ये किसी फ़्यूचरिस्टिक हॉलीवुड फिल्म का सेट नहीं है। ये संयुक्त अरब अमीरात सरकार के सक्रिय मंत्रालय हैं।

अमीरात में ख़ुशहाली का अलग मंत्रालय

अमीरात के बारे में मैं क्या सोचता था?

मैं पूर्वाग्रह से ग्रसित हो कर पिछले महीने पहली बार अमीरात गया। हमारे ये विचार पश्चिमी मीडिया में उनके बारे में ख़बरों से प्रभावित थे। मैं खुद पिछले 22 सालों से इस मीडिया का हिस्सा हूँ।

दुबई के बारे में हमारी कल्पना थी कि ये एक बड़ी और ऊंची इमारतों वाला शहर है। ये एक निष्प्राण इलाक़ा है। मैंने अमीरात को तेल पैदा करने एक देश से ज़्यादा कभी अहमियत नहीं दी थी।

इससे भी बढ़ कर मेरे विचार थे कि धनी अरब अपने पारंपरिक पोशाक में अपने नए पैसे से ऐश कर रहे हैं। ज़ाहिर है ये ग़लत विचार थे।

अमीरात में ख़ुशहाली का अलग मंत्रालय

लेकिन वहां 10 दिन रहने के बाद...

लेकिन अमीरात में 10 दिनों के क़याम ने हमारी आँखें ख़ोल दीं। एमिराती ज़ाहरी तौर पर साधारण ज़हूर लगते हैं लेकिन वो अंदर से काफी आत्मविश्वास से भरे हैं। उनका वर्तमान सुरक्षित है। वो अपने भविष्य को और भी खुशहाल बनाने में जुट गए हैं। उनका समाज समृद्ध है।

वो एक ऐसे भविष्य के निर्माण में लगे हैं जो दूसरे अरब देशों और विश्व भर के लिए एक मिसाल होगा। सराहनीय बात ये है कि ये काम तेज़ी से हो रहे हैं और कोई हंगामा किये बग़ैर किये जा रहे हैं।

अमीरात में ख़ुशहाली का अलग मंत्रालय

अमीरात की सरकार ने मंगल ग्रह में एक शहर बसाने की योजना बनायी है। इसने पिछले हफ्ते दुबई को आईटी का सब से बड़ा गढ़ बनाने का एलान किया है।

दुबई का प्रशासन पायलटलेस एयर टैक्सी की सेवायें चालू करने जा रहा है। और हाँ, अमीरात की सरकार 'World Drone Prix' नामक नियमित ड्रोन रेसिंग के आयोजना का मसौदा तैयार कर रही है।

अमीरात में ख़ुशहाली का अलग मंत्रालय

पहले अमीरात एक पिछड़ा देश था

जो लोग सार्वजनिक सेवाओं में हाई टेक के उपयोग की स्पष्ट जानकारी नहीं रखते उनके लिए ये होश उड़ाने वाले क़दम हैं। इस देश का तेज़ी से होता विकास इस बात से और अधिक प्रभावशाली हो जाता है जब हम इस बात पर ग़ौर करते हैं कि कुछ दशक पहले अमीरात एक काफ़ी पिछड़ा देश था जहाँ के स्थानीय निवासी बद्दू अलग-अलग क़बीलों में बंटे हुए थे।

अमीरात में हो रहे विकास की सराहना इसलिए भी करनी पड़ेगी क्यूंकि इसके चारों तरफ़ अरब देश आतंकवाद, आर्थिक संकट और जातीय संघर्ष से जूझ रहे हैं।

यहाँ के शाही खानदानों ने एक सहनशील समाज बनाया है जहाँ मज़हबी आज़ादी है, जहाँ धार्मिक मुद्दों पर झड़गे नहीं होते और जहाँ आतंकी हमले नहीं होते। यहाँ आध्यात्मिक संतुलन और व्यावसायिक सफलताएं एक साथ महसूस की जा सकती हैं।

मंगल ग्रह पर स्मार्ट सिटी बनाने की योजना

मुझे यक़ीन है कि आने वाले महीनों और सालों में आप 27 वर्षीय उमर बिन सुल्तान अल ओलामा का नाम बार-बार सुनेंगे।

वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मंत्रालय के राज्य मंत्री हैं। उन्हें दो महीने पहले इस पद पर नियुक्त किया गया है। वो प्रधानमंत्री के कार्यालय में "भविष्य विभाग" के उप निदेशक भी हैं। इसके इलावा वो भविष्य से जुड़ी सभी योजनाओं से जुड़े हैं।

अल ओलामा की ज़िम्मेदारियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नए तकनीकों और उपकरणों में निवेश करके सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाना है। भविष्य से जुड़े सभी कार्यों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का मुनासिब इस्तेमाल करना है। लेकिन इससे भी अहम मंगल ग्रह पर पहले स्मार्ट सिटी के निर्माण की योजना पर काम करना है।

अमीरात को अंग्रेज़ों से 1971 में आज़ादी मिली थी। वो 2071 में शताब्दी समारोह बड़े पैमाने पर मनाने की तैयारी कर रहे हैं। ये ज़िम्मेदारियाँ भी अल ओलामा को दी गयी हैं।

अमीरात में ख़ुशहाली का अलग मंत्रालय

विकसित देशों से भी अधिक अमीरात की आय

अमीरात समाज धनी है। इसकी प्रति व्यक्ति आय 72,800 डॉलर है जो कई विकसित देशों से भी अधिक है। वो ज़िन्दगी से संतुष्ट नज़र आते हैं, कम से कम ज़ाहरी तौर पर।

लेकिन इसके बावजूद यहाँ की सरकार ने पिछले साल खुशहाली मंत्रालय की स्थापना की। इसकी मंत्री ओहद बिंत खल्फ़ान अल रूमी हैं जो 21 सदस्य वाले मंत्रिमंडल में शामिल आठ महिला मंत्रियों में से एक हैं।

पिछले साल मंत्री बनने के बाद उन्होंने कहा कि ख़ुशहाली लाना एक गंभीर ज़़रूरत है। उन्हें दो महीने पहले "जीवन की गुणवत्ता" पोर्टफोलियो भी सौंपा गया है। लेकिन क्या आपके जीवन में खुशहाली लाना सरकार का काम है?

अमीरात में ख़ुशहाली का अलग मंत्रालय

जवाब इतना आसान नहीं, लेकिन खुशहाली मंत्रालय की वो वेबसाइट कहाँ है जिसपर पर यह लिखा है कि इसका मक़सद दुनिया के सबसे खुशहाल देशों में से एक बनना है। यहाँ के स्थानीय लोग आम तौर से खुश से अधिक संतुष्ट नज़र आते हैं।

लेकिन व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए ख़ुशी का मतलब है लोकतंत्र और व्यक्तिगत आज़ादी। कुछ स्थानीय लोग मुझ से सहमत नज़र आये लेकिन अधिकतर लोग अपने मौजूदा हालात से संतुष्ट नज़र आये।

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