RANCHI: झारखंड में बिजली संचरण लाइन दुरुस्त नहीं होने से उपलब्ध ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो रहा है। लेकिन, आने वाले दिनों में यह लॉस खत्म होने वाला है। जी हां, राज्य में तीन पावर ग्रिड बन कर लगभग तैयार हैं। बहुत जल्द इनका इनाग्रेशन होने वाला है। ये ग्रिड गिरिडीह के सरिया, बोकारो के जैना मोड़ व चाईबासा के बालीगुमा में तैयार हैं। तीनों पावर ग्रिड शुरू होने से इन जिलों में बिजली आपूर्ति की समस्या दूर हो जाएगी।

प्रॉपर होगी पावर सप्लाई

तीन ग्रिड के शुरू होने से जो बिजली इन जिलों को मिल रही है, उसका पूरा सदुपयोग हो पाएगा। गिरिडीह व बोकारो में डीवीसी कमांड वाले एरिया हैं, जहां डीवीसी का मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। इससे बिजली का लाइन लॉस अधिक हो रहा है। लेकिन, अब दोनों जगह ग्रिड शुरू होने से संचरण लाइन मजबूत होगी और बिजली की प्रॉपर सप्लाई हो पाएगी। साथ ही चाईबासा में इंडस्ट्री अधिक है। वहां बिजली की अधिक खपत होती है, यहां बिजली की प्रॉपर सप्लाई है लेकिन संचरण लाइन सही नहीं होने से पहले वाले ग्रिड पर भार अधिक है। पूरी बिजली का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है।

खत्म होगा बिजली संकट

गिरिडीह जिले के सरिया में क्फ्ख्.फ्फ् केवी का पावर ग्रिड बनाया गया है। यहां से क्00 मेगावाट पावर सप्लाई होगी। ग्रिड की लागत लगभग क्00 करोड़ रुपए है। इसे गिरिडीह से जोड़ा जाएगा। इस पावर ग्रिड से सरिया, बगोदर, बिरनी के पावर सब स्टेशन को विद्युत आपूर्ति होगी। साथ ही बरकट्टा खंभरा में भी पावर सब स्टेशन बनने के बाद उसे इस पावर ग्रिड से जोड़ दिया जाएगा। इस पावर ग्रिड को गिरिडीह के अलावा बोकारो के जैना मोड़ से भी जोड़ने की योजना है। इससे डीवीसी और तेनुघाट दोनों से उत्पादित बिजली की सप्लाई यहां के पावर ग्रिड में हो पाएगी।

कम होगी बिजली कटौती

बोकारो जिले के जैनामोड़ में 80 मेगावाट का नया पावर ग्रिड बनकर तैयार है। इससे बिजली की समस्या दूर हो सकेगी। वर्तमान में बोकारो जिले में एक भी सरकारी पावर ग्रिड नहीं होने के कारण सबस्टेशन से ही पावर ग्रिड का भी कार्य लिया जा रहा है। इस पावर ग्रिड के चालू होने के बाद तेनुघाट, लोयाबाद और तेनुघाट विद्युत प्रमंडल के सबस्टेशनों में लोड शेडिंग काफी कम होगी।

इंडस्ट्री को राहत

चाईबासा के बालीगुमा में भी ख्ख्ख्-क्फ्ख् केवी का एक नया पावर ग्रिड बनकर तैयार है। नए साल में इसका उद्घाटन भी हो जाएगा। चाईबासा में इंडस्ट्री अधिक है। वहां बिजली की अधिक खपत होती है। यहां बिजली की प्रॉपर सप्लाई है, लेकिन संचरण लाइन सही नहीं होने से पहले वाले ग्रिड पर भार अधिक है। पूरी बिजली का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है।