- तीन-तीन जगुआर, मिराज, सुखोई करेंगे एक्सप्रेस वे पर कदमताल

- दूसरी बार होने वाला है एक्सप्रेस वे पर एयर शो, जारी रहेगी कवायद

- देश का इकलौता एक्सप्रेस वे जहां आसानी से उतर सकते हैं फाइटर

LUCKNOW:

नवाबों की नगरी से महज साठ किलोमीटर की दूरी पर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे की सरजमीं पर मंगलवार सुबह एक नया इतिहास रचा जाएगा। भारतीय वायुसेना के क्भ् से ज्यादा लड़ाकू विमान एक्सप्रेस वे पर कदमताल कर दुनिया को अपनी हवाई और जमीनी ताकत का अहसास कराएंगे। सुबह ठीक क्0 बजे वायुसेना का मालवाहक जहाज सी-क्फ्0 जैसे ही एक्सप्रेस वे की जमीन को चूमेगा, देश के सबसे बड़े एयर शो की शुरुआत हो जाएगी। इसके बाद सिलसिलेवार तरीके से जगुआर, सुखोई और मिराज फाइटर प्लेन आसमान में गुलाटी खाते हुए एक्सप्रेस वे की ओर लक्ष्य करेंगे। उनके इस्तकबाल को तैयार एक्सप्रेस वे अपनी मजबूती का सुबूत देगा तो जमीन छूकर दोबारा आसमान की ऊंचाइयों में गुम होने वाले फाइटर देश की सरहदों की सुरक्षा का भरोसा दिलाएंगे।

टच शो करेगा ड्रैगन को परेशान

भारतीय वायुसेना दूसरी बार आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर एयर शो करने जा रही है। इससे पहले बीते साल ख्क् नवंबर को तीन सुखोई-फ्0 और तीन मिराज-ख्000 फाइटर ने एक्सप्रेस वे की मजबूती को परखा था। दरअसल आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर एयरफोर्स के विशेषज्ञों की मदद से फ्.फ् किमी लंबी एयर स्ट्रिप का निर्माण कराया गया था। इसका परीक्षण भारत सरकार की संस्था राइट्स ने किया था। यह देश का एकमात्र ऐसा एक्सप्रेस वे है जहां बड़े पैमाने पर फाइटर और मालवाहक जहाज उतारे जा सकते हैं। सामरिक महत्व की दृष्टि से यह एक्सप्रेस वे चीन से युद्ध की स्थिति में बेहद कारगर साबित हो सकता है। इससे पहले यमुना एक्सप्रेस वे पर भी एयरफोर्स इसी तरह की एक्सरसाइज कर चुकी है। दरअसल युद्ध के हालात में दुश्मन के लड़ाकू जहाज यदि वायुसेना के हवाई अड्डों को अपना निशाना बनाते हैं तो ऐसे हालात में एक्सप्रेस वे सरहदों की सुरक्षा के लिए इन एक्सप्रेस वे का सहारा ले सकेंगे। यही वजह है कि मंगलवार को होने वाला वायुसेना का टच शो ड्रैगन (चीन) को परेशान कर सकता है।

गरुण कमांडो करेंगे निगहबानी

एयर शो की शुरुआत सुबह दस बजे सी-क्फ्0 जहाज उतरने के साथ होगी। इसमें सवार वायुसेना के गरुण कमांडो नीचे उतरकर एक्सप्रेस वे के दोनों किनारों पर क्वार्डन (सुरक्षा घेरा) बना लेंगे। इसके बाद सी-क्फ्0 से वायुसेना के वाहनों को उतारा जाएगा। एक्सप्रेस वे पर ही एक टेंपरेरी एयर ट्रैफिक कंट्रोल भी स्थापित होगा जो आसमान में घूम रहे फाइटर को दिशा-निर्देश देता रहेगा। इसके बाद फाइटर प्लेन का टारगेट आगरा-लखनऊ एक्सपे्रस वे की एयर स्ट्रिप होगी। तीन-तीन के जोड़े में फायटर आसमान में गुलाटी खाते हुए अपने युद्ध कौशल का प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद वह एक्सप्रेस वे की जमीन को छूते हुए दोबारा आसमान में गुम हो जाएंगे। अंत में सी-क्फ्0 का फिर से एक्सप्रेस वे पर आगाज होगा और वह गरुण कमांडो और सेना के वाहनों को लेकर वापस चला जाएगा। यह एयर शो कुछ महीनों के अंतराल में लगातार आयोजित किया जाता रहेगा ताकि वायुसेना के पायलट इस पर जहाज उतारने के अभ्यस्त हो जाएं।

ये विमान उतारे जाएंगे

सी-क्फ्0 (हरक्यूलिस)

