- सौ दिन भी नहीं हुई पढ़ाई, नामांकन शुरु होते ही पढ़ाई पर असर शुरु।

- यूनिवर्सिटी में अवैध तरीके से कराए जा रहे चुनाव

- लिंगदोह समिति की सिफारिशों का हो खुलेआम उल्लंघन

- अगस्त के बाद से चला है कॉलेजों में यूजी का सत्र।

Meerut- सीसीएस यूनिवर्सिटी संबंधित कॉलेजों में चालू सत्र हुए मुश्किल से सौ दिन भी नहीं हो पाए हैं, यूनिवर्सिटी ने परीक्षा के फार्म भरवाने के साथ ही परीक्षा की तैयारियां शुरु कर दी है। ऐसे में चुनावी माहौल के चलते स्टूडेंट्स की पढ़ाई में परेशानी आ रही है।

शिक्षक नहीं ले रहे क्लास

यूनिवर्सिटी में आलम यह है कि नामांकन और चुनावी सरगर्मियों में शिक्षकों ने क्लास लेनी बंद कर दी है। ऊपर से नामांकन के दिन से ही स्टूडेंट्स की एंट्री नहीं हुई, जिसके चलते पढ़ाई तो हुई ही नही।

लिंगदोह की सिफारिशों का सिर्फ बहाना

सीसीएस यूनिवर्सिटी की माने तो प्रशासनिक अधिकारियों का ये कहना है कि नामांकन पर अन्य स्टूडेंट्स की एंट्री पर बैन नहीं लगाया, बल्कि आईकार्ड देखकर ही स्टूडेंट्स की एंट्री कराई गई है। ऐसा इसलिए ताकि कैम्पस के अंदर किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश न हो और न ही लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन हो। लेकिन खास बात तो ये है कि यूनिवर्सिटी में तो चुनाव ही अवैध हो रहे हैं। ऐसे में बाहरी प्रवेश हो या न हो उससे क्या फर्क पड़ता है।

बिना पढ़ाई देंगे परीक्षा

मेरठ सहारनपुर मंडल में प्रथम वर्ष के एडमिशन यूनिवर्सिटी ने अगस्त तक किए गए हैं। दस अगस्त के बाद तक भी कॉलेजों में यूजी क्लासेज में सत्र चालू किया गया था। इनमें बीए, बीकॉम, बीएससी, एजी, होम साइंस आदि शामिल है। जबकि पीजी ट्रेडिशनल, प्रोफेशनल, व यूजी प्रोफेशनल कोर्स के एडमिशन सितम्बर माह तक लिए गए है। पीजी का सत्र सितम्बर माह में ही चालू हो गया है। अभी कॉलेजों में छुट्टियों के बाद पढ़ाई का सीजन पटरी पर आया ही था कि वही सीसीएसयू ने परीक्षा फार्म भरवाने का शिगूफा छोड़ दिया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 25 अक्टूबर या नवम्बर माह में परीक्षा फार्म भरवाएं जा सकते हैं। जबकि पढ़ाई अभी मुश्किल से सौ दिन भी नहीं हो पाई है।

क्या हैं नियम

उच्च शिक्षा एक्ट के अनुसार वार्षिक स्तर की बीए, बीकॉम, समेत अनेक ट्रेडिशनल कोर्स में 180 दिन की पढ़ाई कराना बेहद जरुरी है। हालांकि परीक्षा के दिन भी इनमें शामिल हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी से जुड़े कॉलेजों में हर साल अधूरे मानकों पर ही परीक्षा कराई जाती है। यूजी व पीजी के सेमेस्टर कोर्स परीक्षा के लिए करीब तीन माह यानि 90 दिनों तक नियमित पढ़ाई का नियम है।

छात्रों में नाराजगी

छात्रों का कहना है कि चुनाव से उनकी पढ़ाई डिस्टर्ब हो रही है.उधर यूनिवर्सिटी परीक्षा की तैयारी कर रही है। छात्रसंघ चुनाव के चलते अब एक हफ्ता फिर क्लास नहीं लगेंगी। उसके बाद दीपावली व अन्य त्योहार के चलते यूनिवर्सिटी बंद रहेगी। ऐसे में पूरे सालभर में पढ़ाई ही नहीं हो पाई है। स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर रेगुलर होने के बाद भी उन्हें केवल सेल्फ स्टडी पर ही डिपेंड रहना है तो ऐसे में तो प्राइवेट फार्म भरना ही बेहतर है।

क्या कहती है यूनिवर्सिटी

मुख्य परीक्षा के फार्म जल्द भरवाने की तैयारी चल रही है। कॉलेज मानकों के अनुरुप ही पढ़ाई कराने के लिए कहा गया है। एक्स्ट्रा क्लास चलाकर कोर्स को पूरा करवाने के लिए आदेश दिए गए है।

प्रो। वाई विमला, एडमिशन कोर्डिनेटर, सीसीएस यूनिवर्सिटी

क्या कहते हैं स्टूडेंट्स

अगर यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में सालभर पढ़ाई नहीं होती, क्लास नहीं लगनी तो फिर इससे तो बेहतर है प्राइवेट ही एडमिशन ले लिया जाए। क्योंकि प्राइवेट व रेगुलर में क्लास मिलने का ही तो फर्क होता है।

कुश सैनी, स्टूडेंट

यूनिवर्सिटी का सिस्टम तो लर्निग डिस्टैंस एजुकेशन यूनिवर्सिटी जैसा होता जा रहा है। हर साल क्लास कम मिलती है, सेल्फ स्टडी पर ही निर्भर रहना है तो रेगुलर एडमिशन का क्या फायदा।

शिल्पी, स्टूडेंट

नामांकन के दिन यूनिवर्सिटी में क्लास ही नहीं लगी, ऐसे में चुनाव के चलते पढ़ाई में दिक्कते आ रही है, एग्जाम आने को है, लेकिन क्लास लग नहीं पा रही है।

अभी, स्टूडेंट

अभी तो नामांकन के चलते केवल क्लास नहीं लगी है, अब चुनाव के दिन नजदीक आने के साथ ही माहौल बिगड़ना शुरु हो जाएगा, ऐसे में लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ना भी मुश्किल हो जाएगा।

साहिल स्टूडेंट

चुनाव ही अवैध है यहां

एक तरफ जहां यूनिवर्सिटी लिंगदोह की सिफारिशों के नियम के अनुसार कड़ी सुरक्षा में नामांकन की प्रक्रिया पूरा कराने का दावा कर रही है। लेकिन पहली बात तो ये है कि यूनिवर्सिटी में लिंगदोह सिफारिशों के अनुसार 6.4.2 के एनक्शर 4 डी मुताबिक चुनाव नहीं हो रहे है, इसलिए चुनाव ही अवैध है.दूसरा नियमों के अनुसार तो केवल हाथ से लिखी हुई ही सामग्री का प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन नामांकन के दिन ही यूनिवर्सिटी कैम्पस व बाहर प्रचार करते हुए प्रत्याशियों के पास छपी हुई प्रचार प्रसार की सामग्री देखने को मिली। जिससे साफ जाहिर है कि लिंगदोह समिति की सिफारिशों को सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है।