- शुक्रवार देर शाम सेना ने संभाला मोर्चा

- पूरे एरिया को जाल से घेरा गया

LUCKNOW: राजधानी के औरंगाबाद खालसा इलाके में पहुंचे तेंदुए का खौफ दूसरे दिन भी छाया रहा। यहां के लोगों ने दूसरे दिन भी अपने बच्चों को ना ही स्कूल भेजा और ना ही घर से बाहर निकलने दिया। वहीं तेंदुए को पकड़ने की कोशिश में पुलिस, वन विभाग, नगर निगम और नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के 100 से अधिक कर्मचारी लगे रहे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। शुक्रवार शाम रेस्क्यू ऑपरेशन में सेना के जवान भी शामिल हो गए।

सुबह मिली एक झलक

आशियाना से सटे औरंगाबाद खालसा इलाके में तेंदुआ जिस जगह छिपा है वह एरिया लगभग दो हजार स्क्वॉयर फीट का है। यहां सीवर के चौड़े पाइप आड़े-तिरछे पड़े हैं। बीच-बीच में पेड़ और झाडि़यां भी हैं। शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे तेंदुए की एक झलक दिखाई दी। वहीं बीच-बीच में उसकी दहाड़ भी मौजूदगी का अहसास कराती रही।

लगाया 20 फीट ऊंचा जाल

शुक्रवार को तेंदुए को पकड़ने के लिए जब सुबह रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ तो एक बार फिर जाल मंगाया गया। जहां तेंदुआ मौजूद है। वहां बीते गुरुवार को पहले जमीन से लगभग आठ फीट ऊंचा जाल लगाया गया था। उसके बाद इस जाल के ऊपर एक और जाल लगभग 20 फिट ऊंचाई तक बांधा गया। दोनों जाल के बीच ढाई से तीन फीट का गैप रखा गया है। इसक अलावा बीच-बीच में तीन पिंजरे रखे गए हैं। जिनमें गोश्त और पानी रखा है।

पुलिस ने पब्लिक को खदेड़ा

बीते गुरुवार को पब्लिक का हस्तक्षेप बढ़ने की सूचना पर शुक्रवार को सीओ कैंट तनु उपाध्याय दोपहर लगभग एक बजे पहुंचीं और उन्होंने वहां लगी भीड़ को खदेड़ा। उसके बाद मैदान के चारो तरफ पुलिस तैनात कर दी गई। दिन भर पुलिस वाले वहां जुटने वाली भीड़ को भगाते रहे।

दो दिन से भूखा-प्यासा है तेंदुआ

तेंदुए ने पिछले दो दिन से कुछ खाया-पिया नहीं है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार गांव का जो पानी इस मैदान में जा रहा था, उसे रोक दिया गया है। कोशिश है कि तेंदुआ पानी की तलाश में पिंजरे में पहुंच जाए।

मंगाया गया ड्रोन

दोपहर में तेंदुए की तलाश के लिए ड्रोन मंगाया गया। ड्रोन उड़ाने के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (एटीसी) से परमीशन ली गई। लेकिन मौके पर लाया गया ड्रोन तकनीकी खामियों के चलते उड़ ही नहीं सका। हालांकि देर शाम पुलिस टीम दूसरा ड्रोन लेकर पहुंची और इससे तेंदुए की तलाश की गई।

रात में पहुंचे वन विभाग के अधिकारी

बीती रात में वन विभाग के आलाधिकारी भी मौके पर पहुंचे। इनमें वन विभाग के विभागाध्यक्ष रूपक डे और मुख्य वन संरक्षक लखनऊ मंडल के। प्रवीण राव थे। इन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली।

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वेट एंड वॉच करने की सलाह

दोपहर बाद पुलिस का वज्र भी मौके पर पहुंचा। प्लानिंग थी कि वज्र चारो तरफ से बंद हैं। ऐसे में एक तरफ से उसे क्षेत्र में दाखिल किया जाए। तेंदुआ इससे हरकत में आएगा। हालांकि दोपहर में वन विभाग की टीम ने मुंबई के बोरीबली स्थित संजय गांधी नेशनल पार्क के डॉ। पीथ से संपर्क किया। उन्होंने एक विशेष प्रकार की ड्रेस पहन कर रेस्क्यू आपरेशन करने के निर्देश दिए। साथ ही पिंजरा लगाकर वेट एंड वॉच करने की सलाह दी।

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जाल बना जंजाल

जाल पहल मेट्रो से मांगा गया। उसके बाद लखनऊ चिडि़याघर से जाल ले जाया गया। इसके बाद सेना के दो जवान भी जाल लेकर पहुंचे। सेना के जवान ने बताया कि हमसे सिर्फ जाल मांगा गया था। अन्य कोई आवश्यकता नहीं बताई गई थी।

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बाहर के लोग ना देख सके

औरंगाबाद खालसा के जिस क्षेत्र में तेंदुआ मौजूद है। उस क्षेत्र को पूरी तरह जाल से कवर कर दिया गया है। इस पर बाहर से आठ फीट की ऊंचाई तक ग्रीन पॉलीथिन भी लगा दी गई है। जिससे तेंदुए को बाहर लोग न दिखाई दें। माना जा रहा है कि जब तेंदुए को बाहर लोग नहीं दिखाई देंगे तो वह पिंजरे तक जा सकता है।

कोट

तेंदुआ जिस जगह है, वहां उसे डॉट करना आसान नहीं है। डॉट करने के बाद वह कहां छिपेगा, यह कहना भी मुश्किल है। जनता की सुरक्षा के लिए उसे यहीं रोकना जरूरी है। पिंजरे लगाकर हम वेट एंड वॉच की सिचुएशन में हैं। इसके अलावा फिलहाल कोई और रास्ता नहीं है। टीम के अधिकारियों से बात चल रही है। जो बेहतर विकल्प होगा, उस पर काम किया जाएगा।

के प्रवीण राव

मुख्य वन संरक्षक, लखनऊ मंडल

वन विभाग