उन्नाव में बाघ के होने की खबर के बाद आई नेक्स्ट की टीम इसकी सच्चाई पता करने के लिए बुधवार को निकली.आईनेक्स्ट टीम ने उन्नाव के जंगल से लेकर गंगा कटरी के आसपास के इलाके को खंगाल डाला। टीम ने कॉम्बिंग में लगे वन विभाग के लोगों और इलाकाई नागरिकों से भी बातचीत की.पूरी तफ्तीश के बाद ये बात सामने आई कि बाघ उन्नाव से निकलकार कानपुर शहर के नजदीक आ गया है.वो गंगा बैराज पहुंच चुका है.पढि़ए बाघ की तलाश पर आईनेक्स्ट की ये खास रिपोर्ट

गढ़ीसिलौली, उन्नाव

खौफ के साये में जी रहे ग्रामीण

गढ़ीसिलौली में पिछले एक हफ्ते से ग्रामीण बाघ के खौफ के साये में जी रहे है। टाइगर को क्क् नवंबर को एक महिला ने देखा था। वो शौच के लिए जा रही थी तभी बाघ उसके सामने आ गया और वो दहशत में बेहोश हो गई। बाघ का पता चलते ही गांव में हड़कम्प मच गया। गांव वालों ने बाघ की मौजूदगी की पुष्टि करने के लिए खेत में बछड़े को बांध दिया।

जब वो अगले दिन वहां पहुंचे तो सिर्फ बछड़े की हड्डियां मिली जिसके बाद से गांव में दहशत फैली है। वहां पर दिन में ही मरघट का सन्नाटा पसरा रहता है। बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता है। वहीं, कोई भी शाम ढलने के बाद अकेले बाहर नहीं जाता है। महिलाएं भी एहतियात के तौर पर ग्रुप में बाहर जाती है।

जंगल में पहुंची आई नेक्स्ट की टीम

आई नेक्स्ट की टीम गांव से निकले के बाद गढ़ीसिलौली के जंगल में पहुंच गई। वन विभाग के जवानों ने आई नेक्स्ट की टीम को जंगल के इंट्री प्वाइंट पर रोक लिया। फोर व्हीलर से होने के बावजूद आईनेक्स्ट टीम को तभी भीतर जाने दिया गया जब टीम ने उनसे कहा कि कोई गाड़ी से नहीं उतरेगा.जंगल में आई नेक्स्ट की टीम ने करीब एक घंटे सर्च किया। वहां पर बाघ के पग के निशान आई नेक्स्ट की टीम को मिल गए। जिससे ये पुष्टि हो गई कि बाघ वहाआया था.

मुख्य वन संरक्षक और स्पेशल टीम से बात

आई नेक्स्ट की टीम जंगल से बाहर निकल ही रही थी कि उसी समय मुख्य वन संरक्षक ईशा गुप्ता भी वहां पहुंच गई। उन्होंने स्पेशल टीम के साथ जंगल का निरीक्षण कर बाघ से संबंधित जानकारी हासिल की। आई नेक्स्ट ने उनसे बात की, तो उन्होंने बताया कि फिलहाल बाघ के वहां पर रूके होने के अब कोई संकेत नहीं मिल रहे है। गंगा बैराज के पास मवेशी होते है और वहां नदी भी है।

इसलिए बाघ गंगा बैराज की ओर निकल गया है। उन्होंने बताया कि टाइगर के गंगा बैराज की तलहटी में होने की संभावना है। वन विभाग की टीम सर्च कर रही है। जल्द ही टीम बाघ को ढूढ़कर उसे पकड़ लेगी। वन संरक्षक के वहां से जाने के बाद आई नेक्स्ट की टीम ने वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यू टी आई) की स्पेशल टीम से भी बात की, तो उन्होंने भी बाघ के गंगा बैराज की ओर जाने की संभावना जताई।

गढ़ीसिलौली से चार किमी दूर है गंगा बैराज

गढ़ी सिलौली से गंगा बैराज की दूरी करीब चार किमी है। इन दोनों के बीच गंगौली, पीपरी और शंकरपुर सराय गांव पड़ते है। ये बात सामने आई कि गढ़ी सिलौली से बाघ मंगलवार को ही शंकरपुर सराय पहुंच गया था। वहां से गंगा बैराज करीब सवा किलोमीटर है

