- बस और ट्रेनों में सफर करना जंग लड़ने से कम नहीं

>BAREILLY: सफर के दौरान हम यही सोचते हैं कि गंतव्य पर सही सलामत पहुंच जाएं। बस की कंडीशन अच्छी हो और ट्रेन में बैठने के लिए सीट आसानी से मिल जाए। एक और सबसे बड़ी चिंता सुरक्षा को लेकर होती है, पर देश में बसों और ट्रेनों से सफर करना इतना आसान नहीं है। ट्रेन में रिजर्वेशन होने के बाद भी कई बार सीट कंफर्म नहीं होती है। वहीं ट्रेनों व बसों में चोर, उचक्कों और जहरखुरानों से भी खतरा बहुत अधिक बढ़ गया है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से चल रहे इवेंट 'गर्मी लगी क्या' के तहत 'कंडीशन ऑफ बसेज एंड ट्रेंस' टॉपिक पर हुए परिचर्चा में लोगों ने बेबाकी से अपनी राय रखी।

महिला कॉस्टेबल की हो व्यवस्था

प्रोग्राम की शुरुआत सबसे पहले सुभाषनगर पानी टंकी के पास सुबह 10.30 पर हुआ। फरसाना ने कहा कि जनरल कोच में बढ़ोतरी होनी चाहिए। रिजर्वेशन में काफी प्रॉब्लम्स होती है। समयून खान कहती हैं बस और ट्रेन में महिला पुलिस कांस्टेबल की व्यवस्था होनी चाहिए। हेल्प लाइन नंबर पर कॉल नहीं लगती है। अपनी बातों को रखते हुए नसीम खान ने कहा पेंट्री कार वालों के पास मेन्यू कार्ड होना चाहिए। ट्रेंनों में टॉयलेट बहुत गंदे होते है। वहीं बसों की संख्या बढ़ाए जाने की जरूरत है। अतुल परासरी ने कहा टॉयलेट में पैसेंजर्स भरे रहते हैं। जरूरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाता है। सीनियर सिटीजन का ध्यान देना चाहिए। अरजुमन कहती हैं ट्रेन में कुछ लोग सीट पर बैठने नहीं देते हैं। टीटीई पैसे लेकर अन्य पैसेंजर्स को सीट पर बैठा देते हैं। अमन शुक्ला कहते हैं हर ट्रेन में लेडीज बोगी होती है, लेकिन उसमें भी जेंट्स पैसेंजर्स भरे रहते हैं।

कंफर्म टिकट के बाद भी नहीं मिलती सीट

दूसरा प्रोग्राम ग्रीन पार्क में दोपहर 12 बजे ऑर्गनाइज हुआ। महेश शर्मा ने कहा बरेली ब्रॉडगेज हो गया है, लेकिन आगरा, मथुरा जाने वालों के लिए कोई सुविधा नहीं है। बीके अग्निहोत्री कहते हैं ट्रेन में फूडिंग में हमसे ज्यादा चार्ज लिए जाते हैं। मेन्यू रेट होना चाहिए। जगदीप पाठक अपनी बातों को रखते हुए करते हैं कि सुबह इंटरसिटी और आला हजरत के बाद दोपहर तक कोई ट्रेन दिल्ली जाने के लिए नहीं है जिस वजह से काफी प्रॉब्लम होती है। जितेंद्र मोहन शर्मा ने कहा कि ट्रेन और बसें काफी गंदी होती हैं। साफ-सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है। एनसी सामंतू ने कहा कंफर्म टिकट होने के बाद भी खड़ा होकर ट्रेन में सफर करना पड़ता है। अभिजीत चक्रवर्ती कहते है सिटी बसों की सुविधा होनी चाहिए। एसी बसों में पानी नहीं मिलता। जबकि टिकट में पानी इंक्ल्यूड होता है। संतोष कुमार दूबे ने कहा सीनियर सिटीजन के लिए रिजर्व बोगी ट्रेनों में होनी चाहिए। इसी अंदाज में कर्नल गुरदीप सिंह, एसके राजपूत, संतोष कुमार दूबे, विनय कुमार शर्मा आशुतोष तिवारी, नीरज गोयल, एके मिश्रा और एके जौहरी ने भी अपनी बातों काे रखा।

बेकाम हैं डिस्प्ले सिस्टम

ग्रीन पार्क के बाद तीसरा प्रोग्राम आकाश पुरम एक्सटेंशन में दोपहर 1.30 बजे हुआ। राजीव गोयल ने कहा सीनियर सिटीजन के लिए लोअर बर्थ मिलनी चाहिए। ताकि, सफर के दौरान किसी प्रकार की दिक्कत न हो। बीके गोयल ने कहा एयरपोर्ट की तरह जंक्शन पर भी ट्रॉली सिस्टम होना चाहिए। जिससे लगेज एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म नंबर पर ले जाने पर प्रॉब्लम्स न हो। बीके खंडेलवाल ने कहा करीब आधा दर्जन ट्रेनों का बरेली में स्टॉपेज नहीं है। उनका स्टॉपेज बरेली में होना चाहिए। एसके कपूर ने कहा कई बार ट्रेन के गेट बंद होते हैं। जिसकी वजह से ट्रेन छूटने का डर रहता है। डिस्प्ले सिस्टम काम नहीं करता। राजीव पाठक ने कहा एसी कम्पार्टमेंट में टॉवेल नहीं मिलता। सफर खत्म होने से पहले ही कर्मचारी चादर, तकिया सब छीन लेते हैं। अशोक अग्रवाल ने कहा बस इंक्वॉयरी पर कोई सूचना नहीं मिलती। ड्राइवर बस को कहीं थी रोक देते हैं। इसी तरह राकेश कपूर, प्रभात कुमार सक्सेना, राज कुमार खंडेलवाल, बीएस सिन्हा, पवन अग्रवाल ने भी अपनी बातों को बेबाकी से रखा।

बस व ट्रेन में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने चाहिए। महिला पुलिस कांस्टेबल की तैनाती होनी चाहिए। पर ऐसा नहीं होता है।

समयून खान

ट्रेनों में वेटिंग वाले इतने भर जाते हैं कि जिनकी सीट कंफर्म होती है। उन्हें भी सीट नहीं मिल पाती है। सिटी बसें चलाने की जरूरत है।

अभिजीत चक्रवर्ती

फूडिंग व्यवस्था पर कोई कंट्रोल नहीं है। ट्रेनों में पैसेंजर्स से खाने के बदले ज्यादा चार्ज किया जाता है। खाने की क्वालिटी भी अच्छी नहीं होती है।

बीके अग्निहोत्री

रात के सफर के दौरान ट्रेनों के गेट अक्सर बंद रहते हैं। जिस वह से ट्रेन में बैठ पाना मुश्किल होता है। ट्रेन छूटने का डर रहता है।

एसके कपूर

एसी कम्पार्टमेंट में सफर के दौरान कर्मचारी स्टॉपेज आने से पहले ही चादर वगैर समेटने लगते हैं। जबकि, पैसेंजर्स से चार्ज गंतव्य तक का लिया जाता है।

राजीव पाठक