हासिल, साहेब बीवी और ग़ुलाम और पान सिंह तोमर जैसी फ़िल्में बनाकर मशहूर हुए तिग्मांशु धूलिया की अगली फ़िल्म 'रागदेश' आने वाली है।

रागदेश सुभाष चंद्र बोस की आर्मी आईएनए पर बनी है। फिलहाल तिग्मांशु इस फ़िल्म के प्रमोशन में लगे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने बीबीसी से बात की और कई सवालों के जवाब दिए।

तिग्मांशु ने जब अनुराग कश्यप की फ़िल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में रमाधीर सिंह की भूमिका निभाई लोगों को लगा कि वह एक उम्दा फ़िल्मकार ही नहीं हैं बल्कि उनके भीतर एक प्रतिभाशाली अभिनेता भी है।

हालांकि तिग्मांशु ने बीबीसी हिन्दी रेडियो के संपादक राजेश जोशी से बातचीत करते हुए कहा कि वह ख़ुद को मूलतः फ़िल्म निर्देशक मानते हैं।

तिग्मांशु की नई फ़िल्म रागदेश को राज्यसभा टीवी ने प्रोड्युस किया है। तिग्मांशु ने कहा कि वह इतिहास के स्टूडेंट रहे हैं और इतिहास में उनकी ख़ास रुचि है, इसलिए रादगेश को चुना। उन्होंने कहा कि रागदेश में इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं कई गई है।

फिल्म इंडस्ट्री में 90 फ़ीसदी लोग अनपढ़ हैं!

 

तिग्मांशु से बीबीसी ने पूछा कि देश की राजनीति में इतनी उठापटक जारी है और आपकी राजनीति और समाज पर गहरी नज़र होती है फिर भी खामोश क्यों रहते हैं? मुंबइया फ़िल्मों के कलाकार सड़क पर क्यों नहीं उतरते हैं?

इस पर उन्होंने कहा कि वह इस सवाल से 100 फ़ीसदी इत्तेफ़ाक रखते हैं।

तिग्मांशु ने कहा, ''पिछले तीन सालों में जो भी हुआ है और जो देश का पहला विरोध था वह एफ़टीआईआई से शुरू हुआ। यह प्रोटेस्ट एक फ़िल्म इंस्टिट्यूट से हुआ और मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है। मुझे इस बात का वाकई बहुत दुख है इतने बड़े-बड़े कलाकार हैं, उनके ट्विटर पर लाखों फॉलोवर्स हैं और इतना कुछ होता है फिर भी कोई कुछ बोलता नहीं।''

तिग्मांशु ने कहा कि यह सवाल उन लोगों से करना चाहिए क्योंकि मैं कुछ न कुछ तो करता ही रहता हूं।

उन्होंने कहा, ''लोग बोलने से डरते हैं क्योंकि फ़िल्म वाले सॉफ़्ट टारगेट होते हैं। 90 फ़ीसदी फ़िल्म इंडस्ट्री वाले अनपढ़ हैं। ये अनपढ़ लोग हैं। उनमें इतनी समझ ही नहीं है कि असली बात बोलेंगे। अब आपको के आसिफ़ जैसे लोग नहीं मिलेंगे जो पांचवी पास थे लेकिन मुगले आज़म बना दी।''

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