टीना अंबानी ने ये भी कहा है कि उन्हें स्वान कंसल्टेंसी नाम की कोई कंपनी के बारे में कुछ नहीं पता.

गुरुवार को उनके पति अनिल अंबानी भी सीबीआई की अदालत के सामने गवाह के रूप में पेश हुई और विशेष जज ओपी सैनी के सामने गवाही दी.

अनिल अंबानी ने भी अदालत से ये कहा था कि उन्हें स्वान टेलीकॉम नाम की किसी कंपनी के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

अभियोजन पक्ष के वकील ने जब अनिल अंबानी से स्वान टेलीकॉम को लेकर हुई उनकी बैठकों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भी बैठक के बारे में कुछ याद नहीं है. इस पर अभियोजन पक्ष के वकील यूयू ललित ने उन्हें बैठक के रिकॉर्ड दिखाए.

सीबीआई के विशेष जज ओपी सैनी ने टिप्पणी की कि हो सकता है कि अनिल अंबानी को वे बैठकें याद न हो जो उन्होंने की थी लेकिन इन बैठकों के रिकॉर्ड ग़लत नहीं हो सकते.

इस मामले में अंबानी पर कोई निजी तौर पर कोई आरोप नहीं हैं. उनकी एक कंपनी रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड और उसके तीन अधिकारियों पर एक दूसरी कंपनी स्वान टेलीकॉम को अपने कोटे से ज़्यादा लाइसेंस और फ़्रीक्वेंसी पाने के लिए इस्तेमाल करने का आरोप है.

स्वान टेलीकॉम के प्रोमोटर शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोएनका को वर्ष 2011 में गिरफ़्तार किया गया था लेकिन बाद में उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.

रिलायंस के वकीलों ने अदालत से अनुरोध किया था कि अनिल अंबानी और उनकी पत्नी टीना को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी जाए लेकिन अदालत ने इससे इनकार कर दिया.

कंपनी सुप्रीम कोर्ट के पास भी इसी अनुरोध के साथ पहुँची थी, लेकिन उसने भी निचली अदालत के फ़ैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया.

याचिका

दरअसल, सीबीआई ने अनिल और  टीना अंबानी के अलावा 11 गवाहों को पेश होने के लिए कहा था. निचली अदालत ने कहा था कि मामले में सही फ़ैसले पर पहुँचने के लिए इन सभी से पूछताछ ज़रूरी है.

अनिल अंबानी के बाद शुक्रवार 23 अगस्त को उनकी पत्नी टीना को अदालत के समक्ष गवाह के तौर पर पेश होना है.

सीबीआई  टूजी स्पेक्ट्रम के आवंटन में कथित घोटाले की जांच कर रही है.

महालेखा परीक्षक के मुताबिक इस घोटाले से सरकारी खजाने को  1.76 लाख करोड़ रुपए का चूना लगा था, हालांकि सरकार का कहना है कि इस आंकड़े को बढ़ाचढ़ाकर पेश किया गया है.

लाइसेंस

टीना हैं सामाजिक कार्यकर्ता,अनिल अंबानी को कुछ याद नहींफरवरी 2011 में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा को टूजी घोटाले के सिलसिले में गिरफ़्तार किया गया था.

उच्चतम न्यायालय ने फरवरी 2012 में 2008 में नौ कंपनियों को आवंटित 122 टेलीकॉम लाइसेंस रद्द कर दिए थे.

अदालत ने साथ ही इन कंपनियों पर जुर्माना भी लगाया था और सरकार से चार महीने के भीतर लाइसेंस जारी करने के नए दिशानिर्देश तय करने को कहा था.

फरवरी 2011 में पूर्व दूरसंचार मंत्री  ए राजा, उनके सहयोगी आर के चंदोलिया और पूर्व टेलीकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा को गिरफ्तार किया था.

राजा को 15 महीने बाद मई 2012 में जमानत मिली थी.

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