-कविता और उसके पिता के साथ उसकी मां और छोटी बहन को भी 24 घंटे थाने में रखा था पुलिस ने

-थाने में पुलिस ने कविता को फटे कपड़ों में ही पुरुषों के बीच रखा, फब्तियां भी कसते रहे

-आई नेक्स्ट के कैमरे के सामने मां-बेटी से रो-रोकर बताई उस रात की हकीकत,

- कविता और उसके परिजनों की जमकर की पिटाई, टॉर्चर करके जबरन कुबृूल करवाया जुर्म

-तेज दर्द से रात भर तड़पती रही, बुखार और उल्टियां करने के बाद भी नहीं पसीजी पुलिस, डॉक्टर के पास ले जाने को गिड़गिड़ाते रहे परिजन

-घर छोड़ने के बहाने जेल भेजी गई, पुलिस ने रिहा करने का दिया था आश्वासन

कानपुर: कर्नलगंज के दीपेंद्र मर्डर केस में पुलिस द्वारा आरोपी लड़की का अ‌र्द्धनग्न हालत में जुलूस निकालने की शर्मनाक हरकत का खुलासा आई नेक्स्ट कर चुका है। इसके बाद लड़की की गिरफ्तारी दिखाने में पुलिस के झूठ को आई नेक्स्ट सामने ला चुका है। आज आई नेक्स्ट इसी मामले में पुलिस का एक और अमानवीय और क्रूर चेहरा दिखाने जा रहा है। पुलिस ने उस आरोपी लड़की यानि कविता को ही नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार मां, पिता और छोटी बहन को चौबीस घंटे थाने में हिरासत में रखा था। थाने में पुलिस वालों ने कविता ओर उसके परिजनों के साथ अमानवीय बर्ताव किया। पुलिसकर्मी कविता को तन ढकने के लिए कोई कपड़ा तो नहीं दे सके बल्कि गंदी निगाहों से घूर-घूर कर उसकी इज्जत का मजाक बनाते रहे। उस पर फब्तियां कसते रहे। पिटाई से पूरा बदन टूट रहा था। तेज बुखार के साथ उल्टिंया होने लगीं। लेकिन पुलिसकर्मियों का दिल नहीं पसीजा। वो लगातार उस पर जबरन जुर्म कबूलने का दबाव बनाते रहे। ये सारी बातें कविता ने आईनेक्स्ट के कैमरे में उस वक्त रिकॉर्ड कराईं जब वो शुक्रवार को जेल से कुछ देर के लिए उर्सला इलाज के लिए भेजी गई थी। आईनेक्स्ट के पास पूरी बातचीत की वीडिओ रिकॉर्डिग है।

बिना लिखापढ़ी के मां और बहन को भी थाने में रखा

कर्नलगंज थाने के पीछे दीपेंद्र की लाश मिलने के बाद भड़के परिजनों और इलाकाई लोगों ने कविता को तो पीटा ही था। साथ ही उन लोगों ने उसकी बहन और मां को भी नहीं बख्शा था। कविता का अ‌र्द्धनग्न जुलूस निकालकर पुलिस उसे थाने ले गई। उनके पीछे पिता और मां थाने पहुंचे, तो पुलिस वालों ने उनको भी हिरासत में ले लिया। जिसके बाद वे थाने से हिल भी नहीं पाए। मां पुलिस वालों से गिड़गिड़ाने लगी कि मेरी छोटी बेटी स्कूल से आने वाली है। उसको भी लोग पीट सकते हैं। इसलिए मुझे छोड़ दो, लेकिन पुलिस वालों उसे छोड़ने के बजाय उसकी बेटी को भी थाने ले आए। जिसके बाद वे चौबीस घंटे पुलिस की हिरासत में रही। वे एसओ के सामने रोते और गिडगिड़ाते रहे, लेकिन उनका कलेजा नहीं पसीजा और उन्होंने बिना लिखापढ़ी के उनको थाने में पुलिस हिरासत में रखा।

अ‌र्द्धनग्न हालत में ही एसओ के सामने ले गए

पुलिस कविता का अ‌र्द्धनग्न जुलूस पर सफाई दे रही है कि उसकी जान बचाना पहले जरूरी था। इसलिए वो उसको उसी हालत में थाने ले गए थे, लेकिन अब पुलिस क्या सफाई देगी, जब खुद पीडि़ता कविता और उसकी मां ने आई नेक्स्ट की सच्चाई बताई कि पुलिस वालों ने फटे कपड़ों में ही कविता को थाने में रखा था। पुलिस वालों ने उसके तन को ढकने की भी जहमत नहीं की। वो किसी तरह हाथों से इज्जत को ढकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन पुलिस वालों ने उसकी कोई मदद नहीं की। उसको उसी हाल में एसओ के सामने भी पेश किया गया, लेकिन उन्होंने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। पुलिस वालों ने उसका तमाशा बना दिया था।

