आगरा। ईदगाह बस स्टैंड पर शुक्रवार तड़के सार्वजनिक शौचालय का फर्श धंस गया। शौच जाने के इंतजार में खड़े एक पेसेंजर समेत दो लोग सीवेज टैंक में गिर गए। पुलिस और फायरकर्मियों ने मौके पर पहुंच दोनों शवों को बाहर निकाला। घटना ने शौचालय चला रही प्राइवेट एजेंसी और रोडवेज विभाग पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

तड़के हुई घटना

ईदगाह बस स्टैंड पर दिल्ली की टॉयलेट एंड टॉयलेट कंपनी का सार्वजनिक शौचालय है। सुविधा शुल्क देकर पेसेंजर के साथ क्षेत्रीय लोग भी इसका इस्तेमाल करते हैं। शौच के लिए पांच रुपये लिए जाते हैं। शुक्रवार सुबह पौने पांच बजे शौच जाने के लिए लोगों की यहां कतार लगी थी। तभी अचानक शौचालय का फर्श धंस गया। फर्श पर खड़े दो युवक सीवेज टैंक में गिर गए। अन्य दो युवक हेल्प के लिए विंडो के पास पास खड़े चीख रहे थे। हादसा होते ही शौचालय में तैनात केयर टेकर सहित तीनों कर्मचारी भाग निकले। मौके पर पुलिस व फायर स्टेशन कर्मी पहुंच गए।

बांस से ढूढ कर निकाला शव

15 मिनट बाद पांच बजे करीब फायरकर्मियों ने रेस्क्यू शुरू कर दिया। सीवेज टैंक फुल था। कर्मचारियों ने टैंक में बांस डालकर दोनों युवकों की खोजबीन की। कुछ देर बाद ही दोनों युवकों को बाहर निकाल लिया गया। लेकिन, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। सुबह पौने पांच से साढ़े पांच बजे तक पुलिस व फायरकर्मियों का रेस्क्यू चला। इस दौरान मौके पर एसपी सिटी समीर सौरभ, सीओ सदर असीम चौधरी मौजूद रहे।

दो लोगों को खिड़की से बाहर निकाला

इसके बाद नगर निगम कर्मचारी पहुंच गए। निगम के टैंक से मलबा बाहर निकलवाया गया। सुबह साढ़े नौ बजे तक की गई सफाई में इस बात की पुष्टि हो सकी कि अब वहां कोई और शव नहीं है। घटना के दौरान तीन लोग टॉयलेट में बैठे थे। चार लोग इंतजार कर रहे थे। जैसे ही फर्श धंसा, अंदर बैठे लोगों की चीख निकल गई। अंदर फंसा रिक्शा चालक रामहेत व एक अन्य ने बचने के लिए शोर मचा दिया।

सीढ़ी लगाकर बाहर निकाला

फायर स्टेशन के कर्मचारियों ने खिड़की पर सीढ़ी लगाकर दोनों को बचाया। पुलिस के अनुसार मृतकों में से एक की शिनाख्त दीनदयाल निवासी मागलोई दिल्ली के रूप में हुई है। दूसरे की शिनाख्त नहीं हुई है। ईदगाह बस स्टैंड, केन्द्र प्रभारी, रोडवेज विभाग चंद्र प्रभा भदौरिया ने इस संबंध में शौचालय कम्पनी के खिलाफ लापरवाही का आरोप लगाते हुए थाना रकाबगंज में तहरीर दी है। पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत किया है।

रोका जा सकता था हादसा

बताया जाता है कि शौचालय निर्माण में घटिया सामग्री की लोगों ने शिकायत भी की थी। लोगों का कहना था कि शौचालय निर्माण में अनियमितताएं बरती गई हैं। मानकों को ताक पर रखकर सीवेज टैंक का निर्माण कराया गया। अगर समय रहते इस शिकायत को गंभीरता से लिया जाता तो इस घटना को रोका जा सकता था।

बस्ती के लोग होते तो क्या होता

आस-पास के लोगों ने बताया कि जिस समय हादसा हुआ, तब वहां लोगों की संख्या कम थी। हादसा सात या आठ बजे करीब होता तो बड़ी संख्या में जनहानि हो सकती थी। पास ही स्थित बस्ती के लोग भी बड़ी संख्या में यहां शौच करने आते हैं।

कौन देगा इनके जवाब

- शौचालय बस स्टैंड परिसर में था, तो रोडवेज विभाग ने इसके मेंटीनेंस की मॉनिटरिंग क्यों नहीं की?

- शौचालय चला रही प्राइवेट कंपनी टॉयलेट का यूज करने के लिए सुविधा शुल्क वसूल करती थी, तो टॉयलेट का मेंटीनेंस क्यों नहीं कराया गया?

यहां हर रोज खतरे में रहते हैं बच्चे

आगरा। शहर में और भी कई शौचालय खतरनाक हालत में खड़े हुए हैं। सुलभ शौचालय की ओर से लगभग दो दशक पहले कैलाशपुरी रोड पर शौचालय का निर्माण कराया गया था। पिछले कई सालों से इसकी देखरेख कर रहे बबलू के बच्चों की जान यहां कई बार खतरे में पड़ चुकी है। बबलू की बेटी सोनिका के अनुसार पांच-छह महीने पहले छोटे भाई-बहन टैंक में गिर गए थे। गनीमत रही कि गिरने के साथ ही इन्हें तुंरत खींच लिया गया। नहीं तो बड़ा हादसा होने में देर नहीं लगती। अब भी खतरा टला नहीं है। शौचालय परिसर में बना टैंक का मेनहोल खुला पड़ा है।