आईसीयू से घर ले आए थे परिजन

टी एन सिंह कई वर्षों से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। 12 जून को तबीयत अधिक खराब होने पर उन्हें पीएमसीएच के आईसीयू में एडमिट किया गया था। उनके बेटे प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टर्स की स्ट्राइक के कारण आईसीयू में देखने वाला कोई नहीं था। लाचार होकर फैमिली मेंबर्स उन्हें मंगलवार की शाम पीएमसीएच से अपने घर ले आए। सहरसा जिले के मूल निवासी श्री सिंह वर्ष 1966 में पटना आए थे। यहां बिनोदानंद झा और लाल सिंह त्यागी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने पटना को ही कर्मक्षेत्र बना लिया था।

लिखी थी कई किताबें

इनके प्रयास से ही बिहार में पहली बार वर्ष 1971 में पंचायत इलेक्शन हुआ था। इन्होंने बिहार में पंचायती राज के ऊपर आठ किताबें लिखी थी। वहीं चतुर्थ राज्य वित्त आयोग, बिहार के मेंबर भी रह चुके थे। स्व सिंह अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी समेत भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार और कर्तव्य आदि से संबंधित इनकी सलाह को स्टेट गवर्नमेंट ने लागू भी किया।

His major contribution includes

- फरवरी, 2006 से फरवरी 2007 तक बिपार्ड के पंचायत राज सेंटर में पंचायत संबंधी पुस्तकों के लेखन में एडवाइजर।

- वर्ष 1961 से 1966 तक बिहार भूदान यज्ञ कमेटी में कार्यरत।

- वर्ष 1967 से जनवरी, 2005 तक बिहार राज्य पंचायत परिषद, पटना में कार्यालय सचिव पद पर कार्यरत।

- इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, नई दिल्ली के लिए बिहार में पंचायत राज की स्थिति पर शोध।

- पंचायती राज पर आठ पुस्तकें प्रकाशित।