-सचिवालय में नौकरी के नाम पर ठगे गए थे बेरोजगार

-फर्जीवाड़े के आरोपी सहायक समीक्षाधिकारी समेत पांच जालसाज पहले हो चुके हैं अरेस्ट

LUCKNOW: सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर ख्7 बेरोजगारों से करोड़ों की ठगी करने वाले दो मास्टरमाइंड को पुलिस ने गुरूवार को हजरतगंज एरिया से अरेस्ट कर लिया। गौरतलब है कि इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाले सचिवालय के सहायक समीक्षाधिकारी समेत पांच लोगों को पुलिस पहले ही अरेस्ट कर जेल भेज चुकी है।

एक साल से चल रहे थे फरार

सीओ हजरतगंज अशोक कुमार वर्मा के मुताबिक, गुरूवार को हजरतगंज पुलिस ने सचिवालय के गेट नम्बर नौ से इंदिरानगर निवासी कुलदीप वर्मा उर्फ भोलू और उसके साथी फैजाबाद रोड स्थित गोयल अपार्टमेंट में रहने वाले हेमंत तिवारी को अरेस्ट कर लिया। पुलिस ने उनके कब्जे से एक स्विफ्ट कार और एक बाइक बरामद की। सीओ वर्मा ने बताया कि इस फर्जीवाड़े के यही दो मास्टरमाइंड पिछले एक साल से फरार चल रहे थे।

कंसल्टेंसी ऑफिस में करते थे शिकार

पूछताछ के दौरान कुलदीप ने बताया की करीब डेढ़ साल पहले उसकी मुलाकात सचिवालय में संविदा कर्मी महक गुप्ता से हुई थी। उसने सचिवालय में अनुसेवक शिवमंगल से उसे मिलाया था। नौकरी दिलाने के नाम कुलदीप के साथी पारितोष ने फैजाबाद रोड पर कसलटेंसी ऑफिस खोल रखा था। कुलदीप ने शिवमंगल से सांठगांठ कर पारितोष के ऑफिस आने वाले बेरोजगारों को अपना शिकार बनाते थे। उन्होंने बेरोजगारों को सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर युवकों से तीन लाख की रकम वसूली। इस खेल में सहायक समीक्षा अधिकारी आईएस भदौरिया शामिल था। उसने सचिवालय का फर्जी गेट पास का इंतजाम कराया था।

सचिवालय में कराया इंटरव्यू

पहले दो बेरोजगारो के इंटरव्यू भी सचिवालय में हुये थे। उनकी संविदा पर नौकरी लगने के बाद करीब ख्0 और युवकों से आठ हजार की सैलरी का लालच देकर सभी से तीन-तीन लाख रुपये की रकम ऐठी गई। फर्जीवाड़े का खेल उजागर होने के बाद पुलिस ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी करने वाले शिवचरण और संतराम को बीती ख् सितम्बर ख्0क्ब् को अरेस्ट कर पूरे मामले का खुलासा किया था। जांच में सामने आये संविदा कर्मी शैलेन्द्र सिंह, महक गुप्ता और आईएस भदौरिया को बीती ब् सितम्बर ख्0क्ब् को पुलिस ने अरेस्ट कर जेल भेजा था। जबकि, बेरोजगारों को झांसा देकर शिकार बनाने वाला पारितोष त्रिपाठी बीती क्ब् जनवरी को पुलिस के हत्थे चढ़ा था। पूछताछ में आरोपियों ने कुलदीप और हेमंत को ही मास्टरमांइड बताया था।

एक जालसाज एमबीए तो एक बीएससी पास

पकड़े जालसाजों में कुलदीप मनीपाल यूनिवर्सिटी से एमबीए कर चुका है। वहीं, हेमंत तिवारी बीएससी पास है। पुलिस की गिरफ्त में आने पर दोनों आरोपियों ने खुद को फंसाये जाने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि वह सिर्फ कैंडीडेट्स का इंतजाम करते थे, इसके लिये उन्हें सिर्फ क्भ् हजार रुपये का पेमेंट किया जाता था।