हर सप्ताह बनते छह कार्टुन
अमूल हर क्षेत्र के मुद्दो को लेकर अपने एड बनाता है। राजनीति, भारत, अंतरराष्ट्रीय, फिल्म, तकनीक, विवाद, निधन, आपदा, खेल, मनोरंजन, साहित्य, भोजन समेत न जाने कितने क्षेत्रों से अमूल के विज्ञापन जुड़े होते हैं। इन विज्ञापनों को तैयार करने के लिए तीन लोगों की टीम बनी हुई है जो हर सप्ताह 6 कार्टून तैयार करती हैं। फिर इन एड की कैंपेन डाकुन्हा कम्यूनिकेशंस रकती हैं, जिसके क्रिएटिव हेड राहुल डाकुन्हा, कॉपी राइटर मनीष झावेरी और करीब ढाई दशकों से अमूल गर्ल को बनाने वाले कार्टूनिस्ट जयंत राणे हैं।
कभी-कभी आक्रामक होते है विज्ञापन
डाकुन्हा के द्वारा तैयार किए जाने वाले विज्ञापन काफी हद तक आक्रामक होते हैं। इस आक्रामक विज्ञापनों की वजह से यह कई बार विवादों में भी छाए रहे हैं। लेकिन यह विज्ञापन एजेंसी इतने बोल्ड संदेश देने वाले एड तैयार करने का श्रेय सहकारी दुग्ध कंपनी अमूल के संस्थापक वर्गीज कुरियन को देती है क्योंकि वो किसी से भी नहीं डरते थे और उन्होने ही डाकुन्हा कम्यूनिकेशंस को आजादी दी थी की वो ज्वलंत मुद्दो को अपना टारगेट बनाए। वर्गीज कुरियन 2012 में ही दुनिया को अलविदा कह गए। लेकिन उनका नाम आज भी जिंदा है।
1966 में हुई अमूल के विज्ञापन की शुरूआत
1966 में अमूल के विज्ञापन की शुरूआत हुई थी और इसकी कमान एडवरटाइजिंग सेल्स एंड प्रमोशन के मैनेजिंग डायरेक्टर सिल्वेस्टर डाकुन्हा को दी गई थी। इन विज्ञापनों की शुरूआत थोड़ी बोरिंग थी लेकिन धीरे-धीरे इसने रोचक रफतार पकड़ी क्योंकि डाकुन्हा ने ठान लिया था कि वो अमूल के विज्ञापनों की बोरिंग इमेज बदल कर रख देंगे और उन्होंने वैसा ही किया।
कॉम्पटीशन के चलते बनी अमूल गर्ल
जब अमूल बटर की शुरूआत हुई थी तब पॉल्सन नाम की कंपनी भी टक्कर में थी क्योंकि वो भी बटर का उत्पाद करती थी और अच्छा खासा बिजनेस कर रही थी। पॉल्सन अपने विज्ञापन में एक बटर गर्ल का इस्तेमाल करता था। इसी गर्ल को टक्कर देने के लिए डाकुन्हा ने अपने एजेंसी के आर्ट डायरेक्टर यूस्टेस पॉल फर्नांडिज के साथ बैठकर एक ऐसी गर्ल की कल्पना करी जो तुरन्त लोगों के दिन और दिमाग में समा जाए। इसी परीकल्पना से जन्म हुआ अटरली बटरली अमूल गर्ल का, जो बेहद मनमोहक है और इसको बनाने वाले है यूस्टेस पॉल फर्नांडिज।
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