अभी भी मौजूद हैं चोट के निशान

कर्नलगंज में दीपेंद्र मर्डर से गुस्साए परिजन और इलाकाई लोगों ने कविता को इतनी बुरी तरह पीटा था कि अभी भी चोट के निशान उसके बदन पर मौजूद हैं। उसके कई अन्दरूनी चोटें भी हैं। शुक्रवार को उसको मेडिकल के लिए जेल से उर्सला हॉस्पिटल भेजा गया था। जहां पर उसने मां के सामने आई नेक्स्ट की टीम को चोट के निशान दिखाए। लेकिन बदन पर चोट के जितने निशान हैं उससे कहीं ज्यादा चोटें शरीर के अंदर हैं। जिन्हें वो दिखा भी नहीं पा रही थी।

'साहब आदेश देंगे तभी कपड़े बदल पाओगी'

थाने में कविता की दयनीय दशा को देखकर भी पुलिस वालों का कलेजा पसीजा नहीं था, बल्कि वे उसकी हालत का मजाक उड़ा रहे थे। कविता तो इस बारे में कुछ बोल भी नहीं पा रही थी, लेकिन उसकी मां ने बताया कि उनकी बेटी दस घंटे थाने में फटे कपड़े में बैठी रही थी। जिसे देख उसकी मां ने एक रिश्तेदार की मदद से थाने में दूसरा कुर्ता मंगवाया था। जिसके बाद उसकी मां ने कपड़े बदलवाने के लिए पुलिस कर्मियों से कहा, तो ड्यूटी पर तैनात सिपाही ने कहा कि जब साहब आदेश करेंगे, तभी वो कपड़े बदल पाएगी। जिसके एक घंटे बाद वो थाने में कपड़े बदल पाई थी।

मां ने मंगाई टेबलेट

कविता की मां ने बताया कि गुस्साए लोगों की पिटाई से कविता के शरीर में अंदरूनी चोटें आ गई थीं। वो थाने में दर्द से तड़पती रही, लेकिन पुलिस ने उसको डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत भी नहीं समझी। जिससे उसके तेज बुखार और उल्टियां होने लगीं। बेटी को आंखों के सामने इस हालत को देखकर मां और पिता का कलेजा फट गया, वे एसओ समेत अन्य ऑफिसर के सामने हाथ-पैर जोड़ने लगे, लेकिन उसे डॉक्टर के पास ले जाने से मना कर दिया। किसी तरह उसकी मां ने एक पुलिस कर्मी को पैसे देकर मेडिकल स्टोर से दर्द की दवा मंगवाई और बेटी को दी थी।

खाना भी नहीं दिया, खुद के पैसे से मंगवाई थी चाय

थाने में कविता और उसके परिजनों के साथ पुलिस की हैवानियत की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। कविता की मां के मुताबिक पुलिस ने कविता समेत पूरे परिवार को चौबीस घंटे से ज्यादा हिरासत में रखा था, लेकिन पुलिस वालों ने इस दौरान उन्हें कुछ खाने के लिए नहीं दिया। यहां तक पुलिसवालों ने कविता की छोटी बहन को भी कुछ नहीं खिलाया। वो भूख से तड़प रही थी। उसने पुलिस वालों से कहा, तो उन्होंने दुत्कार दिया। जिसके बाद उसने रात को खुद के पैसे से चाय और बिस्कुट मंगाया था जिसे कविता की मां, पिता और छोटी बहन ने खाया था। कविता ने तो वो भी नहीं खाया था। मां के मुताबिक उसका हाल इतना बुरा था कि उसके गले से पानी भी नहीं उतर रहा था।

जुर्म कबूल कर लो वरना

थाने में कविता और उसके परिजन को पुलिस सांत्वना देने के बजाय डरा रही थी। आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ने कविता और उसकी मां से पुलिस के बर्ताव के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि कविता तो थाने में सिर्फ रो रही थी। पुलिस वालों ने उससे कहा कि तुम लोगों जरा सा ही तो पीटे गए हो। कुछ कपड़े फट गए है। अगर जुर्म नहीं कबूल करोगे, तो और भी बुरा हाल होगा। अभी साहब आएंगे, तो तुम लोगों की खैर नहीं रहेगी। जिसे सुनने के बाद वे और सहम गए थे।

