क्या है सुझाव
ट्राई का कहना है कि आधार कार्ड से लिंक ई केवाईसी सर्विस किसी भी मोबाइल इस्तेमाल करने वाले शख्स की पहचान प्रमाणित करने के लिए एक रोबोटिक मैकेनिज्म मुहैया करा सकती है। इससे फर्जी या फोर्ज्ड पहचान प्रमाण और मैन्युअल एंट्री के कारण्ा होने वाली गलतियों को रोकने में मदद मिलेगी।
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जरूरी होगा ई केवाईसी
सिम कार्ड में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए ट्राई ने कहा है कि सिमकार्ड के लिए ई-केवाईसी देना अनिवार्य कर दिया जाए। क्योंकि आधार के जरिए नए सिम कार्ड के लिए ई-केवाईसी को भरोसेमंद बताया गया है। ट्राई के इस प्रस्तावित नियम के तहत न सिर्फ नई मोबाइल सिम बल्कि मौजूदा सभी मोबाइल उपभोक्ताओं की ई-केवाईसी जांच आवश्यक होगी। ट्राई का मानना है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ढेरों मोबाइल सिम चलन में आई हैं। इपमें उपभोक्ता की वास्तविक जानकारी के बिना उसके नाम पर मोबाइल नंबर उपलब्ध है। अत जरूरी है कि मौजूदा मोबाइल सब्सक्राइबर्स का भी चरणबद्ध तरीके से ई-केवाईसी वेरिफिकेशन किया जाए।
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बैंको में भी आया ऐसा नियम
ट्राई ऐसी पहल करने को उत्सुक पहली संस्था नहीं है। इससे पहले बैंकों ने भी केवाईसी की बात की है। जिसके अनुसार सभी बैंक अपने ग्राहकों के खातों का वेरिफिकेशन करके उन्हें अपडेट करने के लिए ग्राहकों से केवाईसी फॉर्म भरने के लिए कह रहे हैं। ऐसा न करने पर अकाउंट होल्ड भी किया जा सकता है। फिलहाल इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
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क्या है केवाईसी
केवाईसी का फुल फार्म है नो योर कस्टमर, इसे ग्राहक की पहचान प्रक्रिया के लिए उपयोग किया जाता है। इस के जरिए खाते के असली मालिक की पहचान, पैसे का सोर्स यानी पैसा कहां से आया है, ग्राहक के बिजनेस का स्वरूप आदि के बारे में पता लगाने का प्रयास किया जाता है। इसके अलावा यह भी जानने की कोशिश की जाती है कि उसके खातों से होने वाला लेन-देन उसके बिजनेस के मुताबिक है या नहीं। केवाईसी का उद्देश्य जानबूझ कर या अनजाने में की जाने वाली आपराधिक गतिविधियों और मनी लांडरिंग पर अंकुश लगाना है।

 

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