दो शक्तिशाली नेताओं की मुलाकात

इस हफ्ते दुनिया के दो सबसे पॉवरफुल वर्ल्ड लीडर्स की मुलाकात होने जा रही है। जर्मनी के हैम्बर्ग में आयोजित होने जा रहे जी-20 समिट में अमेरिका के प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप और रूस के प्रेसीडेंट व्लादिमीर पुतिन पहली बार एक दूसरे से मुखातिब होंगे। उन दोनों के बीच कई अहम मुद्दों पर बातचीत संभव है और निश्चित तौर पर इन दोनों शक्तिशाली नेताओं के मुलाकात के बाद ही ये पता लग पाएगा कि धरती का आने वाले दिनों में भविष्य कैसा होगा। दरअसल, क्लाइमेटिक चेंज, कार्बन एमिशन और इकॉनोमिकल ग्रोथ समेत कई मुद्दों पर अन्य देशों से इतर राय रखने वाले ट्रंप को पहले ही काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में, ये देखने वाली बात होगी कि इन दोनों नेताओं के बीच इन अहम मुद्दों को लेकर क्या बातचीत होती है।

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तय नहीं एजेंडा

क्रेमलिन और व्हाइट हाउस दोनों ने ही इस आशय की घोषणा की कि ट्रंप और पुतिन हैम्बर्ग में जी-20 राष्ट्रों के सात और आठ जुलाई के शिखर सम्मेलन के इतर मुलाकात करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एच आर मैकमास्टर ने कहा कि बैठक के लिए अभी तक कोई भी एजेंडा तैयार नहीं किया गया है। हालांकि बैठक ट्रंप के लिए कठिनाइयों से भरा है। आरोप है कि रूस ने पिछले साल अमेरिकी प्रेसीडेंशियल इलेक्शंस में हस्तक्षेप किया था और रिपब्लिकन के अभियान में मदद कर ट्रंप की अप्रत्याशित जीत में मदद की थी। रूस और अमेरिका यूक्रेन, नाटो के विस्तार और सीरिया में गृहयुद्ध मसलों पर भी आमने-सामने हैं। रूस जहां सीरिया के प्रेसीडेंट बाशर अल असद का समर्थन करता है, वहीं अमेरिका असद को हटाने के लिए संघर्षरत विद्रोही समूहों को समर्थन देता है।

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पूरी दुनिया में ट्रंप के लिए है गुस्सा

दरअसल, क्लाइमेट चेंज को अफवाह करार देकर पेरिस क्लाइमेट डील तोडऩे वाले ट्रंप को लेकर पूरी दुनिया में गुस्सा भरा है। साथ ही, आर्कटिक में उनके आयड ड्रिलिंग के फैसले को लेकर भी उन्हें आड़े हाथों लिया गया था और रूस की भी इस पर नजर थी। यूं तो आमतौर पर ट्रंप रूस समर्थक हैं मगर रूस पर उन्हें चुनाव जिताने जैसे संगीन आरोप हैं ऐसे में ये मुलाकात उनके लिए आसान नहीं रहने वाली। दूसरी ओर, मीडिया को बिकाऊ कहकरउसे उपेक्षित करने के लिए मशहूर ट्रंप को लेकर नकारात्मक छवि लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में, ये भी देखने वाली बात होगी कि क्या इस बैठक में पुतिन डॉमिनेट करेंगे क्योंकि अमेरिकी मीडिया ने इस बात पर अंदेशा ज्यादा जताया है। इतना ही नहीं, ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर रूस अमेरिका को बाध्य करने की कोशिश करेगा और इसी बात पर भी उत्सुकता बनी हुई है।

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कुछ जगहों पर हो रहा है विरोध

जहां पूरी दुनिया की नजरें इस अहम बैठक पर लगी हुई हैं, वहीं हैम्बर्ग समेत जर्मनी के अन्य इलाकों में ट्रंप, पुतिन और एर्दोगन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। रविवार को और सोमवार को आंदोलनकारियों के समिट के आयोजनस्थल को घेरने की कोशिश की, हालांकि स्थानीय सुरक्षा बलों ने उनके इस प्रयास को नाकाम कर दिया। ये लोग क्लाइमेटिक डील तोडऩे को लेकर अमेरिकी प्रेसीडेंट ट्रंप से, नाटो देशों की घेराबंदी की कोशिश को लेकर रूसी प्रेसीडेंट पुतिन से और कुर्दिशों की आवाज दबाने के लिए तुर्की के प्रेसीडेंट एर्दोगन से नाराज हैं। इन मुख्य मुद्दों के अलावा इन तीनों नेताओं के खिलाफ नारीवादियों और उदारवादियों ने भी हजारों की तादात में शामिल होकर अपना रोष जताया है। माना जा रहा है कि समिट से ठीक पहले जल्द ही यहां एक बड़ा प्रदर्शन होगा जिसमें 50 हजार से एक लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।

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