-शहर काजी मौलाना असजद रजा खां बोले, एक साथ तीन तलाक गुनाह

-पैगंबर-ए-इस्लाम को एक साथ तीन तलाक थे नापसंद

BAREILLY :

सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक को असंवैधानिक करार देने के दो दिन बाद शहर काजी एवं जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना असजद रजा खां ने हुकूमत को शरीयत के मामले में हस्तक्षेप न करने की सलाह दी। बोले, सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच के दो जजों की राय अलग है। उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मामला होने के कारण किसी भी तरह के निर्णय से इनकार किया। हुकूमत को चाहिए कि सभी धर्म के लोगों को और खासतौर पर अल्पसंख्यकों को मजहब और अकीदे अनुसार जिंदगी गुजारने दे।

मौलाना ने कहा कि तलाक खालिस, मजहबी और शरई मसला है। शरीयत में तलाक देने का अधिकार मर्द (पुरुष) को दिया गया है। इसलिए किसी भी हुकूमत को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं। मुसलमान खुद रोजमर्रा की जिंदगी में शरीयत पर अमल करें।

एक साथ तीन तलाक गुनाह

शहर काजी ने एक साथ तीन तलाक देने को गुनाह बताया। बोले, पैगंबर-ए-इस्लाम एक साथ तीन तलाक को नापसंद करते थे। नाराजगी भी जताई थी। मर्दो को शरीयत के मुताबिक तलाक का तरीका अपनाने की सलाह दी। इससे महिलाओं के मसले हल होंगे। शहर काजी बोले, संविधान की धारा-25 के तहत हुकूमत मजहबी कानून में दखल नहीं दे सकती। इसमें कारण भी साफ बताया गया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान के तहत बुनियादी हक बन जाता है। इसमें लोकसभा-राज्यसभा को कोई अधिकार नहीं। हुकूमत को इसका ख्याल रखना चाहिए। इस मौके पर जमात रजा-ए-मुस्तफा के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी, नाजिम बेग, मौलाना मजहर इमाम कादरी, सलमान हसन खां, मौलाना फारूक शमसी, बख्तियार खां, खलील कादरी आदि मौजूद थे।

तलाक पर जुटेंगे उलमा

शहर काजी मौलाना असजद रजा खां ने बकरीद के बाद शरई कौंसिल की बैठक करने का फैसला लिया। कहा कि इसमें देश भर के उलमा, दरगाह के सज्जादानशीन समेत तमाम धर्म गुरु शामिल होंगे। शरई कौंसिल की बैठक के निर्णयों से हुकूमत को अवगत कराया जाएगा।