- आयोग दी गई ग्रांट और उसके खर्च को करेगा मॉनिटर

- स्पेशल जीआईएस सिस्टम के जरिए रखी जाएगी नजर

- हाईटेक मानचित्र से ट्रैक हो सकेगा निर्माण कार्य

- एक क्लिक पर आयोग के पास होगी ग्रांट से जुड़ी जानकारी

ravi.priya@inext.co.in

DEHRADUN: हायर एजुकेशन संस्थान अब यूजीसी से मिलने वाली ग्रांट्स में खेल नहीं कर सकेंगे। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) अब ग्रांट और उससे होने वाले कार्यो पर सीधे नजर रखेगी। कमीशन जीआईएस टेक्नोलॉजी के जरिए एक क्लिक पर संबंधित संस्थान के निर्माण कार्य व अन्य गतिविधियों की जानकारी से अपडेट रहेगी। गड़बड़ी पाए जाने पर संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ग्रेडिंग के आधार पर मिलती है ग्रांट

हायर एजुकेशनल संस्थानों को विभिन्न मदों में यूजीसी से ग्रांट मिलती है। यह ग्रांट उन्हें ग्रेडिंग के आधार पर प्राप्त होती है। लेकिन कई बार ग्रांट से मिली रकम और उससे होने वाले कार्यो में संस्थानों द्वारा गड़बड़ी करने के मामले सामने आए हैं। ग्रांट से मिली राशि से निर्माण कार्य या फिर किसी अन्य मद में मिलने वाली रकम में कोई खेल न हो इसके लिए कमीशन ने खास व्यवस्था की है। नई व्यवस्था के जरिए आयोग एक क्लिक पर संबंधित संस्थानों में ग्रांट के उपयोग पर नजर रख सकेगी।

हाईटेक सिस्टम से होगी निगरानी

संस्थानों में होने वाली इन गड़बडि़यों और फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाम लगाने के लिए कमीशन हाईटेक सिस्टम से निगरानी करेगी। कमीशन इसके लिए संस्थानों पर जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) से निगरानी रखने का कार्य करेगी। कमीशन दो तरीके से संस्थानों की मॉनिटरिंग करने का काम करेगी। सिस्टम के तहत कॉलेजों व यूनिवर्सिटीज को ऑनलाइन किया जाएगा। जिसके बाद खास पोर्टल पर तमाम जानकारी अपलोड की जाएगी। रूसा से मिली अनुदान राशि का उपयोग अगर किसी निर्माण या अन्य चीजों में किया जा रहा है तो ऐप के जरिए तत्काल फोटो अपलोड करना होगा। वहीं जीआईएस के जरिए संस्थानों के निर्माण कायरें पर नजर रखी जाएगी।

मानचित्र से खुलेगी पोल

ग्रांट से होने वाले निर्माण कार्यो पर निगरानी आदि की भौगोलिक जानकारी डिजिटल मानचित्र के रूप में मिल सकेंगी। जिससे कमीशन किसी भी वक्त संस्थानों द्वारा प्रदान की गई जानकारी को डिजिटल मैप के जरिए क्रॉस चेक कर सकेगी। जानकारों की मानें तो इस व्यवस्था से संस्थानों द्वारा किया जाने वाला खेल संभव नहीं होगा। इसके अलावा जानकारी सार्वजनिक होने से शिकायतों पर कार्रवाई आदि प्रक्रिया भी आसान होगी।

मिलती है आयोग से फंडिंग

यूजीसी विभिन्न मदों में देशभर के कॉलेजों को फंडिंग करती करती है। इनमें रिसर्च, डेवलपमेंट, प्रोग्राम्स व अन्य कई योजनाओं के तहत कॉलेज वित्तीय सहायता प्राप्त करते हैं। लेकिन अब आयोग द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के हिसाब से केवल उन्हीं संस्थानों को फंडिंग की जाएगी जो नैक ग्रेडिंग प्राप्त हैं। जो संस्थान नैक के एक्रेडिटेशन के बिना संचालित होंगे उन्हें फंड नहीं मिल सकेगा। लेकिन अब जीआईएस टेक्नोलॉजी के जरिए नैक ग्रेडिंग हासिल करने के बाद संस्थानों को मिलने वाली ग्रांट को भी अब यूजीसी हिसाब रखेगी।

यूजीसी का मकसद हायर एजुकेशन सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी लाना है। यही कारण है कि बीते कुछ वक्त में कई ऐसी योजनाएं चलाई गई हैं जो संस्थानों को बेहतर बनाने का कार्य करें। जीआईएस टेक्नोलॉजी से अब ग्रांट्स की रकम में गड़बड़ी संभव नहीं होगी।

------ प्रो। वीके जैन, वाइस चांसलर, दून यूनिवर्सिटी