जन्म से थी समस्या

किडनी की जन्मजात बीमारी से पीडि़त तीन वर्षीय प्रत्याशा को बेमेल ब्लड ग्रुप के डोनर से मिली किडनी सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित की गई। उसकी मां ने उसे किडनी दान की थी, लेकिन मां-बेटी का ब्लड ग्रुप आपस में नहीं मिल रहा था। फिर भी अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीकों का इस्तेमाल कर गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल के डॉक्टरों ने बच्ची का किडनी प्रत्यारोपण किया।

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पहली सबसे छोटी बेमेल सफल प्रत्यारोपण की उदाहरण

डॉक्टरों का दावा है कि देश में पहली बार इतनी कम उम्र की अवस्था में किसी मरीज का बेमेल ब्लड ग्रुप डोनर किडनी प्रत्यारोपण किया गया है। अब वह ठीक है। इससे पहले इसी अस्पताल के डॉक्टरों ने वर्ष 2014 में 12 वर्षीय बच्चे का बेमेल डोनर किडनी प्रत्यारोपण किया था। तब से लेकर अब तक इस अस्पताल में इस तकनीक से करीब 60 मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण हो चुका है। किडनी के मरीजों के लिए यह तकनीक फायदेमंद साबित हो सकती है क्योंकि किडनी प्रत्यारोपण के लिए मरीज व डोनर का ब्लड ग्रुप एक होना जरूरी है। यही वजह है कि कई मरीजों को किडनी प्रत्यारोपण के लिए डोनर नहीं मिल पाते। अस्पताल के पेडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी व बच्चों के किडनी प्रत्यारोपण विभाग के सलाहकार डॉ. सिद्धार्थ सेठी ने कहा कि बच्ची का वजन सिर्फ 10 किलोग्राम है।

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अलग अलग ब्लड ग्रुप

जन्म के समय से ही प्रत्याशा की किडनी खराब थी। उसके पिता संग्राम मलिक व मां दीपाली मलिक मूलरूप से ओडिशा के हैं, लेकिन वह गुरुग्राम में रहते हैं। बच्ची का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव व उसकी मां का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है। परिवार में उसके ब्लड ग्रुप का कोई डोनर नहीं मिला। हमने छह महीने तक ब्रेन डेड कैडेवर डोनर की तलाश की। फिर भी कोई ऐसा डोनर नहीं मिला जिसका ब्लड ग्रुप मैच करता हो। बच्ची की उम्र काफी कम होने के कारण डायलिसिस करना भी सुरक्षित नहीं था। इसलिए बेमेल डोनर किडनी प्रत्यारोपण का फैसला किया गया और पांच अप्रैल को किडनी प्रत्यारोपित की गई।

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खास तरह से इलाज

प्रत्यारोपण से दो सप्ताह पहले बच्ची को एक खास तरह का इंजेक्शन लगाया गया। बच्ची के ब्लड ग्रुप में ए एंटीबॉडी था। उसे इम्यूनोएडजॉप्र्शन कॉलम के जरिये फिल्टर करके हटाया गया। इसके बाद किडनी प्रत्यारोपित की गई। अस्पताल के किडनी प्रत्यारोपण विभाग के एसोसिएट निदेशक डॉ. प्रसून घोष ने कहा कि बच्ची का पेट छोटा होने के कारण किसी व्यस्क की किडनी प्रत्यारोपित करने में खतरा अधिक था, पर ऑपरेशन सफल रहा।

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