तलाक-ए-बिद्दत

मुस्लिम धर्म में तलाक तलाक तलाक यानी कि मौखिक तीन तलाक की एक प्रथा है। हालांकि महिला हित को ध्यान में रखते हुए हाल ही में देश तलाक-ए-बिद्दत पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया था। कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक लेने वाले तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक करार दिया था। ऐसे में अब केंद्र सरकार तलाक-ए-बिद्दत को लेकर बड़ा कानून लाने की तैयारी में हैं। खबरों की मानें तो तीन तलाक पर बैन लगाने का प्रस्ताव व दोषी को तीन साल की कैद व जुर्माने की सजा का प्रावधान किया जा सकता है। बतादें कि एक साथ तीन तलाक वाली यह प्रथा करीब 1400 साल पुरानी है। इसमें कागज या लिखा पढ़ी की जरूरत नहीं होती है। इसमें अगर एक साथ तलाक तलाक तलाक तीन मजाक में भी बोल दें तो भी रिश्ता खत्म हो जाता है। इससे महिलाओं में असुरक्षा की भावना है।  

तीन तलाक द‍िया तो होगी 3 साल की जेल,दो तलाक अभी भी मान्‍य

तलाक-ए-अहसन

तलाक-ए-अहसन भी मुस्लिम धर्म में तलाक की एक प्रथा है। तलाक की यह प्रथा मुस्लिम धर्म में तेजी से अपनाई जाने वाली प्रथा है। तलाक के इस प्रारूप में पति अपनी पत्नी को एक बार तलाक कहता है और इसके बाद दोनो एक साथ रहते हैं। अगर तीन महीने के अंतराल में दोनों के बीच सुलह नहीं हुई तो तीन महीने की इद्दत अवधि पूरी होने के बाद तलाक मान्य हो जाता है।  

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तलाक-ए-हसन

तलाक-ए-हसन भी तलाक की एक प्रक्रिया है। तलाक के इस प्रारूप में शौहर अपनी बीवी को एक-एक महीने के अंतराल पर तलाक देता है। इस बीच अगर दोनों में रिश्ता नहीं बना और किसी भी प्रकार से सुलह नहीं हुई तो फिर तीसरे महीने तीसरी बार तलाक कहने पर यह तलाक पूरा हो जाता है। पति-पत्नी के बीच यह रिश्ता पूरी तरह से खत्म हो जाता है। तलाक की यह प्रक्रिया भी लोगों के बीच अपनाई जाती है।

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