गुड़गांव की है घटना

गुड़गांव के एक आफिस मे काम करने वाली लड़की ने बताया कि रात को 9 बजे वह अपने ऑफिस का सारा काम खत्म कर घर के लिए निकली। ऑफिस से निकलते ही उसने द्रोणाचार्य मेट्रो स्टेशन के लिए ऑटो लिया। रोड पर बहुत भीड़ थी तो उसने ऑटो ड्राइवर से पूछा भईया आज बहुत जाम है क्या। ऑटो ड्राइवर ने जबाव देते हुए कहा कि कब नही होता है मैडम। इसके बाद उसे कुछ भी याद नही है। जब उसकी आंखे खुली तो वो दो डॉक्टर्स के साथ थी। उसे सिर्फ ये याद है कि कोई उससे मोबाइल का चार्जर मांग रहा था। तो उसने अपने बैग की ओर इशारा करते हुए बता दिया। इसके बाद की कोई भी बात उसे याद नही है।

डॉक्टर के पास खुली आंख

लड़की ने बताया कि जब उसने डॉक्टर्स से पूछा कि उसे वहां कौन लेकर गया है तो कोई जबाव नही आया। कुछ देर बात मुझे कुछ-कुछ समझ मे आने लगा। जो मुझे हॉस्पिटल लेकर आया था उसने मेरे फोन से लास्ट डायल नंबर पर फोन कर के मेरे दोस्त को बुलाया। मैने एक बार फिर डॉक्टर्स से जोर देकर पूछा कि मुझे यहां कोन लेकर आया है। तो जबाव मिला कुछ अच्छे लोग। इसके बाद मेरे दिमाग मे सवाल घूमने लगे। अच्छे लोग वो भी गुड़गांव मे। जो जगह लड़कियों के लिए असुरक्षित मानी जाती है। मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मेरे साथ क्या हुआ है। किसी ने मेरा रेप किया है। या मेरा एक्सीडेंट हुआ है।

अभी भी हैं अच्छे लोग

मैं उस इंसान का शुक्रियादा करना चाहती हूं जिसने एक बेहोश अकेली लड़की की मदद की। जिसने उसे अस्पताल पहुंचाया। मैं गुड़गांव के उन अच्छे लोगों को शुक्रिया कहना चाहती हूं जिन्होंने मुझे नई जिंदगी दी है। मुझे नही पता कि वो इसे पढ़ेंगे या नही पर मैं फिर भी यह कहना चाहती हूं कि वो मेरे लिए मेरा भगवान है। मै जब भी उस रात का याद करती हूं तो कांप जाती हूं। मुझे वो रात किसी बुरे सपने से कम नही लगती। अभी भी जब मैं उन अच्छे लोगों के बारे मे लिख रही हूं तो मेरे हाथ कांप रहे हैं। मेरे साथ हुए इस हादसे ने मुझे यह बताया कि सब लोग एक जैसे नही होते हैं। अच्छे लोग अभी भी है।

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