- सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाने की उड़ रहीं धज्जियां

- बैन के बावजूद नशेबाजों की मनमर्जी, शहर के स्कूल भी प्रतिबंध को लेकर लापरवाह

PATNA: बिहार में तंबाकू पर प्रतिबंध लगाने की बात आज तक कभी भी एक सिरे से नहीं चढ़ पायी है। हद तो यह है कि राजधानी के पॉश इलाके में भी प्रतिबंध के बावजूद कोई भी इसका जमकर खुलेआम यूज कर सकता है। नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे के अवसर पर सात नवंबर, ख्0क्ब् को बिहार इंडिया का ग्यारहवां स्टेट बना, जिसने स्मोकलेस टोबैको पर प्रतिबंध लगा था। इस पर पुन: आठ मई, ख्0क्भ् को इसकी खरीद-बिक्री, भंडारण और ट्रांसपोर्ट पर प्रतिबंध लगाया। ख्भ् मई तक इसके भंडारित स्टॉक को बिहार स्टेट से बाहर ले जाने की समय सीमा भी खत्म हो गई, लेकिन अब इसकी गुपचुप तरीके से सप्लाई हो रही है और प्रभावी तरीके से रोक लगने से रहा।

कानून है, पर लगाम नहीं लग रहा

आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने राजधानी पटना में खुलेआम बिक रहे टोबैको प्रोडक्ट पर रोक लगाने की बात की परख करने के मकसद से एक स्टिंग किया। इसमें रिपोर्टर ने सिविल कोर्ट के पास ही स्थित टोबैको नोडल ऑफिस के सामने कोर्ट कैंपस के पास अवस्थित एक पान दूकान से सिगरेट खरीदा और पीया, लेकिन इसकी रोक लगाने या टोकने वाला भी कोई नहीं मिला। कोटा कानून की बात करें, तो अफसर प्राय: मुंगेर के तत्कालीन एसडीएम की बात कहते नहीं थकते। उन्हें पब्लिक प्लेस पर स्मोक करते फाइन किया गया था, पर पटना में इस कानून की हनक नहीं दिखती।

स्कूल नहीं करते नियमों की परवाह

टोबैको के नोडल ऑफिसर ने बताया कि पटना के 80 परसेंट प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में टोबैको फ्री कैंपस का बोर्ड लगाया गया था, लेकिन इसकी परवाह शायद ही कोई स्कूल करता दिख रहा है। इसकी पुष्टि करने के मकसद से आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने सबसे पहले टोबैको नोडल आफिस के आस-पास के स्कूलों का हाल देखा। इस ऑफिस के पास में राजकीय बालिका, उच्च माध्यमिक विद्यालय, बांकीपुर, सेंट जेवियर कालेज, गांधी मैदान और सेंट जोसेफ कान्वेंट हाई स्कूल के गेट को देखा। इनमें से किसी भी स्कूल में यह नहीं दिखा। सिर्फ यही नहीं, दुकानदार के लिए कानूनी रूप से अनिवार्य है तंबाकू के स्वास्थ्य संबंधी खतरों को भी दूकान के सामने डिस्पले करना अनिवार्य है, पर जिन दुकानों पर भी यह बिक रहा हैं, वे भी इसका उल्लंघन करते दिखे।

कहां है टास्क फोर्स की पकड़

स्टेट हेल्थ सोसाइटी ऑफ बिहार के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर आनंद किशोर ने कहा था कि स्टेट में टोबैको प्रोडक्ट के यूजेज को कम से कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाया जाएगा। इस बाबत टास्क फोर्स का गठन डिस्ट्रिक्ट, सबडिवीजन और ब्लॉक लेबल पर गठन किया जाएगा। इसमें फूड सेफ्टी ऑफिसर, लोकल एडमिनिस्ट्रेशन और पुलिस की हेल्प से इसे इम्पलीमेंट किया जाएगा, लेकिन कम में कम अभी तो इसका असर दिखायी ही नहीं दे रहा है। डब्ल्यूएचओ के एक आंकड़े के मुताबिक बिहार में भ्फ्.भ् परसेंट टोबैको कंज्यूमर्स में से ब्9 परसेंट लोग स्मोकलेस टूबैको जैसे पान, गुटखा आदि के व्यसनी हैं। इसके कारण ओरल कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

दोस्तों के प्रेशर में रह जाते हैं

दिशा विमुक्ति सह पुनर्वास केन्द्र की डायरेक्टर राखी शर्मा की राय में टोबैको छोड़ने के लिए जरूरी है कि संबंधित व्यक्ति ना बोलना सीखे। व्यसनी के ठान लेने की बात सबसे महत्वपूर्ण है। चिंता की बात है कि पीयर ग्रुप का पे्रशर बहुत हावी होता है डिएडिक्शन की राह पकड़ने में। इस संस्था की ओर से क्8मई, ख्0क्भ् से ख्फ् मई, ख्0क्भ् तक ख्00 एडिक्ट लोगों के बीच कराए गए सर्वे में लत जारी रखने का सबसे बड़ा कारण पीयर प्रेशर बताया गया। इसमें ब्9.भ् परसेंट एडिक्ट लोग फ्0 वर्ष से अधिक आयु के थे।