RANCHI : लाखों कोशिशों के बावजूद देश भर में सेक्स रेशियो में सुधार नहीं हो रहा है। देश तो आजाद हो गया लेकिन आज भी बेटियों को लेकर लोगों की मानसिकता नहीं बदली है। हर दिन हजारों बेटियों को गर्भ में ही मार दिया जाता है। इसके लिए कहीं न कहीं तो अल्ट्रासाउंड सेंटर वाले भी जिम्मेवार है। सिटी में दर्जनों सेंटर ऐसे भी है जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं है। पैसों की खातिर ये लोग लिंग जांच करते है और जन्म से पहले ही भ्रूण हत्या कर दी जाती है। स्वास्थ्य विभाग समय-समय पर छापेमारी भी करता है और सेंटेरों को बंद करा दिया जाता है। कुछ दिनों के लिए ऐसे सेंटर बंद हो जाते है और मामला शांत होते ही फिर से उसे चालू कर लिया जाता है।

हाइकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

झारखंड हाइकोर्ट ने भ्रूण हत्या के मामले में संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इसमें सरकार से पूछा गया है कि बिना रजिस्ट्रेशन के चलने वाले अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर सरकार ने अबतक क्या कारवाई की है। मीडिया में छपी खबरों को आधार बनाते हुए राज्य सरकार, स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य निदेशक, कल्याण सचिव तथा विधि विभाग को इस संबंध में जवाब देने को कहा गया था।

महिलाओं की संख्या पर चिंता

कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लेते हुए राज्य के सेक्स रेशियो का भी उल्लेख किया था। प्रदेश में प्रति हजार पुरुषों के अनुपात में महिलाओं की संख्या अब 928 तक पहुंच जाना इस बात का सबूत है कि भ्रूण हत्या भी इसका एक कारण है। गावों में अक्सर लोग जांच के बाद गर्भ में लड़की होने की स्थिति में गर्भपात करा देते है।

कोर्ट ने मांगी थी जानकारी (बॉक्स)

-राज्य में निबंधित जेनेटिक काउंसलिंग सेंटर, जांच केंद्रों की जानकारी और संख्या

-बिना निबंधन के चलने वाले जांच केंद्रों पर की गई कारवाई की जानकारी

गर्भपात के मामले बढ़े (बॉक्स)

लिंग परीक्षण कानूनन अपराध है, पर राज्य में बड़ी संख्या में अल्ट्रासाउंड क्लिनिकों में यह हो रहा है। राज्य में गर्भपात के मामलों में 13 से 18 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है जो चिंता का विषय है। प्रॉहिबिशन ऑफ सेक्स सेलेक्शन एक्ट 1994 के तहत लिंग परीक्षण को अपराध माना गया है। इसके तहत कोई भी डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के बाद लिखित या मौखिक रूप से गर्भ में पल रहे बच्चे के सेक्स के बारे में जानकारी नहीं देगा। इसका उल्लंघन करने वालों को दंडित किया जाएगा।

वर्जन

अल्ट्रासाउंड सेंटरों से लगातार रिपोर्ट मांगी जा रही है और जिन सेंटरों का रजिस्ट्रेशन नहीं है उन्हें चिन्हित कर उनपर कार्रवाई की जाएगी। हम लगातार छापेमारी अभियान भी चला रहे है। कुछ सेंटरों को बंद भी कराया गया है।

गोपाल श्रीवास्तव, सिविल सर्जन, रांची