ के दो अहम पड़ाव के गवाह। आइए बताते हैं आपको।

नाइट शो मूवी विद सचिन

मनोज मुदगल मेरठ के पूर्व रणजी क्रिकेटर रह चुके हैं। मनोज सचिन के साथ अंडर-15 और अंडर-19 इंडिया कैंप कर चुके हैं। मनोज ने बताया कि कैंप के दौरान सचिन, सौरभ और वो लेट नाइट छुपकर मूवी देखने जाया करते थे। कई बार कोच से डांट भी खाने को मिलती थी।  

यूज किया मनोज का पैड 
   
मेरठ के इस शानदार खिलाड़ी ने बताया कि अंडर-15 कैंप के दौरान जब सचिन के पैड चोरी हो गए थे, जो सुनील गावस्कर ने उन्हें दिए थे, तब सचिन उनके ही पैड का इस्तेमाल करके प्रैक्टिस किया करते थे।

बैटिंग ऑन स्केटिंग ट्रैक

मनोज एक बात और कहते हैं कि जब लेट नाइट मूवी नहीं गए तो फिर वह स्केटिंग हॉल में लाइट जलाकर रात को घंटों बल्लेबाजी करते थे।

जब सचिन ने लिया बदला
सचिन द्वारा मजाकिया लहजे में कही गई एक बात मनोज को याद है। उन्होंने बताया कि अंडर-15 कैंप के दौरान सचिन को आशीष विस्टन जैदी बाउंसर मारकर आउट कर देते थे, तब सचिन बहुत निराश होते थे, उसके बाद अंडर-19 इंडिया कैंप के दौरान सचिन ने आशीष की बाउंसर पर कई चौके छक्के मारे। तब सचिन उनके पास आकर बोले, आज पता चला न, हर बार बाउंसर पर आउट कर देता था।

कोच कहते थे
मनोज कहते हैं कि सचिन जब अंडर-15 कैंप में थे, तब कोच सचिन को कहते थे कि तुम दो सालों के अंदर टीम इंडिया में होगे। कुछ सालों बाद वो दिन आया भी सचिन को इंडिया कैंप करते ही पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज के लिए कॉल आ गई और वो अंडर-19 टीम में चुने गए और बांग्लादेश चले गए।

याद आए मनोज

एक बार आईपीएल मैच के दौरान वह वीरेन्द्र सहवाग से मिले, तब उन्होंने सहवाग के लिए ग्रिप बनाई तो सचिन ने वीरेन्द्र सहवाग की बनी ग्रिप देखी तो उन्होंने विरेन्द्र से बोला कि मनोज से कहना मेरे लिए भी बना देगा।  
 
सचिन के साथ पवेलियन तक

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सचिन का कद हर कोई जानता है। मुंबई में सचिन जब अपने करियर का आखिरी टेस्ट खेलकर अंत करने का जा रहे हैं। ऐसे में उनसे मेरठ के होनहार स्पीडस्टर भुवनेश्वर कुमार को बहुत कुछ सीखने को मिला।  

उस बोल्ड ने जोड़ा नाम

बात सन 2007 की है, 17 साल के भुवनेश्वर ने रणजी सेमीफाइनल में सचिन तेंदुलकर को उनके करियर में पहली बार शून्य पर आउट करने का कारनामा कर दिखाया। भुवनेश्वर के बाद कोई भी ये कारनामा नहीं दिखा सका।  

सपना हुआ पूरा

सचिन अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर के अंतिम पड़ाव पर चल ही रहे थे कि भुवनेश्वर का उनके साथ पवेलियन शेयर करने का उनका सपना पूरा हो गया। ये सपना पूरा हुआ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ  इसी साल हुई टेस्ट सीरीज में, जिसमें भुवनेश्वर को चुना गया।

आखिरी बार पवेलियन शेयर

भुवनेश्वर का सचिन के साथ खेलने का सपना तो पूरा हो गया, लेकिन अब वो समय आ गया है जब सचिन क्रिकेट की दुनिया को अलविदा कह रहे हैं। ऐसे में मेरठ के इस स्पीडस्टर के पास सचिन के आखिरी लम्हों में हमनवा बनने का मौका है। सचिन के आखिरी पारी को सबसे नजदीक से देखने का मौका है। सचिन के संन्यास लेते वक्त निकले आंसुओं में उनका हमदर्द बनने का मौका है।

nikhil.sharma@inext.co.in