सुखोई-फ्0

मिराज-ख्000

जगुआर

एमआई-क्7 हैलीकॉप्टर

सी-क्फ्0

अमेरिका में बना सबसे बड़ा मालवाहक विमान सुपर हक्र्युलिस सी-क्फ्0 का इस्तेमाल दुनिया के म्0 से ज्यादा देश करते है। जंग के हालात हों, आतंकी हमला हो या मुश्किल में फंसे लोगों को बचाना हो, इन सारी मुसीबतों का हल सी-क्फ्0 है। ये विमान तकनीक के मामले में अब तक के दूसरे मालवाहक विमानों से बहुत आगे है। दो इंजनों वाला यह विमान उड़ान के दौरान शोर नहीं करता। ये एक बार में करीब क्00 पैराटूपर्स और क्भ्0 से ज्यादा हथियारबंद जवानों को ले जा सकता है। ये खराब हवाई पट्टियों पर बिना किसी दिक्कत के लैंड कर सकता है। दुश्मन के मिसाइल हमले से बचने के लिए इसमें खास सेंसर लगे हैं। वक्त पड़ने पर हक्र्युलिस मिसाइल भी दाग सकता है। हाल ही में नोटबंदी के बाद इसका इस्तेमाल नोटों के बंडल देश के हर हिस्से में भेजने में हुआ था।

मिराज-ख्000

इसे बैटल एक्स के नाम से जाना जाता है। सेवन स्क्वाड्रन की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा कैम्पेन के दौरान हुई थी। तब से यह स्क्वाड्रन सभी कैम्पेन और युद्धों में हिस्सा ले चुका है। आज इस स्क्वाड्रन में डाटा इंटरसेप्टर मिराज-ख्000 विमान शामिल हैं। इसे वर्ज के नाम से भी जाना जाता है। यह एक सिंगल सीटर मल्टी रोल फ्रांसीसी फाइटर प्लेन है। इसमें एक इंजन होता है। इसकी स्पीड ख्ब्9भ् किमी प्रति घंटा होती है। यह फोर्थ जनरेशन का लड़ाकू विमान है। हवा से हवा में मार करने में सक्षम इस विमान में आसमान में ही रीफ्यूल करने की सुविधा भी है। यह हवा से जमीन में मार करने वाला मल्टी रोल विमान भी है। इसमें लेजर गाइडेड तकनीक भी है जिसकी वजह से कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के कई ठिकाने तबाह किए गये थे।

सुखोई-फ्0 एमकेआई

वायुसेना के नंबर आठ स्क्वाड्रन के सुखोई विमान रूस के बने हैं। इस स्क्वाड्रन ने भी क्9ब्ख् से लेकर अब तक सारे युद्धों में हिस्सा लिया है। क्97क् में इस स्क्वाड्रन ने आगरा और मुंबई की बखूबी निगरानी भी की थी। इस स्क्वाड्रन को आठ परसूत के नाम से भी जाना जाता है। सुखोई दो इंजन वाला मल्टी रोल विमान है। रशियन तकनीक की मदद से एचएएल अब इसका निर्माण वायुसेना के लिए करता है। यह किसी भी मौसम, दिन या रात में लंबी दूरी की उड़ान भरने में माहिर है। उड़ान के दौरान ईधन भरने की सुविधा के अलावा इसकी मारक क्षमता भी अचूक है। यह एक मिशन में कई सारे लक्ष्यों को एक साथ नेस्तनाबूद कर सकता है।

जगुआर

जगुआर एक एंग्लो-फ्रेंच हमलावर लड़ाकू विमान है। इसका निर्माण हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने किया है। इसका प्रयोग फ्रेंच एयरफोर्स, भारतीय वायुसेना, रॉयल एयर फोर्स ऑफ ओमान भी करते हैं। ये विमान क्म्99 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है। इसको रॉकेट, मिसाइल, गन, बम और आधुनिक हथियारों से लैस किया गया है। भारतीय वायुसेना के पास ऐसे क्ब्भ् जगुआर विमान हैं। यह विमान अपने साथ ब्7भ्0 किलोग्राम बम और ईधन लेकर उड़ान भर सकता है। दो इंजन और एक सीट वाले इस विमान में फ्0 एमएम की गन भी रहती है। हाल ही में कई जगुआर दुर्घटनाग्रस्त भी हो चुके हैं। हाल ही में इसे इजराइल की आधुनिक राडार टेक्नोलॉजी से लैस किया गया है।

फैक्ट फाइल

-फ्0ख् किमी लंबा है आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे

-ख्फ् महीने के रिकॉर्ड टाइम में तैयार हुआ एक्सप्रेस वे

- फ्.फ् किमी लंबी एयर स्ट्रिप बनी है

- फ्फ् मीटर चौड़ी एयर स्ट्रिप पर उतरेंगे जहाज