हैरानी

- निगम द्वारा फॉगिंग के लिए उपयोग लाई जा रही दवा का नमूना हुआ फेल

- महापौर ने कमिश्नर को पत्र लिख जांच कराने की मांग की

Meerut। नगर निगम द्वारा जो फॉगिंग की जाती है .उससे मच्छरों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसका मुख्य कारण है वह दवा नहीं बल्कि पानी है। यह हम नहीं बल्कि भारत सरकार की कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की क्षेत्रीय कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशाला चंडीगढ़ की रिपोर्ट कह रही है। निगम द्वारा भेजी गई जांच का नमूना फेल आया है।

कमिश्नर से जांच की मांग

महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने कमिश्नर को पत्र लिख इस मामले की जांच कराने की मांग की है। महापौर ने रिपोर्ट की कॉपी भी संलग्न करके कमिश्नर को भेजी है। वहीं नगर आयुक्त की मंशा पर सवाल उठाते हुए जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।

22 सितंबर को भेजा था नमूना

महापौर के कहने पर 22 सितंबर 2016 को मीथेन का नमूना चंडीगढ़ स्थित कीटनाशक प्रयोगशाला में भेजा था। जिसकी रिपोर्ट मंगलवार को आई।

पानी में जाते हैं पांच लाख रुपये

नगर निगम फॉगिंग कराने के लिए हर साल करीब पांच लाख रुपये की मीथेन मंगाता है। उसी मीथेन का छिड़काव पूरे शहर में किया जाता है। जिससे मच्छरों का प्रकोप कम हो सके।

मामला गंभीर है ऐसा लगता है कि व्यक्तिगत लाभ के लिए इस प्रकार का मीथेन मंगाया गया था। कमिश्नर को पत्र लिख जांच कराने की मांग की है। जो भी इस मामले में शामिल है उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

हरिकांत अहलूवालिया महापौर