टाटा स्टील ने अपने बयान में कहा कि 2011 की तीसरी तिमाही में उन्हें 6.03 अरब रूपये का घाटा हुआ है। वर्ष 2010 की तीसरी तिमाही में कंपनी को दस अरब रूपये का मुनाफ़ा हुआ था।

टाटा ने कहा कि कच्चे माल की बढ़ी क़ीमत, मांग में कमी और यूरोप की क़ीमतों की वजह से ये नुक़सान दर्ज हुआ है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक विश्लेषकों को इस तिमाही में टाटा को 3.4 अरब रूपये के फ़ायदे की उम्मीद थी।

दोहरी मार

कंपनी का दो तिहाई काम यूरोप से होता है जहां कर्ज़ संकट मांग को प्रभावित कर रहा है। यूरोप में टाटा ऑपरेशंस के प्रमुख ने कहा कि उन्हें इस साल मांग बढ़ने की उम्मीद नहीं है।

एक बयान में उन्होंने कहा, "हम पैसा बचाने की प्रक्रिया तेज़ कर रहे हैं क्योंकि हमें 2012 में कमज़ोर लेकिन स्थिर मांग की उम्मीद है." जानकारों का कहना है कि टाटा स्टील पर दोहरी मार पड़ रही है।

मुंबई की एलारा सेक्यूरिटीज़ के रविंद्र देशपांडे ने कहा, "मांग में वैसी बढ़ोत्तरी नहीं हुई है जैसी उम्मीद थी इसलिए क़ीमतों में भी गिरावट आई है। लेकिन इसके साथ ही उत्पादन की लागत में कोई भी गिरावट नहीं आई है जिससे उनके मुनाफ़ों पर दबाव बढ़ रहा है." देशपांडे का कहना है कि उन्हें अगले कुछ तिमाहियों में बेहतर नतीज़ों की उम्मीद नहीं है।

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