-टूरिस्ट बस ऑपरेटर्स उड़ाते हैं नियमों की धज्जियां, इंश्योरेंस क्लेम से बचने के लिए यात्रियों को नहीं देते टिकट

- बस ड्राइवर भी ओवरस्पीड में चलाते हैं गाड़ी, एक ही ड्राइवर 500 किलोमीटर तक चलाता है गाड़ी, आए दिन होते हैं एक्सीडेंट

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KANPUR। अगर आप भी टूरिस्ट बस से सफर करते हैं या करने का प्लान बना रहे हैं तो सफर से पहले अपना इंश्योंरस जरूर करा लें। क्योंकि किसी भी हादसे की स्थिति में बस ऑपरेटर की तरफ से आपको कोई क्लेम नहीं मिलने वाला। पैसे बचाने के चक्कर में टूरिस्ट बसें पैसेंजर्स का इंश्यारेंस कराती ही नही हैं। जबकि रोडवेज बस में टिकट लेते ही पैसेंजर्स का इंश्योरेंस हो जाता है। इसके अलावा भी टूरिस्ट बसें जमकर मनमानी कर रही हैं। पैसेंजर्स की सेफ्टी और सहुलियत के लिए बनाए गए नॉम्स भी धज्जियां उड़ाई जाती हैं। इसी के चलते गुरुवार को सिकंदरा में टूरिस्ट बस के ड्राइवर को झपकी आने से बस अनियंत्रित होकर पलट गई थी। हादसे में तीन पैसेंजर्स की जान चली गई थी जबकि डेढ़ दर्जन लोग घायल हो गए थे।

टिकट के आधार पर मिलता है क्लेम

रोडवेज अधिकारी बताते हैं कि रोडवेज बसों में ट्रैवल करने वाले पैसेंजर्स का इंश्योरेंस होता है। अगर कोई पैसेंजर रोडवेज बस से ट्रैवल कर रहा है और रास्ते में दुर्घटना हो जाए तो ऐसी दशा में विभाग उसे इंश्योरेंस का पैसा देगा। ये पैसा टिकट के आधार पर दिया जाएगा। रोडवेज यूनियन नेता अंबा दत्त त्रिपाठी ने बताया कि टूरिस्ट बसों के परमिट में भी इंश्योरेंस का प्राविधान होता है। परमिट में सारी जानकारी होती है। लेकिन ज्यादातर टूरिस्ट बस ऑपरेटर्स पैसा बचाने के लिए इंश्योरेंस नहीं कराते हैं। नियम के मुताबिक, इंश्योरेंस टिकट के आधार पर मिलता है। इसलिए टूरिस्ट बस में पैसेंजर्स से पैसे तो ले लिए जाते हैं लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया जाता। जिससे किसी हादसे की स्थिति में वे इंश्योरेंस लिए क्लेम न कर सकें।

ये नियम भी हैं टूरिस्ट बसों के लिए

रोडवेज के एआरएम ने बताया कि टूरिस्ट बसों को लॉन्ग रूट पर 200 किलोमीटर के अंदर एक स्टॉपेज जरूर लेना चाहिए। जिसमें पैसेंजर्स बस से उतरकर नाश्ता आदि कर सकें। साथ ही हर 200 किलोमीटर या 8 घंटे पर ड्राइवर बदल जाना चाहिए। जबकि हकीकत ये है कि टूरिस्ट बसों में एक ही ड्राइवर 500 किलोमीटर तक बस चलाता है। जिससे हादसा होने की संभावना बढ़ जाती है। इसी तरह बसों की स्पीड निर्धारित होने के बावजूद टूरिस्ट बसों के ड्राइवर पूरी रफ्तार में गाड़ी दौड़ाते हैं। जिससे अक्सर पैसेंजर्स की जान पर बन आती है। इससे बचने के लिए रोडवेज विभाग ने अपनी बसों ड्राइवर की निगरानी के लिए जीपीएस और अन्य डिवाइस लगाना शुरू कर दिया है।