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LUCKNOW:
राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। हर दिन लोगों को जाम से जूझना पड़ रहा है। ट्रैफिक पुलिस जाम के झाम से निजात दिला पाने के लिए पूरी तरह से फेल नजर आ रही है। मदद के लिए लगाई गई सिविल पुलिस भी कारगार साबित नहीं हो पा रही है। शहर में जाम के पीछे लापरवाही के साथ कुछ हालात भी जिम्मेदार हैं। ऐसे चार मेजर कारण है जिनके चलते लोगों को जाम से हर रोज रूबरू होना पड़ रहा है।
ट्रैफिक पुलिस का नियतन और वर्तमान तैनाती
पद नियतन तैनाती
एसपी 01 01
सीओ 03 01
टीआई 08 01
टीएसआई 30 12
कांस्टेबल 777 294
होमगार्ड 1200 800
(एक सीओ और 13 सब इंस्पेक्टर को सिविल पुलिस से ट्रैफिक में लगाया गया)
व्हीकल का रजिस्ट्रेशन
2015 में - 18 लाख
2017 में - 24 लाख
- 3 से 4 लाख गाडि़यां आती है गैरजनपद से
- 2 माह में- 55 हजार गाडि़या
वजह नं। 1
स्टाफ की भारी कमी
ट्रैफिक डिपार्टमेंट में स्टाफ की भारी कमी के चलते ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ रही है। दिन पर दिन शहर का विस्तार हो रहा जबकि आज भी ट्रैफिक पुलिस पुराने मानक और नियतन के अनुसार चल रहा है। शहर में कुल 411 से ज्यादा चौराहे और तिराहे हैं जबकि ट्रैफिक डिपार्टमेंट के रिकार्ड में 80 चौराहों पर ही ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी लगाई जा रही है।
वजह नं। दो
अधूरे और बंद ओवर ब्रिज
जाम के पीछे अधूरे और बंद ओवर ब्रिज भी जाम का प्रमुख कारण हैं। पॉलीटेक्निक ओवर ब्रिज डेढ़ वर्ष से बंद है, वहीं बैराज ब्रिज पिछले तीन महीने से बंद है। यहीं नहीं शहर को जोड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण चिनहट मटियारी ओवर ब्रिज भी मरम्मत के चलते बंद कर दिया गया। जिसका सीधा असर लिंक रोड पर पड़ रहा है। उसके चलते अचानक ट्रैफिक का प्रेशर बढ़ गया है और जाम की स्थिति बन रही है।
वजह नंबर तीन-
बेरीकेडिंग बनीं बड़ी मुसीबत
मेट्रो निर्माण वर्तमान में ट्रैफिक के लिए सबसे बड़ा कारण बना है। निर्माण के चलते कई रूट पर बेरीकेडिंग की गई। जिसके चलते रोड की चौड़ाई आधी रह गई है। यहीं नहीं कई जगहों पर मेट्रो स्टेशन का भी निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। जिससे कई रूट को ब्लॉक और केवल सिंगल लेन तक कर दिया गया। इससे भी ट्रैफिक पर बड़ा असर पड़ा है। खासतौर से बादशाह नगर से पॉलीटेक्निक और आईटी चौराहे से करामत मार्केट तक। यहां पर ट्रैफिक कंट्रोलर की ड्यूटी भी नहीं है। केवल मेट्रो मार्शल के भरोसे ट्रैफिक रन कराया जा रहा है।
वजह नंबर चार-
बढ़ रहा व्हीकल की संख्या का प्रेशर
राजधानी की रोड पर व्हीकल की संख्या का प्रेशर सबसे ज्यादा बढ़ा है। बीते वर्षो से संख्या कई गुना बढ़ गई है, लेकिन रोड की बनावट में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। सितंबर से अक्टूबर (डेढ़ महीने) में करीब 55 हजार नए व्हीकल का प्रेशर बढ़ा है। जबकि दो वर्ष पहले 18 लाख गाडि़यां शहर में दौड़ती थीं जबकि वर्तमान में करीब 24 लाख गाडि़यां दौड़ रही हैं। इसके अलावा राजधानी होने के नाते हर दिन गैरजनपद से करीब 3 से 4 लाख गाडि़यों का अतिरिक्त प्रेशर रहता है।
वर्तमान में ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर बहुत सी गड़बडि़यां सामने आई हैं। सर्वे के बाद इन गड़बडि़यों को दूर करने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। पहली कवायद में ट्रैफिक सिग्नल लाइट्स पर जोर दिया जा रहा है। 15 नये चौराहों पर इसकी शुरुआत भी कर दी गई है। मटियारी में ओवर ब्रिज के मरम्मत के चलते जो जाम लग रहा था उसे बाराबंकी से आने वाले ट्रैफिक को भिटौली की ओर डायवर्ट कर दिया गया है जिससे जाम कम लग सके।
रविशंकर निम, एसपी ट्रैफिक