लखीमपुरखीरी से भागकर गंगा बैराज के जंगल में पहुंची बाघिन का 202 दिन बाद भी कोई पता नहीं चला। 10 करोड़ रुपए से ज्यादा स्वाहा हो चुके हैं बाघिन की खोज में। अगर आज भी बाघिन की तलाश पूरी शिद्दत से जारी होती तो शायद हर कोई यही कहता है कि बाघिन गंगा बैराज के जंगलों में ही है। लेकिन उसकी तलाश में कॉम्बिंग कटरी से नहीं बल्कि एसी ऑफिस और दुधवा से हो रही है। अब एक बड़ा सवाल उठता है कि क्यों 120 दिनों तक तो दिनरात उसकी तलाश की गई लेकिन 82 दिनों से तलाश बंद क्यों हो गई? सभी टीमें वापस चली गई। बाघिन को पकड़ने के लिए आया सारा सामान सिर्फ एक पिंजड़े को छोड़कर वापस हो चुका है। रीडर्स की रिक्वेस्ट पर ट्यूजडे को आई नेक्स्ट टीम गंगा बैराज के जंगल पहुंची और वहां का जायजा लिया

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KANPUR: गंगा बैराज पहुंची आई नेक्स्ट टीम ने कई सवालों के उत्तर जानने की कोशिश की। आइए आपको बताते हैं क्या हैं वो प्रश्न और उनके उत्तर।

जगह-गंगा बैराज, रेस्क्यू प्वाइंट

टाइम-दोपहर क्ख्:क्भ् मिनट

करीब तीन महीने पहले जिस जगह पर वन विभाग, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारियों का जमावड़ा लगा रहता था। वहां जबरदस्त सन्नाटा पसरा था। गर्म तेज हवाओं के बीच एक किनारे पर सिर्फ लखनऊ चिडि़याघर से आया एक लकड़ी का पिंजड़ा रखा दिखा। वहां वन विभाग या दूसरी संस्थाओं का एक भी कर्मचारी मौजूद नहीं था। जिस किसान की जमीन पर रेस्क्यू प्वाइंट बनाया गया था। उससे जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने ये सवाल किया कि कब से यहां एक भी कर्मचारी नहीं है तो वो बोला, तीन महीने पहले यहां बाघिन को पकड़ने के लिए तीन दर्जन से ज्यादा लोग सुबह-शाम आते-जाते रहते थे लेकिन अब कोई झांकने तक नहीं आता है। उसने बताया कि वो लोग अपना सारा सामान भी ले गए।

क्। सवाल-वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी क्यों चले गए?

उत्तर-लखीमपुर खीरी से लेकर गंगा बैराज के जंगलों तक लगातार बाघिन को फॉलो करती रही। जैसे ही टीम को ये मालूम चला कि वो गंगा बैराज के जंगलों में है। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सीनियर डॉक्टर्स, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के कर्मचारी और अधिकारी, रिटायर्ड रेंजर्स की टीम समेत वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने न सिर्फ जंगल में कॉम्बिंग की बल्कि उसके पल-पल की खबर रखी। लेकिन अचानक सब क्यों गायब हो गए। बिना किसी कारण के वो क्यों गए जबकि उन सभी को सैलरी मिल रही है। रिटायर्ड रेंजर मो। नसीम बताते हैं कि अगर कर्मचारियों को जरा भी आभास होता कि बाघिन वहां मौजूद है तो फिर किसी भी कीमत पर वो उसको वहां पर छोड़कर वो जाते नहीं। इसमें कोई तो गड़बड़ी जरूर है। या तो उनको आभास हो गया है कि वो वहां से चली गई या फिर कोई अौर कारण?

ख्। सवाल-शिकार क्यों नहीं किया बाघिन ने?

