पपेट पंच था पहला गेम

अर्पिता और रंगराजू दोनों ग्वालियर के अटल बिहारी वाजपेयी ट्रिपल आईटीएम कॉलेज से पढ़े हुए हैं। इससे पहले इन्होंने पपेट पंच नाम का गेम भी बनाया था। जो ड्रैगन को पंच मारता है। लेवल आगे बढ़ते हैं और गेम उतना ही इंटरेस्टिंग होता चला जाता है। पपेट पंच को राजस्थानी, गुजराती, भोजपुरी सहित कई लुक दिए जा चुके हैं। पपेट पंच इनका पहला गेम था, जिसमें आईटीएम के टेक्नोलॉजी इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन सेंटर (टीआईआईसी) ने मदद की थी। इसके बाद अर्पिता और मोहित ने अपनी एक कंपनी बनाई और बाद में इन्हीं के कॉलेज से पढ़े शिल्प गुप्ता भी इससे जुड़ गए।

40 किमी पढऩे जाने वाली अर्पिता का बनाया छोटा भीम गेम हुआ पॉपुलर

32 करोड़ की विदेशी फंडिंग

- 2015 में इन्होंने अपना हेड ऑफिस बेंगलुरू में बनाया।

- छोटा भीम हिमालयन की पब्लिसिटी से विदेशी कंपनी भी इंप्रेस हुई।

- अब महज तीन साल पुरानी इस कंपनी को दो भारतीय सहित एक विदेशी कंपनी ने 32 करोड़ रुपए की फंडिंग की है।

- अब इस स्टार्टअप में 30 लोग काम कर रहे हैं। स्टार्टअप शुरू करने के लिए टीआईआईसी ने 6.50 लाख रुपए की फंडिंग की थी।

40 किमी पढऩे जाने वाली अर्पिता का बनाया छोटा भीम गेम हुआ पॉपुलर

शुरू से पढ़ाई में टॉपर

लखनऊ के पास पिहानी गांव की रहने वाली अर्पिता बताती हैं कि उनके परिवार का फार्मास्युटिकल्स का बिजनेस है। 10वीं में डिस्ट्रिक्ट टॉप करने के बाद दिल्ली के एक स्कूल ने स्कॉलरशिप स्पॉन्सर की। अर्पिता बताती हैं कि हमारे गांव में कोई भी इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं था। इसलिए पिताजी ने इंग्लिश मीडियम स्कूल में एडमिशन कराया जो गांव से 40 किमी दूर था। स्कूल जाने के लिए सुबह 4.30 बजे वो ही मुझे छोडऩे स्कूल जाते थे। कोई भी मौसम रहा हो पिताजी ने हमेशा समय से स्कूल छोड़ा। इसके बाद उन्होंने एक बस सर्विस शुरू की। इससे गांव के बच्चे उस इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढऩे जाते थे। वे कहती हैं कि मैं मिडिल क्लास फैमिली से हूं। इसलिए अच्छी पढ़ाई कर स्कॉलरशिप के लिए प्रयास किया। और पिताजी पर ज्यादा आर्थिक बोझ न आने दूं।

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