- आई नेक्स्ट के खबर छापने के बाद जागा शिक्षा विभाग

- डीआईओएस से दो दिन में मांगा उपलब्धता पर जवाब

LUCKNOW: नए सेशन के शुरू होने के बाद भी सिटी की मार्केट से यूपी बोर्ड की किताबें गायब होने के मामले पर स्टेट गर्वनमेंट ने सख्त रूप अख्तियार कर लिया है। किताबें मार्केट में न आने से स्टूडेंट्स मजबूरी में मौजूद प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें पढ़ने को मजबूर हैं।

आई नेक्स्ट ने खोली थी पोल

इस मामले को आई नेक्स्ट ने प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद यूपी बोर्ड डायरेक्टर ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को किताबों की कमी होने की सूचना बोर्ड को भेजने का निर्देश जारी किया था। अब इस मामले को खुद चीफ मिनिस्टर ने संज्ञान में लिया है। चीफ मिनिस्टर ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए शिक्षा विभाग से इस पूरे मामले पर जवाब-तलब किया है। इसके बाद लखनऊ समेत स्टेट के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों से उनके स्थानीय बाजारों में किताबों की उपलब्धता के सम्बन्ध में दो दिन में रिपोर्ट चीफ मिनिस्टर ऑफिस को भेजनी है।

कमीशनखोरी के चक्कर में नहीं आ रही किताबें

माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से इस साल किताबें उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी स्टेट के क्ख् पब्लिशर्स को सौंपी गई है। बोर्ड की ओर से माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को ध्यान में रखते हुए इनके रेट बेहद कम रखे गए हैं। इसके बाद भी जिन क्ख् पब्लिशर्स को इन किताबों की प्रिटिंग की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने सेशन शुरू होने के तीन मंथ बाद भी अभी तक किताबें मार्केट में नहीं उपलब्ध कराई हैं। इन सबके पीछे कमीशन का खेल है। जिनके कारण यह किताबें बाजार तक नहीं पहुंच पाई हैं। इनकी जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें मार्केट में दोगुने रेट पर बेची जा रही हैं। मामला प्रकाश में आने के बाद यूपी बोर्ड अपनी गहरी नींद से जागते हुए सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को किताबें न मिलने पर इसकी सूचना बोर्ड को भेजी ताकि किताबें जल्द से जल्द मार्केट में मुहैया कराई जा सकें।

अभी भी मार्केट से गायब हैं किताबें

यूपी बोर्ड की ओर से मामला संज्ञान में लेने के बाद भी मार्केट से किताबें गायब हैं। सिटी की बड़ी किताब मंडी अमीनाबाद में अभी तक किताबों को लेकर वही हाल है। किताब व्यापारियों का कहना है कि निर्धारित प्रकाशकों की किताबों के आने की रफ्तार न के बराबर है। अभी तक केवल काका और राजीव प्रकाशन की किताबें ही मिल रही हैं। बच्चों को प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें ही दी जा रही है। कई बार प्रकाशकों को डिमांड भेजी गई है, इसके बाद भी अभी तक किसी और प्रकाशकों की किताबें मार्केट में नहीं है। अमीनाबाद के सभी किताब विक्रेताओं का यहां यही हाल है।

शनिवार तक देनी है सूचना

इस प्रकरण को लेकर अपर सचिव (प्रशासन) कामता राम पाल ने गुरुवार को अधिकारियों से जवाब-तलब किया है। सभी डीआईओएस से उनके जिले में अधिकृत प्रकाशकों की किताबों की उपलब्धता की स्थिति के साथ उपलब्ध निजी प्रकाशकों की किताबों और उनके दामों की स्थिति भी मांगी है। किसी भी स्थिति में यह रिपोर्ट ख्म् जुलाई तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।