- इको फ्रेंडली दीपावली सेलिब्रेशन का कानपुराइट्स पर दिख रहा असर
- तेज आवाज वाले पटाखों की बिक्री में आई कमी, पटाखा बाजार की सेल 25 परसेंट की गिरावट
- बच्चों की जिद के आगे पैरेंट्स हुए बेबस, रोशनी वाले पटाखों की बिक्री में जबर्दस्त इजाफा
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KANPUR : इस दीपावली कानपुराइट्स पर इक्रो-फ्रेंडली दीपावली की अपील का असर काफी हद तक नजर आ रहा है। इन अपीलों से पटाखा बाजार में तेज आवाज के बजाय रोशनी वाले पटाखों की बिक्री में जबर्दस्त इजाफा हुआ है। पटाखा व्यापारियों के मुताबिक लास्ट ईयर के कम्पैरिजन में एक्स्ट्रा स्टॉक मंगवाने के बाद ही सप्लाई पूरी हो सकी है।
70 परसेंट रोशनी वाले
रोशनी के त्योहार में थोक व फुटकर पटाखा बाजार में ढेर सारी वैराइटी के पटाखे 70 परसेंट पटाखे रोशनी वाले बिके हैं। इनमें सबसे खास हैं, कलरफुल अनार, गोल्ड रश, रॉकेट, मेहताब, फुलझड़ी और चकरगिन्नी प्रमुख रूप से शामिल हैं। कानपुर पटाखा एसोसिएशन के अध्यक्ष राजू शम्सी ने बताया कि तेज आवाज वाले पटाखों की बिक्री घटी है। रेशियो बिगड़ने पर संडे को लाइट क्रैकर्स एक्स्ट्रा मंगवाने पड़े। रंग-बिरंगी रोशनी बिखेरने वाले पटाखे क्00-ब्00 रूपए में अवेलेबल हैं।
ख्भ् परसेंट मार्केट डाउन
शासन-प्रशासन, स्कूल-कॉलेजेज समेत तमाम सामाजिक संगठन व संस्थाओं ने कानपुराइट्स से इको फ्रेंडली दीपावली सेलीब्रेट करने की अपील की गई है। रोशनी के त्योहार पर इस अपील का असर भी दिख रहा है। पटाखा व्यापारियों के अनुसार लास्ट ईयर के कम्पेरिजन में ख्भ् परसेंट मार्केट डाउन चल रही है। थोक पटाखा व्यापारी यूसुफ के मुताबिक लोग पटाखा खरीद तो रहे हैं, लेकिन पहले जैसा फुटफॉल कम नजर आ रहा है।
बच्चों का बोलबाला
पटाखे की दुकान पर अबकी बच्चों का बोलबाला नजर आया। बच्चों के आगे पैरेंट्स भी बेबस दिखे। नानाराव पार्क में एक पटाखा दुकान पर क्लास-क्0 स्टूडेंट कान्हा छाबड़ा के आगे उसकी फैमिली का भी यही हाल दिखा। कान्हा को रोशनी वाले पटाखे पसंद थे। पर घर वाले साउंड वाले पटाखे लेना चाहते थे। सबने समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन कान्हा के आगे किसी की नहीं चली। आखिर में दुकानदार को रोशनी वाले पटाखों के डिब्बे पैक करने पड़े। तब जाकर कान्हा ने स्माइल किया।
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वर्जन वर्जन
ø तेज आवाज से मुझे बहुत डर लगता है। मेरी सिस्टर को साउंड वाले खूब पसंद हैं। वो तो उनके सामने आ जाती है। मैंने तो लाइट वाले क्रैकर्स लिये हैं। रोशनी मुझे बहुत अच्छी लगती है।
- प्रत्यूष अरोड़ा
ø लाइट वाले नहीं साउंड वाले पटाखे लिये हैं। मुझे तेज आवाज वाले क्रैकर्स अच्छे लगते हैं। भइया बहुत डरता है आवाज से। मुझे तो वही पसंद हैं।
- मृदुला अरोड़ा
ø पॉल्युशन तो दोनों तरह के क्रैकर्स से होता है। पर दीपावली रोशनी का त्योहार है। इसलिए साउंड वाले पटाखों के बजाय मैंने रोशनी वाले पटाखे खरीदना प्रेफर किया है।
- कान्हा छावड़ा
ø आवाज वाले पटाखे मुझे अच्छे नहीं लगते। मैंने लाइट वाले पटाखे ही खरीदे हैं। इससे न्वॉइस पॉल्युशन नहीं होता।
- कृतिका
ø मैंने और मेरी सिस्टर ने लाइट वाले क्रैकर्स लिये हैं। साउंड क्रैकर्स नहीं जलाकर हम न्वॉइस पॉल्युशन तो रोक ही सकते हैं।
- कुणाल