- शहर में कदम कदम पर ट्रैफिक पुलिस कर्मी करते हैं अवैध वसूली

- अवैध वसूली का बड़ा हिस्सा ऑटो, टेंपो और ठेले वालों से

LUCKNOW: शहर में बाहर से आने वाली गाडि़यों से किस तरह से वसूली होती है उसे आपने देख लिया। अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि शहर के अंदर किसी तरह से बड़े पैमाने पर वसूली हो रही है। ऑटो और टेंपो से होने वाली वसूली करोड़ों में है। चारबाग से लेकर राजाजीपुरम तक और दुबग्गा से लेकर अलीगंज तक। ऐसा कोई चौराहा नहीं जहां वसूली ना दी जाती हो। हर चौराहे से कम से कम 10 रुपये से शुरू होने वाली वसूली प्रतिदिन प्रति टेंपों से पचास तक पहुंच जाती है। देखने में यह रकम मामूली लगती है लेकिन जब इसका हिसाब निकाला जाता है तो यह रकम करोड़ों में पहुंच जाती है। हर चौराहे पर पुलिस की ओर से अप्वाइंट किये हुए दबंग लाठी लिये वसूली में बिजी रहते हैं जिनकी नजर से कोई भी ऑटो या फिर टेंपो बचकर नहीं जा सकता।

ऑटो टेंपो से पांच लाख डेली

शहर में चल रहे रजिस्टर्ड ऑटो की संख्या आठ से दस हजार के बीच है। शहर के अलग अलग हिस्सों में दर्जनों टैक्सी स्टैंड बने हुए हैं जहां बगैर मैनेज किये कोई ऑटो नहीं खड़ा हो सकता। स्टैंड से चलने वाले हर ऑटो और टेंपो का डिस्टीनेशन तक पहुंचने में कम से कम पचास रुपये खर्च होते हैं। वैसे तो यह रकम मामूली सी लगती है लेकिन जब इस रकम को पूरे शहर में होने वाली वसूली से मल्टी प्लाई करते हैं तो यह रकम महीने में एक करोड़ रुपये से ऊपर की पहुंच जाती है। वहीं ट्रकों को शहर क्रास कराने के लिए बेचे जाने वाले टोकेन से अलग कमाई होती है। यह कमाई भी लाखों में होती है।

चलता है टोकन सिस्टम

एक ऑटो चालक की मानें तो शहर में चलने के लिए बिना पुलिस को पैसे दिये चलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। क्योंकि अगर आप पैसे नहीं दे रहे हैं तो कभी ओवर लोड में, कभी नियमों के उल्लंघन में गाडि़यों को रोक लिया जाता है और हरेस किया जाता है। इससे बेहतर डेली एक सवारी एक्स्ट्रा बैठा कर ऑटो चालक पुलिस को पैसे देने में ही खुद की बेहतरी समझते हैं।

300 रुपये प्रति ट्रक इंट्री एग्जिट पास

शहर में इंटर होने वाली हर ट्रक से कम से कम 300 रुपये इंट्री देनी होती है। इस पैसे के देने के बाद से शहर में किसी भी चौराहे पर ना राके जाने की गारंटी होती है। जिन ट्रकों से पैसे लिये जाते हैं उन ट्रको को एक कोड दिया जाता है। हर महीने का अलग कोड होता है। इन दिनों टोकन का कोड मानसून है।

ठेलों से भी होती है उगाही

ऐसा नहीं है कि सिर्फ गाडि़यों से ही पैसे वूसले जाते हों। शहर के बाजारों में लगने वालों ठेलों से भी पैसे लिये जाते हैं। इन सबके अलग अलग रेट फिक्स हैं। कोई पुलिस को पांच हजार रुपये महीने देकर अपना ठेला चला रहा है और कोई दस हजार रुपये देकर। जिसकी जितनी कमाई उसकी उसी हिसाब से वसूली। गाडि़यों की तरह शहर में ठेलों की संख्या भी हजारों में है जो हर चौराहे और पब्लिक प्लेस पर बिना किसी परमीशन के लगे मिल जाएंगे।

शिकायत यहां करें

एडीजी ट्रैफिक अनिल कुमार अग्रवाल ने बताया कि अगर कहीं से वसूली की कोई शिकायत है या फिर कोई फोटो है तो उसे ट्रैफिक डिपार्टमेंट के व्हाट्स एप्प नंबर 9454405155 पर और फेसबुक पर लखनऊ ट्रैफिक के पेज पर जाकर शिकायत कर सकते हैं। साथ ही अगर किसी ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की पैसे वसूलने की फोटो या ट्रैफिक से संबंधित किसी भ्रष्टाचार की फोटो हो तो उसे व्हाट्स एप्प, फेसबुक और ट्विटर पर भी शेयर की जा सकती है। शर्त यह है कि फोटो की डिटेल भी इसी नंबर पर साथ में भेजी जाए।

आउटर में कैसे रोकेंगे वसूली

एसपी ट्रैफिक बृजेश मिश्रा ने भी माना कि रोड पर वसूली होती है। इसका उदाहरण है कि कई बार चेकिंग के दौरान ट्रैफिक पुलिस जांच के घेरे में आते हैं और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई कर उन्हें सस्पेंड भी किया गया है। वसूली को रोकने के लिए सिटी के 75 चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। हालांकि विभाग मॉडर्न कंट्रोल रूम के जरिए सिटी के चौराहों पर तो वसूली के खेल में अंकुश लगा सकता है, लेकिन क्या हाईवे या आउटर एरिया में इस खेल को कैसे रोक सकेगा। जबकि सबसे ज्यादा वसूली का खेल तो हाईवे और आउटर एरिया में होता है। जहां न तो सीसीटीवी कैमरे हैं और न ही अफसरों की निगाह रहती है।

सबको मिलता है हिस्सा

ट्रैफिक की उगाही का बड़ा खेल

ट्रैफिक पुलिस की उगाही का यथार्थ सच हर कोई जानता है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। 'उगाही' किसी एक जेब में नहीं, बल्कि संगठित वसूली के खेल का नतीजा है। इसके लिए बकायदा ड्यूटी लगती है और बेईमानी के खेल में पूरी तरह से ईमानदारी बरती जाती है। हाईवे पर घंटे के हिसाब से ड्यूटी और उनसे मिलने वाली रकम को बंटवारा भी होता है। इस बेईमानी के खेल को हाईटेक करते हुए पर्ची सिस्टम के तहत चलाया जा रहा है। यह नेक्सेज केवल राजधानी नहीं बल्कि पूरी यूपी में फैला हुआ है। जिसमें खासतौर से बाहर की गाडि़यां या फिर मानक के विपरीत ओवर लोड ट्रक शामिल होते हैं।