- फर्जी प्रोफेशनल डिग्री बांटने के लिए बना रखी है कई फर्जी वेबसाइट

- मेडिकल, एलिमेंट्री एजुकेशन सहित कई सर्टिफिकेट का हो रहा संचालन

- फर्जी स्कूलों की आड़ में चल रहा है पूरा खेल

LUCKNOW : यूपी एसटीएफ की ओर से संडे को पकड़े गए फर्जी उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद बोर्ड से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं ही नहीं आयोजित करा रहा है बल्कि इस फर्जी बोर्ड से जुड़े माफिया कई प्रोफेशनल और टेक्निकल एजूकेशन की डिग्रियां भी स्टूडेंट्स को बांट रहे हैं। इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद की तरह ही फर्जी वेबसाइट बनाई है। बोर्ड की ओर से यूपी बोर्ड, सीबीएसई की तर्ज पर यहां स्कूलों को मान्यता बांटने का भी खेल किया जा रहा है। साथ ही कम पैसों में स्टूडेंट्स को प्रोफेशनल डिग्री का सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। इन माफिया का खेल प्रदेश के कई शहरों में फैला हुआ है। जहां पर यह अपने फर्जी बोर्ड की मान्यता पर स्कूलों और प्रोफेशनल कॉलेजों का संचालन कर रहे हैं।

एक नहीं चार फर्जी बोर्ड का हो रहा संचालन

एसटीएफ ने जिस उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद फर्जी बोर्ड के सरगनाओं को पकड़ा है, उनकी ओर से किये जा रहे फर्जीवाड़े का सच वर्ष 2013 में ही सामने आ चुका था। उस समय जानकीपुरम के सेक्टर सी की डीएस कॉलोनी में इस बोर्ड के कार्यालय के होने का खुलासा हुआ था। उस दौरान सख्त कार्रवाई न होने के कारण इस फर्जी बोर्ड से जुड़े माफिया भाग गए थे। सूत्रों का कहना है कि इन फर्जी बोर्ड सरगनाओं द्वारा केवल उत्तर प्रदेश में ही राज्य मुक्त विद्यालय परिषद का संचालन नहीं किया जा रहा है बल्कि यह यूपी, बिहार और देश के दूसरे स्टेट में भी अपना पैर फैला चुके हैं। यह व्यावसायिक शिक्षण एवं प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश, बोर्ड ऑफ मेडिकल हेल्थ एंड रिसर्च, बोर्ड ऑफ अर्ली चाइल्ड हुड केयर एंड एजूकेशन, दिल्ली के नाम से चार और फर्जी बोर्ड का संचालन कर रहे हैं।

20000 रुपए तक वसूल रहे हैं फीस

राजधानी में इस फर्जी बोर्ड के जरिये स्टूडेंट्स से जमकर वसूली की जा रही है। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉ। आरपी मिश्रा बताते हैं कि 10वीं व 12वीं केसाथ ही इस फर्जी बोर्ड ने ओपन बेसिक एजूकेशन के साथ ही डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजूकेशन तक की परीक्षाएं कराकर फर्जी डिग्री बांटी जा रही हैं। इनकी वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, इसके लिए हर स्टूडेंट्स से 3000 रुपए से लेकर 20 हजार रुपए प्रति सेमेस्टर तक वसूले जा रहे हैं।

बॉक्स

गुमराह करने के लिए इस्तेमाल किया सरकार का लोगो

लोगों को भ्रमित करने के लिए प्रदेश सरकार के लोगो के अलावा वेबसाइट पर कई दस्तावेज भी इस ओपेन स्कूल बोर्ड ने डाल रखे हैं। उनमें प्रदेश सरकार के एक गजट की प्रति का हवाला दिया गया है। संस्थान के कई आदेशों की प्रतियां हैं। उससे भ्रम होता है कि जैसे सरकार ने गजट के साथ उसे बोर्ड बनाया है। मार्कशीट पर भी गजट का हवाला दिया गया है।

यह है असली खेल

साल 2008 में प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य मुक्त विद्यालय परिषद अधिनियम को पारित कर एक मुक्त विद्यालय गठित करने की बात कही। चूंकि यूपी बोर्ड खुद प्राइवेट फार्म भरवाकर हाईस्कूल व इंटर की परीक्षाएं कराता है इसलिए कभी इस मुक्त विद्यालय परिषद का गठन नहीं हो सका। उसी नाम का इस्तेमाल कर इस फर्जी संस्था का गठन कर खेल शुरू कर दिया गया।

कोट

वर्ष 2013 में फर्जी बोर्ड पकड़ा गया था। तब भी इसके पूरे खेल का खुलासा हुआ था, लेकिन सरकार के सुस्त रवैये और सही कानूनी कार्रवाई न होने के कारण यह दोबारा से सामने आया है।

डॉ। आरपी मिश्रा, प्रदेशीय मंत्री, माध्यमिक शिक्षक संघ