शाम फ्.भ्भ् बजे: गंगा बैराज में दहशत की सुगबुगाहट

आसपास टाइगर है इस संभावना से ही गंगाबैराज के इलाके में दहशत थी। गंगा बैराज, कटरी समेत आसपास के एरिया के गांव में ग्रामीणों के चेहरे पर खौफ देखा जा सकता था। मेन रोड से जुड़े गंगा बैराज में भी लोग डरे हुए थे। आई नेक्स्ट की टीम कल्लूपुरवा, नत्थापुरवा, शंकरपुर सराय गई, तो कुछ ग्रामीणों ने गंगा कटरी में बाघ के पहुंचने का दावा किया। हालांकि इस इलाके में अभी तक किसी ने बाघ को देखा नहीं है।

कल्लूपुरवा के अवधेश ने बताया कि गंगा कटरी में टाइगर आ चुका है। वो रात में शिकार के लिए निकलता है। उसके डर से ग्रामीण सहमे हुए है। शाम होने के बाद बच्चों को घर के अन्दर कर लिया जाता है। रमेश का कहना है कि बाघ के बारे में सुना तो जरूर है, लेकिन उसको अभी देखा नहीं है।

शाम को शेर की दहाड़ से हड़कम्प मचा, अलर्ट जारी

जिसका डर था देर शाम को वो हो गया। शेर की दहाड़ से गंगा बैराज के इलाके में हड़कम्प मच गया। गांवों में लाठी-डण्डे लेकर लोग बाहर निकल आए, तो कुछ घरों में दुबक गए। इधर, पुलिस को सूचना मिली, तो गंगा के किनारे के थानों में अलर्ट जारी कर दिया गया। आनन फानन में संबंधित थाने की फोर्स गंगा बैराज समेत अन्य घाटों में पहुंच गई। इस बाबत एसओ कोहना नीरज यादव ने बताया कि बैराज में कुछ लोगों ने शेर के दहाड़े जाने की पुष्टि की है जिसके चलते वहां पर पुलिस फोर्स को तैनात किया गया है।

थोड़ी देर बाद सूचना आई कि बाघ नत्थापुरवा में संतोष नाम के ग्रामीण की गाय को खा गया है। नत्थापुरवा गंगा बैराज से सटा हुआ गांव है। गंगा पार करते ही बाघ शहर से भीतर पहुंच जाएगा। वो एक बार अपने सफर के दौरान लखनऊ में गोमती नही पार के गोधन गांव पहुंचा था।

वेट एण्ड वॉच की स्थिति

वन विभाग की टीम को क्क् नवंबर को गढ़ीसिलौली के निवासियों ने शेर के देखे जाने की सूचना दी थी जिसके बाद से टीम वहां पर डेरा जमाए है। टीम ने जंगल में कैमरे लगाए, तो उसमें बाघ की तस्वीर कैद हो गई। नवंबर तक तो बाघ की मूवमेंट की फुटेज मिलती रही, लेकिन उसके बाद से उसका कुछ पता नहीं चला । बुधवार को टीम को शेर के कानपुर के गंगा बैराज में पहुंचने के संकेत मिले है, लेकिन वो वो गढ़ीसिलौली में ही डेरा जमाए है।

डॉ। संजय के मुताबिक ये स्थिति वेट एण्ड वॉच करने की होती है। अगर शेर गंगा बैराज की ओर गया है तो वहां पर उसके निशान मिल जाएगा या वो किसी का शिकार करेगा। वो इसी तरह किसी संकेत का इन्तजार कर रहे है। जैसे ही उनकी टीम को कोई संकेत मिलेगा, टीम गंगा बैराज पहुंच जाएगी। हालांकि उन्होंने फौरीतौर पर एक टीम को गंगा बैराज में सर्च करने के लिए भेज दी है.

ऑपरेशन में लगे हैं स्पेशल टीम

टाइगर को पकड़ने के आपरेशन में स्पेशल टीम, वन विभाग के ऑफिसर समेत ब्भ् जवान लगे है। साथ ही दुधवा नेशनल पार्क से दो हाथी लाए गए है। जिनके जरिए टीम काम्बिंग कर रही है। महावत अनीस और इंद्रेश ने बताया कि दोनों हाथी ट्रेंड है। ये चार आपरेशन में शामिल हो चुके है। इसके अलावा जंगल में छह कैमरे लगाए गए है। जिसमें बाघ की मूवमेंट कैद हुई है। डॉ। संजय के मुताबिक टीम सुबह भ्.फ्0 बजे से क्क् बजे तक काम्बिंग करती है। जिसके बाद दोपहर ख् बजे से शाम भ्.फ्0 बजे तक दोबारा काम्बिंग की जाती है।

अंधेरा होने पर काम्बिंग बन्द हो जाती है। इसके बाद वन विभाग की टीम पेट्रोलिंग करती है। जंगल के बीचोबीच एक केज (पिंजड़ा) भी लगाया गया है। जिसमें जिन्दा बछड़े को बांधा जाता है, ताकि शेर उसको शिकार करने आए और उनके जाल में फंस जाए.

