कहा अप्रसार संधि के लक्ष्य को प्राप्त करना हमारी प्रतिबद्धता

उन्होंने यह भी कहा कि इस रणनीति का मकसद परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना को कम करना है। इसके अतिरिक्त अमेरिका और इसके सहयोगी देशों के खिलाफ रणनीतिक हमले को रोकने की क्षमता विकसित करना है। यह हथियार नियंत्रण, परमाणु अप्रसार, परमाणु परीक्षणों पर रोक और परमाणु आतंकवाद को रोकने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। नई नीति को बताती सौ पन्नों वाली रिपोर्ट की प्रस्तावना में रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने कहा कि परमाणु प्रतिरक्षा को बनाए रखना युद्ध लडऩे के मुकाबले कम खर्चीला है। उन्होंने कहा, ' हम अपनी परमाणु क्षमता को प्रभावी बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन अमेरिका लंबे समय से शस्त्र नियंत्रण, अप्रसार और परमाणु सुरक्षा के मुद्दे से पीछे नहीं हट रहा है। हमारी प्रतिबद्धता परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के लक्ष्य को पाने की है।'

आगे बढ़ चुके चीन और रूस से बराबरी करने की तैयारी

मैटिस के अनुसार रूस और चीन नई परमाणु क्षमता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ चुके है। इसके साथ ही वे अमेरिका की पारंपरिक सैन्य क्षमता पर बढ़त बनाने के लिए परंपरागत सेना को तेजी से आधुनिक बना रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा चिंताजनक स्थिति रूस की तरफ से है जिसने अपनी जीत के लिए सैन्य रणनीति और क्षमता में परमाणु हथियारों पर निर्भरता बढ़ाई है। इसका ताजा उदाहरण रूस का क्रीमिया पर कब्जा करना और हमारे सहयोगियों को परमाणु हथियार की धमकी देना शामिल है।

आतंकी हासिल कर सकते परमाणु हथियार

अमेरिका ने आतंकवादियों को परमाणु हथियार हासिल करने में मदद देने वाले देशों को चेतावनी दी है। अमेरिका के उप विदेश मंत्री टॉम (राजनीतिक मामले) शेनॉन ने कहा,'अमेरिका उन सभी राजनीतिक और गैर राजनीतिक समूहों की जवाबदेही तय करेगा जो आतंकियों को परमाणु हथियार हासिल करने में मदद कर सकते हैं।Ó उन्होंने उत्तर कोरिया और ईरान के परमाणु हथियार को लेकर भी चिंता जाहिर की। ज्ञात हो कि अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करते रहे हैं। उनकी चिंता रही है कि ये हथियार आतंकियों के हाथ लग सकते हैं।

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