छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: झारखंड की राज्यपाल सह चांसलर द्रौपदी मुर्मू के निर्देश पर कोल्हान यूनिवर्सिटी (केयू) ने ट्राइबल यूनिवर्सिटी के प्रस्ताव को काफी गंभीरता से लिया है। इस विश्वविद्यालय को ईस्ट ंिसंहभूम के बहरागोड़ा में खोले जाने की योजना है। राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में विवि के लिए ईस्ट सिंहभूम के बहरागोड़ा का नाम सुझाया है। बहरागोड़ा में यूनिवर्सिटी बनने से झारखंड के 57, ओडि़शा के 52 तथा पश्चिम बंगाल के 58 प्रतिशत जनजातीय छात्र लाभान्वित होंगे। बहरागोड़ा तीन प्रदेशों के संगम स्थल पर है। पूरे देश की बात की जाए तो अब तक मध्यप्रदेश के अमरकंटक में इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी और राजस्थान में राजीव गांधी ट्राइबल यूनिवर्सिटी हैं। ईस्ट सिंहभूम में बनने वाली ट्राइबल यूनिवर्सिटी देश का तीसरा शिक्षण संस्थान होगी। मालूम हो कि जनजातीय समुदाय के विकास के लिए देश में वर्ष 2007 में इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी एक्ट बना था। इस एक्ट के आधार पर विश्वविद्यालय गठित हो रहे हैं। यूजीसी भी इसे आधार मानते हुए ही इसकी स्थापना की अनुमति देती है। इसमें वीसी, प्रोवीसी से लेकर तमाम तरह के वैसे पद स्वीकृत हैं, जो एक विश्वविद्यालय के लिए होने चाहिए।

इन विषयों की होगी पढ़ाई

बहरागोड़ा में प्रस्तावित यूनिवर्सिटी में संताली, उरांव, हो, मुंडारी, खडि़या, कुड़माली, पंचपरगनिया, नागपुरी, बिरहोर, भूमिज सहित दर्जनों जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई होगी। इसमें स्नातक से लेकर रिसर्च की सुविधा छात्रों को प्राप्त होगी। मालूम हो कि झारखंड में संताली, मुड़ारी, हो, कुड़खू व खडि़या जनजातीय भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए कम से कम 20-25 एकड़ जमीन की जरूरत है।