 कई दिन से चल रहा है आपरेशन

वन विभाग की टीम को अक्टूबर में मिश्रिख में बाघ की मौजूदगी के सबूत मिले थे जिसका पता चलते ही वन विभाग की टीम अगले दिन मिश्रिख पहुंच गई। जिसके बाद से वे उसे ढूढ़ने में जुटे है। डॉ। संजय के मुताबिक अतरौली के पास से उसकी लोकेशन मिलना बन्द हो गई थी जिसके चलते उनकी टीम को करीब दस दिन अतरौली में ही रुकना पड़ा था। बाद में उनको गोधन गांव में टाइगर की लोकेशन मिली और उनकी टीम दोबारा उसके पीछे लग गई। अब गढ़ीसिलौली के बाद उसके निशान मिलना फिर बन्द हो गए।

जंगल की सीमाएं सील.

वन विभाग की टीम ने सुरक्षा के चलते गढ़ीसिलौली के जंगल को सील कर दिया है। जंगल के चौतरफा छह प्वाइंट बनाए गए है। जिसमें वन विभाग के जवान ड्यूटी पर लगाए गए है। एक प्वाइंट में तीन से चार जवानों की ड्यूटी है। उनको ड्यूटी प्वाइंट से हटाने की इजाजत नहीं है। उनको खाने के लिए लंच पैकेट भी मौके पर पहुंचाया जा रहा है.

तीन सौ किमी का सफर तय कर चुका है

डब्लूटीआई के ऑफिसर डॉ। संजय सिंघई के मुताबिक शेर करीब फ्00 किमी का सफर तय कर चुका है। वो लखीमपुर से निकला है। इसके बाद उसके हरदोई, गोपरामऊ, अतरौली और तुलसीनगर में होने के निशान मिले तो टीम उसको पकड़ने के लिए वहां पर भी पहुंची लेकिन बाघ गोमती नदी को पार कर गोधन गांव के पास पहुंच गया। इसके बाद काकोरी, मलिहाबाद और फिर उन्नाव के कुमरिन खेड़ा के पास उसके निशान मिले। डॉ। संजय के मुताबिक अब शेर गंगा बैराज की अोर गया है।

आदमखोर नहीं है ये.

वन विभाग की टीम के मुताबिक टाइगर की कैमरे में तस्वीर कैद हो गई है। वो अभी सब एडल्ट यानि शावक है। वो पूरी तरह से स्वस्थ्य है। सबसे अच्छी बात है कि वो नार्मल बिहेवियर का है। वो अभी आदमखोर नहीं हुआ है। उसने किसी इंसान पर हमला नहीं किया है। इसलिए गंगा बैराज समेत अन्य वो इलाके, जहां पर बाघ के होने की संभावना है। वहां पर अगर किसी के सामने वो आ जाता है, तो व्यक्ति वहां से भागे नहीं, बल्कि बिना हरकत किए वहां पर खड़ा रहे। इससे बाघ खुद वहां से चला जाएगा। टाइगर तभी हमला करेगा, जब उसको कोई डराने की कोशिश या अन्य हरकत करेगा।

नील गाय है सबसे पसन्दीदा

डब्लूटीआई के ऑफिसर डॉ। संजय सिंघई के मुताबिक शेर की सबसे पसन्दीदा खुराक नील गाय है। वो नील गाय का शिकार कर उसको झाडि़यों के बीच छुपा देता है। नील गाय बड़ा जानवर होता है। इसलिए वो एक बार में उसका गोश्त नहीं खा पाता। वो दो से तीन दिन तक उसका गोश्त खाता है। जिससे वो अगले एक-दो दिन शिकार करने से बच जाता है। अगर वो नील गाय का शिकार नहीं कर पाता है, तो वो जंगली सुअर और फिर बछड़े को टारगेट करता है।