सिनियॉरिटी पर उपजे विवाद के बाद इविवि प्रशासन का नया पैतरा

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ALLAHABAD: सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद में लंबे समय तक एक्टिंग वाइस चांसलर की पोस्ट पर रह चुके प्रो। ए। सत्यनारायण को करारा झटका लगा है। उन्हें यह कहते हुए एक झटके में सिनियॉरटी लिस्ट से बाहर कर दिया गया कि सोसियोलॉजी (समाजशास्त्र) डिपार्टमेंट यूनिवर्सिटी में आर्ट फैकेल्टी का अंग नहीं है। ऐसे में वो वरिष्ठतम प्रोफेसर नहीं हो सकते। इस प्रकार वे डीन आर्ट्स की कुर्सी के हकदार भी नहीं रह गये हैं।

हाईकोर्ट ने सुनाया था फैसला

गौरतलब है कि वीसी प्रो। आरएल हांगलू ने आर्ट फैकेल्टी में डीन की पोस्ट से प्रो। ए। सत्यनारायण को हटाते हुए प्रो। केएस मिश्रा को वरिष्ठतम् प्रोफेसर बताकर डीन की कुर्सी सौंप दी थी। विवि के इस आदेश को प्रो। ए। सत्यनारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में (याचिका संख्या 37891 /2016) चैलेंज किया। जिसके बाद हाईकोर्ट ने 29 अगस्त 2016 को प्रो। ए। सत्यनारायण के हक में फैसला सुनाया। कोर्ट के इस आदेश के बाद एयू एडमिनिस्ट्रेशन ने नये पैतरे का इस्तेमाल किया है।

सोसियोलॉजी इंडिपेंडेंट सब्जेक्ट

रजिस्ट्रार प्रो। एन.के। शुक्ला की ओर से जारी पत्र में इलाहाबाद विवि एक्ट 2015 के स्टैच्यूट 14 (3) का हवाला देते हुए कहा गया है कि जब प्रो। ए। सत्यनारायण ने सोसियोलॉजी में प्रोफेसर की पोस्ट संभाली, तब तक यह डिपार्टमेंट आर्ट फैकेल्टी का अंग नहीं था। एयू की ओर से विजिटर (राष्ट्रपति) को भेजी गई कई रिकवेस्ट के बाद भी उनकी ओर से एयू एक्ट 2015 के सेक्शन 28 (4) के तहत अनुमति नहीं मिली है। रजिस्ट्रार ने अपने आर्डर में कहा है कि सोसियोलॉजी एक इंडिपेंडेंट सब्जेक्ट है। जहां पर 20 जून 2010 को चयन समिति के तहत प्रो। ए। सत्यनारायण को एप्वाइंट किया गया था। रजिस्ट्रार प्रो। एन के शुक्ला ने लेटर में कहा है कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार एयू टीचर्स की सिनियॉरिटी (पीपी स्कीम के तहत) पदभार ग्रहण करने की डेट से जोड़ी जाएगी। इस तरह एयू एडमिनिस्ट्रेशन ने फैकेल्टी में डीन की पोस्ट पर प्रो। ए। सत्यनारायण के दावे को खारिज कर दिया है।