ये है कत्ल के बारे में कविता का बयान

कविता के मुताबिक एसओ समेत अन्य पुलिस वालों ने उससे पूछताछ की, तो उसने सच्चाई बता दी कि दीपेंद्र से उसकी बात होती थी। उसके मंगेतर विशाल को ये पसन्द नहीं था। विशाल कई बार दीपेंद्र को मारने की धमकी देता था, लेकिन कविता समझती थी कि वो गुस्से में बोलता है। वो दीपेंद्र को फोन नहीं करती थी, बल्कि दीपेंद्र उसको फोन करता था। जिस दिन दीपेंद्र गायब हुआ था, तो उस दिन भी उसकी दीपेंद्र और विशाल से बात हुई थी। विशाल ने हमेशा की तरह दीपेंद्र का मारने की बात कही, तो वो समझी कि विशाल एक बार फिर गुस्से में बोल रहा है। उसे नहीं पता था कि विशाल मर्डर करने जा रहा है दीपेन्द्र का जैसा कि पुलिस उससे कबूल कराना चाहती है। कविता का कहना है दीपेंद्र का मर्डर हो गया था ये उसे नहीं पता था। कविता ने बताया कि उसने ये पूरी बात पुलिस को बता दी थी लेकिन पुलिस उससे हत्या की जानकारी होने की बात कबूल कराना चाहती थी । उसने मना किया, तो पुलिस वालों ने उससे सख्ती करने लगे। महिला पुलिस कर्मी ने बीमारी की हालत में उसके कई तमाचे मारे थे। जिसके बाद भी वो पुलिस के बनाए बयान को देने के लिए तैयार नहीं हुई, तो उन लोगों ने उसके पिता और मां को भी पीटने और झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी। जिसके बाद उसने मजबूरी में सादे कागज में अंगूठा लगाया और साइन किए।

घर छोड़ने के बहाने से ले गए थे जेल

थाने में एसओ समेत अन्य पुलिसकर्मी आखिरी तक कविता को को आश्वासन देते रह कि वो उसे जेल नहीं भेजेंगे अगर वो पुलिस की बात मान ले। एसओ ने उसके परिजनों को समझाया कि वो कविता कोर्ट में पेश कराकर घर छोड़ देंगे। इसलिए तुम लोग कोई बवाल नहीं करना और न ही तुम लोग अभी घर जाना। तुम लोग यहां से सीधे किसी रिश्तेदार के घर चले जाना। जिसके बाद एसओ कविता को कोर्ट में पेश कराया और वहां से जेल ले गए। कविता का आरोप है कि पुलिस ने उसके साथ धोखा किया है। उसको दीपेंद्र के परिजन और इलाकाई लोगों ने पीटा। पुलिस ने उसका रोड पर जुलूस निकालकर तमाशा बनाया और थाने में पीटा। इसके बाद उसको विश्वास था कि पुलिस उसे छोड़ देगी, लेकिन पुलिस ने उसे झूठे केस में फंसा दिया है। अब वो जेल से कैसे छूटेगी। उसकी मां लोगों के घर पर काम करके परिवार का पेट पाल रही थी। पिता का कैंसर का ऑपरेशन हुआ है। ऐसे में उसको इंसाफ कैसे मिलेगा।

जाओ वरना तुम्हें भी भेज देंगे जेल

कविता के जेल जाने का पता चलते ही उसकी मां और पिता अगले दिन खुद थाने पहुंचे, तो एसओ समेत अन्य पुलिस कर्मियों ने उसको धमकी दी कि अगर तुम लोगों ने मुंह खोला, तुम लोगों को भी जेल भेज दिया जाएगा। इसलिए अपनी गनीमत चाहते हो, तो दोबारा थाने में न आना और दो से तीन महीने घर भी नहीं जाना। वरना कुछ भी हो सकता है। जिसके बाद से वे चोरी-छुपे एक रिश्तेदार के घर पर पड़े है। वे शुक्रवार को बेटी से मिलने के लिए जेल गए थे। जहां पर उन्हें बेटी को उर्सला भेजने का पता चला, तो उन्होंने वहां जाकर उससे मुलाकात की। और वहीं आईनेक्स्ट की टीम उनसे मिली।