- डीएम, कमिश्नर के बाद सीएम के दरबार में भी जनता को नहीं मिल रहा न्याय

- दो सालों से हर स्तर पर जनसमस्याओं का निस्तारण नहीं

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KANPUR : अखिलेश सरकार का 'जनता दर्शन' कार्यक्रम जिले में महज शोपीस बनकर रह गया है। डीएम और कमिश्नर को छोडि़ए खुद मुख्यमंत्री स्तर पर जनता को सिर्फ 'दर्शन' मिल रहे हैं। किसी भी चौखट पर शिकायतों कासौ फीसदी निस्तारण नहीं हो पा रहा है।

दो सालों से यही हाल

जनता से सीधे संवाद और उनकी समस्याओं के समयबद्ध निस्तारण के लिए मुख्यमंत्री ने 'जनता दर्शन' कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस नई व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह था कि जनता की सुनवाई अगर डीएम स्तर पर न हो तो वह कमिश्नर को शिकायत कर सकता है। अगर कमिश्नर के पास भी जनता को न्याय न मिले तो वह सीधा मुख्यमंत्री के पास अपनी शिकायत पहुंचा सकता है। लेकिन कानपुर में जनता दर्शन की ट्रेन पटरी से उतरती नजर आ रही है। बीते दो सालों से तीनों ही स्तर पर जनशिकायतों का सौ फीसदी निस्तारण नहीं हो सका है।

ईयर ख्0क्ब्-क्भ् में जून तक

प्लेटफॉर्म शिकायतें निस्तारित अवशेष

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सन ख्0क्फ्-क्ब् जनता दर्शन का रिकॉर्ड

प्लेटफॉर्म शिकायतें निस्तारित अवशेष

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डीएम जनता दर्शन

कुल शिकायतें : क्9म्फ्

निस्तारित : ब्भ्भ्

अवशेष : क्ब्08

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सीडीओ, नगर आयुक्त समेत चार का वेतन रुका

शासन व मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले कामों में लापरवाही बरतना शहर के चार बड़े अफसरों को महंगा पड़ गया है। डीएम डॉ। रोशन जैकब ने लम्बित मामलों की जानकारी पर सीडीओ, उपश्रमायुक्त, समाज कल्याण अधिकारी व नगर आयुक्त का वेतन रोकने के आदेश जारी किये हैं।