जिले को ओडीएफ कराने का जिम्मा संभाल रहे विकास भवन को ही अभी विकास की जरूरत है। कहने को तो थ्री स्टोरी विकास भवन की बिल्डिंग में लेडीज, जेंट्स मिलाकर कुल 12 टॉयलेट हैं, पर ये बदहाल हैं। करीब दो माह पहले शौचालयों की दशा सुधारने की कवायद चली। फर्श पर टायल्स बिछाकर टॉयलेट्स को चमका दिया गया। पर, लेडीज यूरिनल पॉट न होने से महिला कर्मचारियों और महिला फरियादियों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक में कई चौंकाने वाले तथ्य मिले। आइए आपको बताते हैं

BAREILLY:

करीब 60 महिला कर्मचारी

विकास भवन के 21 विभागों में करीब 4 सौ कर्मचारी हैं, जिसमें 60 महिला व अन्य पुरुष कर्मचारी हैं। महिला अधिकारियों का तो सेपरेट टॉयलेट बना हुआ है। पर, महिला कर्मचारियों को पब्लिक टॉयलेट यूज करना पड़ता है, जिसमें लेडीज यूरिनल पॉट ही नहीं है। ऐसे में प्रेशर बनने से मजबूर होने पर उन्हें टॉयलेट यूज करना पड़ता है। कई बार महिला कर्मचारियों ने अपने-अपने विभाग के अधिकारियों से शिकायत की पर अभी तक इसका कोई अरेंजमेंट नहीं किया गया है। इसके अलावा हर दिन करीब 2 सौ से ज्यादा महिला फरियादी भी विकास भवन पहुंचती हैं, जिन्हें भी यही टॉयलेट यूज करना पड़ता है।

मरम्मत हुई पर दिखती नहीं

विकास भवन के सभी 12 टॉयलेट्स को स्वच्छ भारत अभियान के तहत 2 लाख रुपए के बजट से चमकाया गया। पर वह अब कहीं दिखता नहीं। फ‌र्स्ट फ्लोर के विकलांग जनविकास विभाग से सटकर बने टॉयलेट में साफ-सफाई का अभाव है। यहां यूरिनल की नालियां चोक हो गई हैं। जिससे सारा यूरिन फर्श पर फैल जाता है। वहीं, बदबू से विकलांग जन विकास, कृषि विभाग और आने जाने वाले फरियादियों को बदबू के बीच से होकर गुजरना पड़ता है। इसके अलावा ज्यादातर टॉयलेट्स में वॉश बेसिन नहीं है। वहीं, टॉयलेट के बाहर बने वॉश बेसिन चोक हैं, जिसमें गंदगी का अंबार लगा हुआ है।

एक नजर में

- विकास भवन में हैं 6 टॉयलेट

- प्रत्येक फ्लोर पर हैं 2 टॉयलेट

- लेडीज टॉयलेट में यूरिन पॉट नहीं

- कई टॉयलेट्स में पसरी है गंदगी

- 60 महिला और 3 सौ पुरुष कर्मचारी

- प्रतिदिन यहां पहुंचते हैं 2 सौ फरियादी

पेंशन न मिलने की शिकायत करने समाज कल्याण विभाग आए थे। यहां टॉयलेट में सफाई नहीं है। बदबू और गंदगी है। लेडीज यूरिनल पॉट नहीं है।

अलका, फ रियादी

सफाईकर्मी न होने से टॉयलेट में गंदगी है। खुद से चंदा लगाकर वीक में प्राइवेट सफाईकर्मी के जरिए सफाई कराते हैं। अब समस्या तो होती ही है।

रश्मि, महिला कर्मचारी

टॉयलेट की ज्यादातर नालियां चोक होने से यूरिन फर्श पर फैला रहता है। इस हालात में मजबूरी में ही टॉयलेट का यूज करना पड़ता है।

मुकेश, कर्मचारी

हाल ही में टॉयलेट्स की मरम्मत हुई है। यदि कोई टॉयलेट्स साफ नहीं हैं या वहां निकासी ठीक नहीं है तो उसे ठीक करवा दिया जाएगा।

सत्येंद्र कुमार, सीडीओ