RANCHI : मुख्यमंत्री रघुवर दास की घोषणा के बाद भी भले ही रांची विश्वविद्यालय का ट्राइबल और रिजनल लैंग्वेज डिपार्टमेंट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस नहीं बन पाया हो पर यहां के स्टूडेंट नेट और सिविल सर्विस की परीक्षाओं में अपना टैलेंट दिखा रहे हैं। अब तक यहां के 575 स्टूडेंट ने यूजीसी नेट की परीक्षा में क्वालिफाई किया है। वहीं 26 स्टूडेंटस ने सिविल सेवा परीक्षा में कंपीट किया है। वहीं अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में डिपार्टमेंट के 143 स्टूडेंटस ने क्वालिफाई किया है। इतने नेट क्वालिफाई स्टूडेंट आरयू के किसी डिपार्टमेंट में नहीं हैं। जबकि आरयू के कुल 22 पीजी डिपार्टमेंटस हैं।

हर साल 25-30 होते सफल

डिपार्टमेंट के उप प्राचार्य डॉ हरि उरांव ने बताया कि डिपार्टमेंट से हर साल औसतन 25 से 30 स्टूडेंटस नेट क्वालिफाई करते हैं। यहां नौ भाषाओं की पढ़ाई होती है। दिसंबर 2016 की नेट परीक्षा में डिपार्टमेंट के 11 स्टूडेंट ने नेट क्वालिफाई किया था। वहीं छह स्टूडेंट को जेआरएफ मिला था। उन्होंने बताया कि डिपार्टमेंट के स्टूडेंटस के 22 पीजी डिपार्टमेंटस में सर्वाधिक नेट क्वालिफाई करने की वजह यह है कि यहां के नेट क्वालिफाई कर चुके हैं वे अपने जूनियर्स को गाइड करते हैं।

डिपार्टमेंट में एमए, एमफिल, पीएचडी और पीडीएफ कराया जाता है। डिपार्टमेंट के छात्र चंद्रकिशोर केरकेटटा ने बताया कि ट्राइबल और रिजनल लैंग्वेज का जो नेट का सिलेबस है वह उनकी मातृभाषा से संबंधित है और उसे समझना उनके लिए आसान होता है। इसलिए जो स्टूडेंट फ‌र्स्ट पेपर में बेहतर करता है वह सेकेंड और थर्ड पेपर में भी बेहतर स्कोर करके नेट क्वालिफाई कर जाता है।

टीचर रहते तो शत-प्रतिशत रिजल्ट आता

विभाग में मुंडारी की शिक्षक अमिता मुंडा ने बताया कि जब यहां केवल तीन स्थायी शिक्षक हैं तो 94 प्रतिशत तक रिजल्ट आता है। अगर शिक्षक पूरे रहते तो यहां शत-प्रतिशत रिजल्ट आता और इससे झारखंडी भाषा और साहित्य का संव‌र्द्धन होगा। वहीं पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप के तहत काम कर रही डॉ सरस्वती गगराई ने बताया कि यहां के चार महिला अभ्यर्थियों को पीडीएफ मिला है वहीं दो पुरुष अभ्यर्थियों को पीडीएफ मिला है।

1980 में खुला था डिपार्टमेंट

रांची विश्वविद्यालय का ट्राइबल और रिजनल लैंग्वेज डिपार्टमेंट वर्ष 1980 में स्थापित किया गया था। विभाग के फ‌र्स्ट बैच के स्टूडेंट रह चुके और इसी विभाग में पढ़ा रहे डॉ खालिद अहमद ने बताया कि पहले बैच में कुल 199 स्टूडेंट थे। वहीं डिपार्टमेंट के संस्थापक शिक्षक और अब रिटायर्ड डॉ केसी टुडू ने बताया कि जब विभाग की स्थापना हुई थी तो यहां सभी नौ भाषाओं के लिए शिक्षक थे। पर अब विभाग में केवल तीन स्थायी शिक्षक बचे हुए हैं।

नौ सब्जेक्ट की पढ़ाई, पर मात्र तीन शिक्षक

टीआरएल डिपार्टमेंट में नौ भाषाओं की पढ़ाई के लिए एचओडी डॉ त्रिवेणी साहू समेत कुल तीन स्थायी शिक्षक हैं। यहीं तीन शिक्षक 748 स्टूडेंटस को पढ़ा रहे हैं। टीआरएल डिपार्टमेंट में पांच ट्राइबल लैंग्वेज कुड़ुख, संथाली, हो, खडि़या और मुंडारी तथा चार क्षेत्रीय भाषाएं नागपुरी, कुरमाली, खोरठा और पंचपरगनिया पढ़ाई जाती है। यहां नागपुरी एचओडी डॉ टीएन साहू, डॉ उमेशानंद तिवारी और कुड़ुख के लिए डॉ हरि उरांव हैं। यहां सात सब्जेक्टस जिनमें टीचर्स नहीं हैं उनमें रिसर्च स्कॉलर कक्षाएं लेते हैं।