भारत से गए इस बंदे की मौत पर पूरा पाकिस्‍तान रोया,जानें क्‍यों
खराब हो गई थी तबियत
अब्दुल की तबियत अचानक से खराब हो गई थी जिसकी वजह से उनको सिंध इंस्टीट्यूट आफ यूरोलॉजी एंड ट्रांसप्लांटेशन में भर्ती कराया गया था। जहां पर उनका देर रात निधन हो गया। उन्हे किडनी की बिार के साथ-साथ उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या भी थी।
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गरीबों को अर्पित किया जीवन
मानवता और गरीबों की सेवा के लिए अब्दुल ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। वह पाकिस्तान के नामी सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने करीब 25 साल पहले ईदी फाउंडेशन नाम की एक चैरीटेबल संस्थान की भी स्थापना की थी। इस संस्थान में बेघर, परित्यक्त, सड़क पर रहने वाले बच्चों एवं बुजुर्गों को रखा जाता था। स फाउंडेशन के वो अध्यक्ष थे।
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दान में दी आंखे
अब्दुल के बेटे फैसल ने बताया कि उनके पिता ने 25 साल पहले ईदी विलेज में अपनी कब्र तैयार की थी। जहां पर ही उनको दफनाया गया है। उनकी इच्छा के मुताबिक उनकी आंखें दान कर दी गई। पाक सरकार ने ईदी के निधन पर एक दिन के शोक की घोषणा की, जबकि सिंध प्रांत की सरकार ने राज्य में तीन दिन का शोक रखा है।
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नोबेल पुरस्कार के दावेदार
समाजसेवी अब्दुल सत्तार ईदी कई बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किए गए थे। यहां तक की इस साल भी उनको नोबेल पुरस्कार की सूची में शामिल किया गया था। गौरतलब है कि ईदी को कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका था।

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