-सेंटर्स पर टॉयलेट्स, अग्निशमन यंत्र, अलमारी और चहारदीवारी का अभाव

-16 मार्च से शुरू हो रहे हैं एग्जाम, 133 सेंटर्स पर एग्जाम देंगे स्टूडेंट्स

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क्चन्क्त्रश्वढ्ढरुरुङ्घ

बोर्ड एग्जाम में माध्यमिक शिक्षा परिषद की अव्यवस्थाओं का खामियाजा इस बार भी छात्रों को भुगतना पड़ेगा। सेंटर बनाते वक्त बोर्ड के अधिकारियों ने मानकों का ख्याल नहीं रखा। नतीजा यह है कि कमोबेश सभी सेंटर्स पर जरूरी चीजों की भारी कमी है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने स्टूडेंट की अग्निपरीक्षा अभियान के तहत थर्सडे को जब सेंटर्स का रियलिटी चेक किया, तो हकीकत की पोल खुली। किसी सेंटर पर टॉयलेट्स कम मिले, तो तमाम सेंटर के खिड़की के शीशे टूटे हुए मिले। हैरानी वाली बात तो यह रही कि कुछ सेंटर्स की बाउंड्रीवॉल भी नहीं थी। हालांकि, इसके बाद भी विभागीय अधिकारी दावा कर रहे हैं कि बिना किसी दिक्कत के एग्जाम को सम्पन्न करा लिया जाएगा।

133 सेंटर, 98 हजार स्टूडेंट्स

यूपी बोर्ड के एग्जाम 16 मार्च से स्टार्ट होंगे, जो 21 अप्रैल तक चलेंगे। डिस्ट्रिक्ट में 133 सेंटर पर करीब 98 हजार स्टूडेंट्स हाईस्कूल और इंटर के एग्जाम देंगे। थर्सडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम छात्राओं के लिए बनाए गए सेंटर गवर्नमेंट ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज पहुंची। कॉलेज प्रभारी प्रिंसिपल ने बताया कि कॉलेज कैंपस में 25 शौचालय हैं। इनमें से 12 टॉयलेट्स समाज कल्याण विभाग ने बनवाए हैं, लेकिन अभी उन्हें हैंडओवर नहीं किया है। इस कारण अभी केवल 13 शौचालय ही छात्राओं के लिए उपलब्ध हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कॉलेज में करीब दो साल पहले अग्निशमन यंत्र लगवाए गए थे, लेकिन बजट के अभाव के चलते दोबारा उनमें गैस रिफलिंग नहीं कराई गई है। इसके बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम गवर्नमेंट हाईस्कूल बीजामऊ नवाबगंज पहुंची। इस कॉलेज की बाउंड्रीवॉल होना तो बड़ी बात रही कमरों के विंडो पर ग्लास तक टूटी हुई हैं। प्रिंसिपल रामचन्द्र गंगवार ने बताया कि शीशे लगवाने का प्रयास निजी तौर पर किया जा रहा हैं। वहीं, बाउंड्रीवॉल नहीं होने से विभागीय अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। उधर, गवर्नमेंट हाईस्कूल हरहरपुर की खिड़कियों के भी शीशे टूटे मिले। प्रिंसिपल ओपी गंगवार ने बताया खिड़कियों पर शीशे लगवाए जा रहे हैं। एग्जाम शुरू होने से पहले सभी खिड़कियों पर शीशे लगवा दिए जाएंगे।

यह हैं मानक

-कॉलेज की बाउंड्रीवॉल हो।

-कॉलेज में अग्निशमन यंत्र हो।

-कॉलेज में पेपर रखने के लिए अलमारी हो।

-कॉलेज में शौचालय, लाइट और पेयजल की व्यवस्था हो।

-कॉलेज में स्टूडेंट्स के बैठने के लिए पर्याप्त फर्नीचर हो।

-छात्रों के लिए आठ और छात्राओं के लिए पांच किमी की परिधि में सेंटर बनाया जाए।

-खिड़की पर शीशे हों।

वर्जन

कॉलेज में 25 शौचालय हैं। इनमें से 12 शौचालय अभी समाज कल्याण विभाग ने हैंडओवर नहीं किए हैं। वहीं, जब से अग्निशमन यंत्र लगे हैं तब से उनकी रिफलिंग हुई है।

शशिबाला पांडे, प्रभारी प्रिंसिपल जीआईसी

विभाग ने सेल्फ फाइनेंस की जगह सरकारी और एडेड कॉलेजेज को सेंटर्स बनाने में वरीयता दी है। कुछ सेंटर्स पर संसाधनों का अभाव है, जिन्हें समय रहते दूर कर दिया जाएगा।

मुन्ने अली, डीआईओएस