डर के बारे में कितना जानते हैं आप...

डर जानलेवा होता:

अक्सर लोग डर को हल्के में ले लेते हैं। शायद उन्हें यह नहीं पता होता है कि ये जानलेवा भी होता है। कई बार लोगों की डर से मौत भी हो जाती है। अगर कोई हैलोवीन आप पर अचानक से गन तान दे या फिर किसी बड़े हादसे की कल्पना भी आपके अंदर डर पैदा कर सकती है। इस दौरान शरीर में अजीब तरह का कंपन होने लगता है। जिसमें कैल्शियम के इंजेक्शन से डर को कंट्रोल किया जा सकता है। यह हार्ट सेल्स के लिए बेहद जरूरी होता है।

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अनुवांशिक होता डर:

अब तक कई वैज्ञानिकों ने इसका दावा किया है कि डर अनुवांशिक होता है। रिसर्च में स्टैथमिन नामक जींस का खुलासा हो चुका है कि यह डर को बढ़ाता है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढी को अपनी चपेट में आसानी से ले लेता है। अक्सर लोगों में जानवरों के आने का खतरा, चोर लुटेरों का खतरा या फिर किसी हादसे का भय हर वक्त रहता है। भले ही वह कहीं किसी भीड़ वाली जगह पर कई लोगों से घिरे ही क्यों न हों।

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नींद से मिलती राहत:
हाल ही में डर को लेकर चूहों पर कुछ वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया। इस दौरान जब उन्हें बिजली के शॉक का डर दिखाया गया तो वे काफी परेशान हो गए। जिसमें नींद को लेकर बड़ा सच सामने आया है। जिन चूहों को अच्छी नींद आई तो उन्हें काफी हद तक आराम मिला। इस दौरान देखा गया कि उनके ब्रेन के पास मेमोरी एरिया बिल्कुल कूल हो चुका था। वहीं जिन चूहों को अच्छी नींद नहीं आई थी उनके अंदर डर बना था।

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सच का डर:
एक शोध में यह बात भी साफ हो चुकी है कि लोग सच्चाई से बेहद डरते हैं। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो जीवन की सच्चाई, दुख, परेशानी के बारे में सोचकर परेशान होते हैं। उन्हें जिंदगी मकड़ी के जाले की तरह उलझी नजर आती है। वे बिग ड्रीम और क्रिएशन करने की तो सोचते तो हैं लेकिन उसके बाद यह भी सोचते हैं कि कहीं यह न हो पाया तो क्या होगा। इसके अलावा किसी छोटी परेशानी में भी पिछले बड़े हादसे याद करने लगते हैं।

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प्यार से कम होता डर:
किसी भी डर को प्यार से कम किया जा सकता है। दिमाग के पास एक छोटे से आकार में संगमरमर के टुकडे जैसा हाइपोथैलम्स पाया जाता है। यह आक्सीटोसिन नई मांओ में डर पैदा करता है। प्रकृति ने नई मांओं के दिमाग में बच्चे के जन्म को लेकर अजीब सा डर दिया है। हालांकि इस डर की वजह से उन्हें काफी अच्छा भी फील होता है। जब वह अपने बच्चे को स्तनपान कराती है तो एक अनोखे प्यार के अहसास से उनका डर दूर होता है।

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नसों में होता डर:
एक शोध में यह भी साफ हो चुका है कि डर इंसान की नसों में होता है। कुछ भी बुरी बातें सोचने पर अपने आप बिना किस घटना के लोग चिड़चिड़ाने लगते हैं। चूहों पर शोध में यह दिखाई दिया है कि दिमाग में Hyperventilating नस इन हालातो में कोई एक्टिविटी नहीं कर पाती है। वहीं दिमाग में एक अखरोट के बराबर के स्थान में डर से जुड़ी चीजें संचित रहती हैं। जो कई बार इंसान बुरा प्रभाव छोड़ती हैं।

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डर एक संक्रामण:
डर का अहसास सुनकर और सूंघ कर भी किया जा सकता है। जानवरों में भी इसकी क्षमता होती है। वहीं अक्सर देखने को मिलता है कई बार किसी चीज की महक से अपने आप दिमाग में डर दौड़ जाता है। किसी तार आदि के जलने की महक पर नाक से डर का अहसास अपने आप होता है। उसी तरह एक भीड़ में किसी एक आवाज पर भगदड़ मच जाती है। लोगों में उस एक आवाज को सुनने के बाद डर तेजी से फैल जाता है।

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