भूख और गरीबी करती है मजबूर

संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑफ इंटरनल ओवरसाइट सर्विसेस की ड्राफ्ट स्टडी की मदद से तैयार रिर्पोटस की मानें तो हैती और लाइबेरिया जैसे कई गरीब देशों में नियुक्त शांती सैनिक वहां के लोगों की परेशानियों का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। यहां महिलायें भूख और गरीबी से त्रस्त हो कर थोड़ी से लालच में यौन संबंधों के लिए तैयार हो जाती हैं। इन दो देशों से मिले आंकड़े ही ये साबित करने के लिए पर्याप्त है कि बावजूद इसके कि शांति सैनिकों के लिए यौन व्यापार से संबंध रखना प्रतिबंधित है ऐसे काम पर्याप्त रूप से चल रहे हैं। हां ये जरूर है कि इन बातों की कहीं रिर्पोट भी नहीं की जाती है।

दुनिया भर में चल रहे हैं 16 अभियान

संयुक्त राष्ट्र के इस समय विश्व के कई राष्ट्रों में करीब 16 शांति अभियान चल रहे हें जिस के लिए करीब 125000 शांति सैनिक नियुक्त किए गए हैं। ओआईओएस की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सैनिकों को सुरक्षा की दृष्टि से कंडोम वितरित किए जाते हैं जिनका बहुतायत में इस्तेमाल साबित करता है कि सैनिक काफी हद यौन क्रियाओं में संलग्न हैं। इस के अलावा स्वैच्छिक काउंसलिंग और गोपनीय एचआईवी टेस्ट करवाने वाले लोगों की बढ़ती संख्या भी ये जाहिर करती है कि कि शांतिकर्मियों और स्थानीय आबादी के बीच सेक्स के मामले आम बात हैं। जबकि संयुक्त राष्ट्र ने 2003 में ही शांतिकर्मियों द्वारा सामान के बदले सेक्स पर रोक लगा दी थी क्योंकि इससे संगठन की विश्वसनीयता पर विपरीत असर पड़ रहा था।

बच्चे भी हैं यौन शोषण के शिकार

रिपोर्ट के अनुसार 2008 से 2013 के बीच यौन शोषण और दुर्व्यवहार की करीब 480 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें से एक तिहाई के करीब शिकायतें बच्चों का शारीरिक शोषण करने से जुड़ी हुई हैं। सबसे ज्यादा मामले डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, लाइबेरिया, हैती और दक्षिणी सूडान जैसे इलाकों से दर्ज हुए हैं। एक अन्य रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि 2014 में यौन शोषण और दुर्व्यवहार की करीब 51 शिकायतें सामने आयी हैं। बेशक संयुक्त रार्ष्ट की अपनी कोई सेना नहीं होती वो विश्व के कई राष्ट्रों से सैनिक या पुलिसकर्मी शांति अभियानों के लिए लेता है और उन पर नियंत्रण करने का दायित्व उसके अपने देश का ही होता है, लेकिन बीच बीच में ऐसे नियम जरूर पास किए जाते हें जो गलत अभ्यास पर रोक लगाने के लिए होते हैं।

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