ड्राइवर कंडक्टर्स के कई पद खाली, खड़ी हैं निगम की सैकड़ों बसें

- सरकार पर भी परिवहन निगम का है करोड़ों का बकाया

- कर्मचारियों को भी पूरा वेतन नहीं दे पा रहा निगम

- नई बसों की किस्त के रूप में हर महीने भरने पड़ रहे करोड़ों

200 बसें खड़ी हैं निगम के गैराज में बेकार

725 ड्राइवर और इतने ही कंडक्टर्स की है जरूरत

10 करोड़ का हो रहा हर महीने घाटा

2.65 करोड़ हर महीने भरनी पड़ रही किस्त

50 करोड़ करीब सरकार पर है बकाया

DEHRADUN: बेहतर परिवहन सेवाएं देने के लिए परिवहन निगम ने बसों की ताबड़तोड़ खरीदारी तो की, लेकिन ये बसें सड़कों पर रफ्तार नहीं भर पाईं। वजह विभाग के पास ड्राइवर, कंडक्टर्स की कमी है और इनकी भर्तियां नहीं हो पाई हैं। आलम यह है कि निगम की करीब ख्00 बसें गैराज में खड़ी हैं और इनकी किस्तों के रूप में निगम को हर महीने मोटी रकम चुकानी पड़ रही है। बसें खड़ी हैं इसलिए निगम की आमदनी भी प्रभावित हो रही है और उसे नुकसान झेलना पड़ रहा है।

लंबित है भतीर् का मामला

परिवहन निगम को 7ख्भ् ड्राइवर और इतने ही कंडक्टर्स की दरकार है। इसके लिए बाकायदा भर्ती प्रक्रिया भी शुरू की गई थी, जिसका मामला शासन में लंबित पड़ा है। पिछली सरकार ने इसके लिए संविदा पर फ्87 ड्राइवर, कंडक्टर्स की भर्ती का आदेश भी दिया था, लेकिन संविदा पर भी भर्तियां नहीं हो पाईं।

हर महीने क्0 करोड़ का घाटा

बसों के पहिये जाम होने से लगभग हर रोज निगम को फ्0 लाख रुपये व पन्तिमाह क्0 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। इस घाटे के बावजूद भी परिवहन निगम इन बसों का पन्तिमाह ख् करोड़ म्भ् लाख रुपया किस्त के रूप में भर रहा है। इसके अलावा सरकार द्वारा भारत बैंच कंपनी से अनुबंध कर म्0 बसों की मांग की गई है। इसमें से अभी मात्र ख्0 बसें अलग-अलग रूटों पर चल रही हैं। इसके अलावा ब्0 बसें और आनी बाकी हैं। अनुबंध पर लाई गई बसों को पन्ति किलोमीटर क्भ् रुपये के हिसाब से दिया जाता है। इस वजह से भी निगम को लाखों का घाटा झेलना पड़ रहा है।

सरकार पर भी निगम का बकाया

परिवहन निगम मैन पावर न होने के कारण करोड़ों का घाटा तो झेल ही रहा है, वहीं सरकारी योजनाओं का भी करोड़ों का बकाया सरकार ने अभी नहीं चुकाया है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में क्8 योजनाएं संचालित की गई थीं। इन योजनाओं में म्भ् साल के बुर्जुग, छात्रा पास, आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार, मेरे बुर्जुग मेरे तीर्थ के अलावा अनेकों योजनाओं के ख्फ् करोड़ रुपए सरकार पर बकाया हैं। गत वर्ष उत्तराखंड में आई आपदा के दौरान परिवहन की बसों को यात्रियों को ले जाने का जिम्मा सौंपा गया था। इसका ख्फ् करोड़ रुपये भी सरकार पर बकाया है। इसके अलावा विधानसभा चुनाव ड्यूटी में ब् करोड़ ख्भ् लाख रुपये का बकाया भी सरकार पर है, जिसका भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है।

सैलरी देने के लिए बजट नहीं

घाटे में चल रहे परिवहन निगम में काम कर रहे लगभग ब् हजार कर्मचारियों को पूरा वेतन भी निगम नहीं दे पा रहा है। कर्मचारियों के वेतन के रूप में क्म् करोड़ रुपया निगम पर बकाया है। इसके साथ ही गत माह से यूपी सरकार को टैक्स न दिये जाने से क्भ् लाख रुपये की पैनल्टी भी निगमर है।

परिवहन निगम को घाटे से बाहर निकालने के लिए अधिकारी गंभीर नहीं हैं। कई बार अधिकारियों के समक्ष समस्याएं रखी गई हैं। अब नई सरकार से उम्मीद है कि जल्द समस्या का समाधान होगा।

दिनेश गुसांई, उप महामंत्री, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद

चालक और परिचालक न होने की वजह से कुछ बसें खड़ी हैं। लेकिन, परिवहन निगम को कितने का घाटा हो रहा है यह नहीं बता सकते।

दीपक जैन, पन्बंधक।