डायरिया का डर
1500 डेली आने वाले व्यापारियों की संख्या
650 मंडी में कुल दुकानें
एक लाख 90 हजार रुपए हर माह होते हैं सफाई के नाम पर खर्च
- नवीन मंडी महेवा में लगा रहता है गंदगी का अंबार
- सफाई के नाम पर मंडी समिति लेती है लगभग दो लाख टैक्स
- फिर भी हालात दे रहे संक्रामक बीमारियों को न्यौता
GORAKHPUR: बीमारियों के लिए सबसे संवेदनशील बारिश का मौसम आ चुका है लेकिन इसे लेकर कहीं कोई तैयारी नहीं दिखती। पूर्वाचल की सबसे बड़ी नवीन मंडी, महेवा में हालात बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं। मंडी के अंदर हर तरफ जलजमाव व कीचड़ पसरा है जबकि मंडी समिति का दावा है कि हर माह सफाई पर 1 लाख 90 हजार रुपए खर्च किए जाते हैं। यहां व्यापार करने वाले व्यापारियों का कहना है कि न तो कभी दवा का छिड़काव होता है और न ही ठीक से सफाई होती है। इसके चलते मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। कई व्यापारी बीमार भी हो चुके हैं।
टैक्स के बाद भी ये हालात
नवीन मंडी महेवा में शहर व देहात के लोकल व्यापारी भी पहुंचते हैं। इतना ही नहीं पब्लिक भी बड़े पैमाने पर सामान की खरीद फरोख्त के लिए पहुंचती है। यहां की सफाई व्यवस्था की बात करें तो सिर्फ अव्यवस्था ही नजर आती है। आलम यह है कि मंडी परिसर में हर तरफ कीचड़ पसरा हुआ है लेकिन जिम्मेदार सफाई के लिए कुछ नहीं करा रहे। जबकि मंडी समिति व्यापारियों से कारोबार का ढाई प्रतिशत टैक्स वसूल करती है जिसमें से आधा प्रतिशत विकास के नाम पर खर्च किया जाता है।
फैलने लगी है बीमारी
वहीं, यहां की खराब सफाई व्यवस्था के बारे में पूछ जाने पर मंडी समिति नगर निगम की उदासीनता का तर्क देती नजर आती है। मंडी समिति का कहना है कि सफाई के नाम पर नगर निगम को एक लाख 90 हजार रुपये प्रति माह दिया जाता है। लेकिन फिर भी यहां की सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे है। मंडी के ड्र्रेनेज, मेन होल की सफाई न होने से जलजमाव की स्थिति बराबर बनी रहती है। हल्की सी बारिश से व्यापार करना दूभर हो जाता है। मंडी में चारों ओर गंदगी के चलते व्यापारी डायरिया आदि संक्रामक बीमारियों के शिकार भी होने लगे हैं।
कोट
मंडी में जल निकासी की सबसे बड़ी समस्या है। इसके लिए कई बार अफसरों को अवगत कराया गया है। बरसात शुरू होने के बाद भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। गंदगी की वजह से बीमारी का खतरा बराबर बना रहता है।
- अवध गुप्ता, व्यापारी
फल-सब्जी व मछली मंडी का बुरा हाल है। गंदगी के चलते यहां व्यापार कर पाना मुश्किल है। व्यापारी डायरिया की चपेट में आने लगे हैं। इस संबंध में जिम्मेदार जानकर भी कुछ नहीं कर रहे।
- शम्स तवरेज, व्यापारी
वर्जन
मंडी की सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम की है। इसके लिए उन्हें हर माह पैसा दिया जाता है लेकिन ठेकेदार अपना कार्य समय पर नहीं करता है। जिसकी वजह से परेशानी होती है।
- सुभाष यादव, सचिव मंडी
अभियान चलाकर मंडी की सफाई व दवाइयों का छिड़काव किया जाएगा।
- डॉ। अरुण कुमार चौधरी, नगर स्वास्थ्य अधिकारी