- सीबीआई ने एक पूर्व सीएमओ व दो एसीएमओ के खिलाफ केस दर्ज किया

- सीतापुर और लखीमपुर खीरी में नसबंदी किट और दवा खरीद का मामला

- प्रारंभिक जांच के बाद सीबीआई को मिले डॉक्टरों के खिलाफ सुबूत

LUCKNOW: एनआरएचएम घोटाले में सीबीआई ने बुधवार को तीन नये केस दर्ज किए हैं। सीतापुर और लखीमपुर खीरी में हुए घोटाले की प्रारंभिक जांच में सीबीआई को सीतापुर के तत्कालीन सीएमओ (परिवार कल्याणा) डॉ। विजय शंकर राय, लखीमपुर खीरी के तत्कालीन असिस्टेंट सीएमओ डॉ। एमएल आर्या व डॉ। राजेंद्र सिंह के खिलाफ घोटाले में लिप्त होने के पुख्ता सुबूत मिले जिसके बाद उन पर केस दर्ज करके शिकंजा कसा गया है। सीबीआई जल्द ही तीनों को गिरफ्तार भी कर सकती है। मालूम हो कि सूबे में हुए एनआरएचएम घोटाले में तमाम तत्कालीन मंत्री, प्रमुख सचिव, डीजी हेल्थ, कई सीएमओ, डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टॉफ इत्यादि फंसे थे। इनमें से कई को सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था।

सीतापुर में नसबंदी किट में घोटाला

सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक पहला केस सीतापुर जनपद में नसबंदी किटों की खरीद से जुड़ा है। जांच में सामने आया है कि तत्कालीन सीएमओ (परिवार कल्याणा) डॉ। विजय शंकर राय ने हिमाचल प्रदेश स्थित प्राइवेट फर्म के साथ आपराधिक साजिश रचते हुए निर्धारित दरों से अधिक दाम पर नसबंदी किटों की आपूर्ति का गोरखधंधा अंजाम दिया। इसमें सीएमओ कार्यालय में तैनात अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के प्रमाण भी मिले है। जांच में पता चला कि चहेती फर्म को किट सप्लाई का काम देने के लिए फर्जी कोटेशन बनाये गये जबकि इसके लिए टेंडर जारी करने का नियम था। इससे सरकार को करीब सात लाख 12 हजार रूपये के राजस्व की हानि हुई। सीबीआई पिछले डेढ़ साल से इस मामले की प्रारंभिक जांच कर रही थी जिसके बाद बुधवार को उसने केस दर्ज कर लिया।

लखीमपुर में बिना दवा सप्लाई हुआ भुगतान

वहीं लखीमपुर खीरी में तो दवाओं की सप्लाई तक नहीं हुई और घोटालेबाजों ने फर्जी बिल बनाकर भुगतान करा लिया। इस मामले में सीबीआई ने वहां तैनात रह चुके दो असिस्टेंट सीएमओ डॉ। एमएल आर्या व डॉ। राजेंद्र सिंह के खिलाफ अलग-अलग केस दर्ज किए है। जांच में सामने आया है कि दोनों ने वाराणसी स्थित दो दवा सप्लायर फर्मो के साथ मिलीभगत कर दवाओं की सप्लाई का काम दिया। फर्मो ने दवा सप्लाई करने के बजाय सीधे बिल भेज दिया जिसे दोनों एसीएमओ ने पास भी कर दिया। इसके बाद बिलों का भुगतान भी करा दिया गया। दोनों ही मामलों में राज्य सरकार को 16 लाख 64 हजार 390 रूपये तथा 15 लाख 84 हजार 489 रूपये की राजस्व की हानि हुई।

फैक्ट फाइल

- 02 सीएमओ की हत्या के बाद शुरू हुई जांच

- 50 से ज्यादा जिले जांच के दायरे में आए

- 80 केस अब तक हो चुके है दर्ज

- 56 से ज्यादा मामलों में लग चुकी है चार्जशीट

- 02 डीजी हेल्थ हो चुके हैं गिरफ्तार

- 100 से ज्यादा डॉक्टरों ने किया सरेंडर

- 02 साल की अवधि के दौरान घोटाले की जांच

- 350 से ज्यादा अब तक हुए गिरफ्तार

इन पर गिरी थी गाज

- पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, पूर्व विधायक आरपी जायसवाल के अलावा तत्कालीन प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रदीप शुक्ल, नेहरू युवा केंद्र के पूर्व निदेशक डीके सिंह, पैकफेड के चेयरमैन वीके चौधरी, सीएंडडीएस के एमडी पीके भूकेश, लघु उद्योग विकास निगम के एमडी अभय कुमार बाजपेई, श्रीट्रान इंडिया के जीके बत्रा जैसे प्रमुख चेहरों के अलावा सौ से ज्यादा दवा सप्लायर भी हुए थे गिरफ्तार।