शिव के सम्मान में की गयी है प्रतिष्ठा
महाशिवरात्री को शिव की इस सबसे विशाल चेहरे की भव्य प्रतिमा को डिजाइन और प्राण प्रतिष्ठित करने वाले सद्गुर जी का कहना है कि उन्होंने ये कार्य मानवता के लिए आदियोगी शिव के अनुपम योगदान का सम्मान करने के लिए किया है। शिव का ये चेहरा मुक्ति का प्रतीक है और उन 112 मार्गो को दर्शाता है, जिनसे इंसान योग विज्ञान के जरिए अपनी परम गति को प्राप्त कर सकता है। शिव के आदियोगी स्वरूप को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पवित्र अग्नि प्रज्वलित करते हुए दुनिया भर में होने वाले महायोग यज्ञ की शुरूआत करेंगे। ये यज्ञ साल के जरिए 10 लाख लोग योग के सरल तरीके को कम से कम 100 लोगों को सिखाएंगे और अगली महाशिवरात्रि तक लगभग 10 करो़ड़ लोगों को योग का ज्ञान देंगे।

5 करोड़ लोग देखेंगे लाइव प्रसारण 
प्रतिमा के अनावरण का कार्यक्रम देश के 23 सैटेलाइट टेलीविजन चैनल और कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए 5 करो़ड़ से अधिक लोगों के लिए 7 भाषाओं में एक साथ प्रसारित किया जाएगा। अनावरण का उत्सव शाम 6 बजे शुरू होगा और दूसरे दिन बह 6 बजे तक चलेगा। इस कार्यक्रम में सद्गुर के साथ सत्संग और  ध्यान के साथ महाशिवरात्रि के पहले तीन दिन का यक्ष उत्सव मनाया जाएगा। इस में भारत के सबसे प्रतिभाशाली कलाकारों की प्रस्तुतियां, शास्त्रीय संगीत और नृत्य कलाओं की प्रस्तुति होगी। 21, 22 और 23 फरवरी को क्रमश: डॉ. मैसूर मंजुनाथ और डॉ. मैसूर नागराज द्वारा वायलिन जुगलबंदी, पद्मश्री मीनाक्षी चितरंजन द्वारा भरतनाट्यम और बिजयिनी सत्पती व सुरूपा सेना द्वारा ओडिसी नृत्य का आयोजन होगा।


विशेष तकनीक से बनी है प्रतिमा
फाउंडेशन से जुड़े सूत्रों के अनुसार यह प्रतिमा स्टील से बनी है और धातु के टुकड़ों को जोड़कर इसे तैयार किया गया है। इस तकनीक को पहली बार इस्तेमाल किया गया है। प्रतिमा के लिए नंदी भी एक विशेष मिश्रण से तैयार किया गया है। इसे धातु के 6 और 9 इंच बड़े टुकड़ों को जोड़कर तैयार किया गया है। नंदी के अंदर तिल के बीज, हल्दी, पवित्र भस्म, विभूति, कुछ खास तरह के तेल, थोड़ी रेत, कुछ अलग तरह की मिट्टी भी भरी गई। ये सारी सामग्री कुल 20 टन है। इसके बाद उसे सील कर दिया गया। पूरी प्रतिमा के निर्माण में करीब ढाई साल का समय लगा है।

क्या हैं शिव
सद्गुर ने आदियोगी के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि शिव एक तरह से तीसरे नेत्र के प्रतीक हैं। उनके अनेक नामों में से एक नाम त्रयम्बक या त्रिनेत्र भी है, जिसका मतलब है तीसरी आंख वाला। तीसरी आंख की वजह से ही वे उसे भी महसूस कर सकते हैं, जो ‘है ही नहीं’। ‘जो है’ वह एक भौतिक अभिव्यक्ति है और ‘जो है ही नहीं’ वह अभौतिक। अभी आप जिन चीजों को अपनी पांचों ज्ञानेंद्रियों से नहीं महसूस कर सकते, वह आपके अनुभव में नहीं है। अगर इंसान कोशिश करे तो वह उसे भी देख सकता है, जो ‘है ही नहीं’, जो भौतिक नहीं है यानी शिव को। उन्होंने ये भी कहा कि आज हमें और ज्यादा विज्ञान और तकनीक की जरूरत नहीं है, बल्कि एक-एक व्यक्ति के रूपांतरण की आवश्यकता है। इस अवसर पर आदियोगी की मूर्ति के साथ ही उन पर लिखी गई एक किताब भी सामने आएगी और ये भी बताया जा रहा है कि शायद अगले कुछ सालों में उन पर एक फिल्म भी बन कर आ जाए।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोयंबतूर यात्रा के देखते  हुए  शहर और इसके आसपास इलाको में  पांच-स्तरीय सुरक्षा की व्यवस्था गई है। जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस  समारोह में किसी बाधा उत्पनन न हो सके। इसके अलावा तमिलनाडु-केरल की सीमा पर भी कुछ अतरिक्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। मानवाधिकार संगठनों, विभिन्न राजनीतिक पार्टियों, किसानों एवं जनजातीय संस्थाओं की ओर से विरोध प्रदर्शन की योजनाओं के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। ये सुरक्षा के इंतजाम इतने  कड़े  है जिसको तोडना लगभग किसी के बस की' बात नहीं। 

 

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोयंबतूर यात्रा के मद्देनजर शहर और इसके आसपास पांच-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। तमिलनाडु-केरल की सीमा पर भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मानवाधिकार संगठनों, विभिन्न राजनीतिक पार्टियों, किसानों एवं जनजातीय संस्थाओं की ओर से विरोध प्रदर्शन की योजनाओं के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।

 

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