उत्तर-कोई जानवर भूखा नहीं रह सकता। ये खुद वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के सीनियर चिकित्सक डॉ। सौरभ ने आई नेक्स्ट को बताया था। ऐसे में सवाल ये है कि पिछले म्0 दिनों से ज्यादा समय तक बाघिन के एक भी शिकार करने की खबर नहीं आई जबकि जब टीम उसको पकड़ने के लिए खोजबीन कर रही थी तब रोजाना नहीं तो हर दूसरे-तीसरे दिन खबर आई थी कि उसने नीलगाय को मार दिया। कई बार तो उसने आधी ही नील गाय खाई। वन विभाग की टीम ने जंगल में लगाए पिंजड़ों में पड़वा बांधा। उसको भी उसने एक बार खाया कुल मिलाकर उसने कहीं न कहीं शिकार जरूर किया। क्या म्0 दिनों तक बाघिन भूखी रह सकती है? इस सवाल के जवाब में पशु चिकित्सक वीके सिंह कहते हैं कि ये असंभव है। बाघ या बाघिन अगर बीमार भी है तो इतने लंबे समय तक भूखा नहीं रह सकता है। वो शिकार जरूर करेगा। कनवापुर के राकेश ने बताया कि जैसे ही बाघिन गंगा बैराज पहुंची थी तो रोजाना कोई न कोई गांव वाला जरूर उसके शिकार की सूचना दे देता था लेकिन दो महीने से ज्यादा समय हो चुका है किसी ने कोई खबर नहीं दी। होशिंगाबाद टाइगर रिजर्व हिल के इंचार्ज अशोक कुमार मिश्र बताते हैं कि बाघ या बाघिन क्0 दिनों से ज्यादा भूखा रह नहीं सकता है। अगर वो बीमार है तो भी बिना खाए नहीं रह सकता है।

फ्। सवाल-बाघिन के पंजे के निशान क्यों नहीं मिले?

उत्तर- क्9 नवंबर ख्0क्ब् को बाघिन के गंगा बैराज के जंगल में पहुंचते ही उसके पगमा‌र्क्स मिलना शुरू हो गए थे। सुबह-शाम लगातार उसके पगमार्क गंगा बैराज के जंगलों में मिले। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने हर दिन इसकी पुष्टि की। आई नेक्स्ट ने ट्यूजडे को नत्थापुरवा के शिवबलन से जब बाघिन के पंजे के निशान देखे जाने की बात की तो उसने सिरे से नकार दिया। वो बोला कि पिछले करीब दो महीने से ज्यादा समय से बाघिन का एक भी पगमार्क नहीं मिला है। उसने बताया कि करीब म्भ् दिनों पहले तो दिन-रात दोनों टाइम बाघिन के पंजों के निशान मिल जाते थे लेकिन इधर तो किसी ने झूठ भी नहीं कहा कि पग मार्क मिले।

ब्। सवाल- किसी को दिखी क्यों नहीं?

उत्तर-करीब चार महीने पहले बाघिन को गंगा बैराज के गांव में रहने ननकू ने देखा था। वो खेत में काम कर रहा था कि अचानक बाघिन को देखकर भागा। उसने आंखों देखा हाल गांव वालों को बताया भी। इतना ही नहीं कुछ दिनों बाद खेत में काम कर रही एक महिला ने भी उसको देखा। वो बाग में अमरूद तोड़ रही थी। उस महिला के बारे में आई नेक्स्ट ने पब्लिश भी किया था। इसके अलावा भी कई किसानों ने बाघिन को देखा। ये तो छोडि़ए कॉम्बिंग टीम में शामिल डॉ। उत्कर्ष शुक्ला समेत सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने कई बार उसको देखा ही नहीं बल्कि नाइट विजन कैमरे में उसकी तस्वीर भी कैद हुई। लेकिन पिछले म्9 दिनों से ज्यादा समय बीतने को है किसी ने उसको नहीं देखा न ही नाइट विजन कैमरे में उसकी तस्वीर कैद हुई।

भ्। सवाल-बाघिन बीमार या घायल तो नहीं है?

बाघिन अगर बीमार या फिर घायल है तो एक जगह पर कहीं न कहीं जरूर बैठेगी? होशिंगाबाद टाइगर रिजर्व हिल के इंचार्ज अशोक कुमार मिश्र बताते हैं कि किसी भी सूरत में बाघिन बीमार या घायल होने पर ज्यादा चहलकदमी नहीं करेगी। वो जहां है वहीं रुकी रहेगी। लेकिन शिकार के लिए जरूर जाएगी। ये जरूर हो सकता है कि बाघिन इतनी ज्यादा बीमार है कि वो उठ नहीं सकती।