कौन है दादा साहब फाल्के
आज भारतीय सिनेमा का नाम शिखर पर है. जिससे भारतीय सिनेमा में दादा साहब फाल्के पुरस्कार का नाम भी काफी मशहूर है. दादा साहब फाल्के इसके निर्माता, निर्देशक, कथाकार, सेट डिजाईनर, ड्रेस डिजाइनर, सम्पादक, वितरक, सभी कुछ थे. 30 अप्रैल, 1870 को नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर में जन्मे दादा साहब ने भारतीय सिनेमा में को बसाने में विशेष भूमिका निभाई. इन्होंने 1913 में फिल्म राजा हरिचन्द्र बनायी. इसमें काम करने वाले भी सभी भारतीय थे. इसके अलावा 1944 तक इन्होंने भारतीय सिनेमा को मजबूत करने को कोई कसर नहीं छोड़ी तभी इन्हें इसी दौर से सिनेमा का जनक कहा जाने लगा.

क्या है दादा साहब फाल्के अवार्ड
दादा साहब फाल्के अवार्ड अवार्ड की स्थापना भारतीय सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के के नाम पर की गयी थी. इतना ही नहीं भारतीय सिनेमा में दादा साहेब फाल्के अकेडमी भी बनी हुयी है. जिसमें दादा साहेब फाल्के के नाम पर तीन पुरस्कार दिए जाते हैं, जो हैं - फाल्के रत्न अवार्ड, फाल्के कल्पतरु अवार्ड और दादा साहेब फाल्के अकेडमी अवार्ड्स.

कब शुरू हुआ, क्या दिया जाता इस अवार्ड में
इस अवार्ड की स्थापना 1969 में दादा साहब फाल्के की सौंवीं जयंती के अवसर पर की गई थी. भारत सरकार द्वारा यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के संवर्धन और विकास में उल्लेखनीय योगदान करने के लिए दिया जाता है. इस पुरस्कार में भारत सरकार की ओर से दस लाख रुपये नकद, स्वर्ण कमल और शॉल प्रदान किया जाता है.


क्यों दिया जाता है यह अवार्ड
भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार है, को कि किसी व्यक्ति विशेष को भारतीय सिनेमा में उसके आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है. यह पुरस्कार हर वर्ष के अंत में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों के साथ दिया जाता है. सबसे खास बात यह है कि प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति की सिफारिशों पर यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है. 

पहला अवार्ड देविका रानी को 
बॉलीवुड की दुनिया में अपनी दिलकश अदाओं से दर्शकों को दीवाना बनाने वाली पहली ड्रीम गर्ल देविका रानी को यह पहला अवार्ड मिला. इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त करने वाली देविका रानी ने रॉयल अकादमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट में अभिनय की विधिवत पढ़ाई की.वर्ष 1935 में प्रदर्शित देविका अभिनीत यह फिल्म सफल रही. इसके बाद 1969 में जब दादा साहब फाल्के पुरस्कार की शुरूआत की तो वह इसकी सर्वप्रथम विजेता बनी. हालांकि इसके बाद अब तक करीब 45 लोगों को यह अवार्ड मिला चुका है.


 

कौन है दादा साहब फाल्के
आज भारतीय सिनेमा का नाम शिखर पर है. जिससे भारतीय सिनेमा में दादा साहब फाल्के पुरस्कार का नाम भी काफी मशहूर है. दादा साहब फाल्के इसके निर्माता, निर्देशक, कथाकार, सेट डिजाईनर, ड्रेस डिजाइनर, सम्पादक, वितरक, सभी कुछ थे. 30 अप्रैल, 1870 को नासिक के पास त्र्यंबकेश्वर में जन्मे दादा साहब ने भारतीय सिनेमा में को बसाने में विशेष भूमिका निभाई. इन्होंने 1913 में फिल्म राजा हरिचन्द्र बनायी. इसमें काम करने वाले भी सभी भारतीय थे. इसके अलावा 1944 तक इन्होंने भारतीय सिनेमा को मजबूत करने को कोई कसर नहीं छोड़ी तभी इन्हें इसी दौर से सिनेमा का जनक कहा जाने लगा.

 

क्या है दादा साहब फाल्के अवार्ड
दादा साहब फाल्के अवार्ड अवार्ड की स्थापना भारतीय सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले दादा साहब फाल्के के नाम पर की गयी थी. इतना ही नहीं भारतीय सिनेमा में दादा साहेब फाल्के अकेडमी भी बनी हुयी है. जिसमें दादा साहेब फाल्के के नाम पर तीन पुरस्कार दिए जाते हैं, जो हैं - फाल्के रत्न अवार्ड, फाल्के कल्पतरु अवार्ड और दादा साहेब फाल्के अकेडमी अवार्ड्स.

 

कब शुरू हुआ, क्या दिया जाता इस अवार्ड में
इस अवार्ड की स्थापना 1969 में दादा साहब फाल्के की सौंवीं जयंती के अवसर पर की गई थी. भारत सरकार द्वारा यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के संवर्धन और विकास में उल्लेखनीय योगदान करने के लिए दिया जाता है. इस पुरस्कार में भारत सरकार की ओर से दस लाख रुपये नकद, स्वर्ण कमल और शॉल प्रदान किया जाता है.

 

क्यों दिया जाता है यह अवार्ड
भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला एक वार्षिक पुरस्कार है, को कि किसी व्यक्ति विशेष को भारतीय सिनेमा में उसके आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है. यह पुरस्कार हर वर्ष के अंत में राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों के साथ दिया जाता है. सबसे खास बात यह है कि प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक समिति की सिफारिशों पर यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है. 

 

पहला अवार्ड देविका रानी को
बॉलीवुड की दुनिया में अपनी दिलकश अदाओं से दर्शकों को दीवाना बनाने वाली पहली ड्रीम गर्ल देविका रानी को यह पहला अवार्ड मिला. इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त करने वाली देविका रानी ने रॉयल अकादमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट में अभिनय की विधिवत पढ़ाई की.वर्ष 1935 में प्रदर्शित देविका अभिनीत यह फिल्म सफल रही. इसके बाद 1969 में जब दादा साहब फाल्के पुरस्कार की शुरूआत की तो वह इसकी सर्वप्रथम विजेता बनी. हालांकि इसके बाद अब तक करीब 45 लोगों को यह अवार्ड मिला चुका है.

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